औरंगाबाद: जिले के आठ प्रखंडों में मुआवजा बांटने का काम समाप्त हो गया है. इन प्रखण्डों में किसानों को लगभग 19 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया है. वहीं, किसानों का आरोप है कि चुनिंदा किसानों को ही भुगतान मिला है और उन्हें सूचना तक नहीं दी गई.
जिले के आठ प्रखंड बारुण, नवीनगर, औरंगाबाद, गोह, कुटुम्बा, देव, रफीगंज और मदनपुर को बिहार सरकार ने खरीफ के सीजन में सूखाग्रस्त घोषित किया था. लगभग 24 हजार किसानों को मुआवजा दिया जा रहा है.
किसानों को नहीं दी सूचना
सूखाग्रस्त किसानों ने जिला कृषि पदाधिकारी पर मुआवजा देने में भेदभाव का आरोप लगाया है. बारुण प्रखंड के चुल्हाई बिगहा गांव के रहने वाले किसान सुरेश सिंह ने बताया कि उन्हें यह भी पता नहीं चला कि सुखाड़ ग्रस्त किसानों को मुआवजे का क्या प्रावधान है. उन्हें कृषि सलाहकार ने भी नहीं बताया. किसानों की मांग है कि उनसे भी आवेदन लेकर मुआवजे की राशि का भुगतान किया जाए.
'18 करोड़ 58 लाख का भुगतान'
इस संबंध में जब जिला कृषि पदाधिकारी राजेश प्रताप सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि उनके पास आठों प्रखंड से कुल 25 हजार 2 सौ 72 आवेदन प्राप्त हुए थे. इनमें से 23 हजार 4 सौ 87 को स्वीकृति दी गई. किसानों को कुल 18 करोड़ 58 लाख 67 हजार 713 रुपए का भुगतान किया जा रहा है.
'आवेदन नहीं करने के कारण छूट गए किसान'
कृषि पदाधिकारी ने कहा कि अधिकतर किसानों का भुगतान उनके बैंक खाते में कर दिया गया है. जो बचे हैं उन्हें भी जल्द ही भुगतान कर दिया जाएगा. जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि बाकि किसान आवेदन नहीं करने की वजह से छूट गए होंगे. आवेदन दिए हुए सभी किसानों की जमीन पर जांच की गई थी. उसके बाद सभी का भुगतान सुनिश्चित किया गया.
जनप्रतिनिधि भी हैं नाराज
जिला कृषि पदाधिकारी की बातों को नकारते हुए भोपतपुर पंचायत की पंचायत समिति सदस्य बलजीत सिंह ने बताया कि सुखाड़ राशि उन्हीं किसानों को भुगतान की गई है जिन्होंने कृषि विभाग के कर्मचारियों को रिश्वत दी थी. ऐसे बहुत सारे किसान हैं जिनको इस योजना के बारे में जानकारी नहीं थी. उनके पंचायत में ऐसे किसानों की संख्या लगभग 99% है जिन्हें सुखाड़ राशि का मुआवजा नहीं मिला है.
'90% किसान महरूम'
जिले के आठ प्रखंडों में सुखाड़ की घोषणा हुई थी. उसके बाद किसानों के चेहरे पर एक संतोष की लकीर थी कि उन्हें मुआवजा का भुगतान होगा. लेकिन जब 90% किसानों को मुआवजे का भुगतान नहीं हुआ तो किसानों में मायूसी है और वह पुनः आवेदन लेने की मांग कर रहे हैं.