अररियाः जिले के संदलपुर गांव में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' जैसे गंभीर मुद्दे को लेकर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य था कि लड़कियों में शिक्षा का स्तर कैसे बढ़ाया जाए. समारोह में इस मुद्दे पर काफी चर्चा हुई.
'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ'
दरअसल, अररिया जिला शिक्षा के मामले में सबसे निचले पायदान पर आता है और उस पर लड़कियों की शिक्षा का दर काफी नीचा है. लेकिन हाल में ही बिहार के मुख्यमंत्री ने लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए कई योजनाएं बनाई, जिसका असर अब दिखने भी लगा है. इसी उद्देश्य को लेकर संदलपुर रहमतपुर डोमाई स्थित लड़कियों के मदरसा का एक साला जश्न के रूप में मनाया गया.
मदरसे में तीन सौ बच्चियां कर रही हैं शिक्षा ग्रहण
इस मदरसा के सचिव सह पूर्व मुखिया मो. मुर्तुजा ने बताया कि गैड़ा पंचायत जिला मुख्यालय से काफी दूर है. इस पंचायत में ज्यादातर आबादी मुस्लिम समुदाय की है. इस आबादी में शिक्षा की बहुत कमी है. खासकर लड़कियों की शिक्षा की स्थिति काफी खराब है. इसी को देखते हुए यहां एक मदरसे का स्थापना एक वर्ष पहले किया गया था. जहां आज तीन सौ बच्चियां इस मदरसे में शिक्षा ग्रहण कर रही है.
लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य
मो. मुर्तुजा ने कहा कि सातवीं क्लास तक पढ़ने वाली बच्चियों को आधुनिकता का भी शिक्षा ग्रहण कराया जाता है. इसमें कंप्यूटर जैसे महत्वपूर्ण विषय की भी पढ़ाई की जाती है. उन्होंने बताया कि इस मदरसे में मजहबी पढ़ाई के साथ बच्चियों को दुनिया के बारे में भी पढ़ाया जाता है, ताकि वह आगे चलकर आत्मनिर्भर बन सकें. इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य ये था कि आसपास के लोगों तक ये संदेश पहुंचाया जाए कि लड़कियों की शिक्षा कितनी जरूरी है.