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किसानों का दर्द, बोले- PM और CM सिर्फ हेलीकॉप्टर से लगा रहे चक्कर, हुआ है बहुत नुकसान - etv bharat bihar

किसानों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि दिहाड़ी मजदूरों को लाकर खेत में जो धान के बीज की बुआई की थी, वो सब बर्बाद हो गया है. फिर से नया बीज लाकर बुआई कर रहे हैं. इस पूरे नुकसान के बारे में कोई नहीं सोचता.

problem of farmers in flood affected area of araria bihar
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Published : Jul 24, 2019, 11:36 PM IST

अररिया: 'पीएम मोदी और सीएम नीतीश हेलीकॉप्टर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर के चले जाते हैं. हम किसानों को सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाती.' ये लफ्ज उन बाढ़ पीड़ित किसानों के हैं, जिनकी खेती तबाह हो चुकी है. बाढ़ के पानी को पार कर ये किसान अपनी तबाह हुई खेती को दोबारा जीवित करने में तो लगे हैं. लेकिन इनका आरोप है कि पिछली बार की तरह इस बार भी इन्हें किसी प्रकार की प्रशासनिक मदद नहीं मिली है.

problem of farmers in flood affected area of araria bihar
नदी पार कर खेती के लिए जाते लोग

अररिया जिले के फारबिसगंज के हलहल्या पंचायत के किसानों की माने तो वोट का समय आते ही कई वादे कर जन प्रतिनिधि चले जाते हैं. इसके बाद कोई वादा पूरा नहीं होता. मुख्य जनप्रतिनिधि बाइक से घूमते नजर आते हैं. किसानों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि दिहाड़ी मजदूरों को लाकर खेत में जो धान के बीज की बुआई की थी, वो सब बर्बाद हो गया है. फिर से नया बीज लाकर बुआई कर रहे हैं. इस पूरे नुकसान के बारे में कोई नहीं सोचता.

बाढ़ ने बढ़ाई परेशानी

'पिछली बार का मुआवजा नहीं मिला'
किसानों ने कहा कि हमें बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इलाके में जो नदी है, उस पर पुल नहीं बना है. लिहाजा, हम नदी को पार कर अपने खेतों तक पहुंचते हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि 2017 की बाढ़ में बर्बाद हुई फसल का मुआवजा अबतक नहीं मिला है.

किसी ने बर्बादी के बारे में नहीं पूछा- किसान
किसानों का कहना है कि इस बार बाढ़ के कहर से तबाह हुई फसल के बारे में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनसे पूछने नहीं आया है. हालांकि, इस बाबत जब आपदा पदाधिकारी शम्भू कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस बार किसानों की जो फसल बर्बाद हुई है, उसका आंकलन करने में अधिकारी लगे हुए हैं.

अररिया: 'पीएम मोदी और सीएम नीतीश हेलीकॉप्टर से बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का निरीक्षण कर के चले जाते हैं. हम किसानों को सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल पाती.' ये लफ्ज उन बाढ़ पीड़ित किसानों के हैं, जिनकी खेती तबाह हो चुकी है. बाढ़ के पानी को पार कर ये किसान अपनी तबाह हुई खेती को दोबारा जीवित करने में तो लगे हैं. लेकिन इनका आरोप है कि पिछली बार की तरह इस बार भी इन्हें किसी प्रकार की प्रशासनिक मदद नहीं मिली है.

problem of farmers in flood affected area of araria bihar
नदी पार कर खेती के लिए जाते लोग

अररिया जिले के फारबिसगंज के हलहल्या पंचायत के किसानों की माने तो वोट का समय आते ही कई वादे कर जन प्रतिनिधि चले जाते हैं. इसके बाद कोई वादा पूरा नहीं होता. मुख्य जनप्रतिनिधि बाइक से घूमते नजर आते हैं. किसानों ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि दिहाड़ी मजदूरों को लाकर खेत में जो धान के बीज की बुआई की थी, वो सब बर्बाद हो गया है. फिर से नया बीज लाकर बुआई कर रहे हैं. इस पूरे नुकसान के बारे में कोई नहीं सोचता.

बाढ़ ने बढ़ाई परेशानी

'पिछली बार का मुआवजा नहीं मिला'
किसानों ने कहा कि हमें बहुत सारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. इलाके में जो नदी है, उस पर पुल नहीं बना है. लिहाजा, हम नदी को पार कर अपने खेतों तक पहुंचते हैं. वहीं, उन्होंने बताया कि 2017 की बाढ़ में बर्बाद हुई फसल का मुआवजा अबतक नहीं मिला है.

किसी ने बर्बादी के बारे में नहीं पूछा- किसान
किसानों का कहना है कि इस बार बाढ़ के कहर से तबाह हुई फसल के बारे में कोई भी जिम्मेदार अधिकारी या जनप्रतिनिधि उनसे पूछने नहीं आया है. हालांकि, इस बाबत जब आपदा पदाधिकारी शम्भू कुमार से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस बार किसानों की जो फसल बर्बाद हुई है, उसका आंकलन करने में अधिकारी लगे हुए हैं.

Intro:मोदी और नीतीश बाढ़ में हेलीकॉप्टर से घूम कर देखते हैं और चले जाते हैं। हम किसानों को सरकार के तरफ से कोई मदद नहीं मिलता है। वोट के समय आते हैं तो सिर्फ़ वादा किया जाता है जीतने के बाद कोई नज़र नहीं आता है। मुख्या जनप्रतिनिधि तो मोटर साईकिल से घूमता है। तिहाड़ी मजदूर जो खेत मे धान के बीज का बुआई किया था वो बर्बाद हो गया फ़िर से दूसरा बीज ख़रीद बुआई करने जा रहे हैं उसे कहां से देंगे नुकसान हुए फ़सल का मुआवजा।


Body:बिहार में आए बाढ़ ने किसानों का कमर तोड़ दिया है ऐसे में Etv Bharat के ज़िला संवाददाता किसानों का हाल जानने फारबिसगंज के हलहल्या पंचायत में हैं। किसान बताते हैं कि हर साल यह ज़िला बाढ़ की तबाही झेलता है हज़ारों एकड़ में लगा फ़सल तबाह हो जाता है लेकिन इन किसानों का कोई सुनने वाला नहीं है। नेता हो प्रशासनिक अधिकारी सिर्फ़ गाड़ी से आकर देखते हैं या वो भी फुर्सत नहीं होता है। मोदी और नीतीश बाढ़ में हेलीकॉप्टर से घूम कर देखते हैं और चले जाते हैं। हम किसानों को सरकार के तरफ से कोई मदद नहीं मिलता है। वोट के समय आते हैं तो सिर्फ़ वादा किया जाता है जीतने के बाद कोई नज़र नहीं आता है। मुख्या जनप्रतिनिधि तो मोटर साईकिल से घूमता है। तिहाड़ी मजदूर जो खेत मे धान के बीज का बुआई किया था वो बर्बाद हो गया फ़िर से दूसरा बीज ख़रीद बुआई करने जा रहे हैं उसे कहां से देंगे नुकसान हुए फ़सल का मुआवजा। सरकार के खाते पर सब किसानों को उसके नुकसान हुए फ़सल का मुआवजा मिल जाता है। जमीनी हक़ीक़त कुछ और ही ब्यान कर रहा है। लोग फ़िर से धान के बीज की बुआई करने अपने जान को हथेली पर रखकर तेज़ धार में नदी क्रॉस कर बुआई करने जा रहे हैं। हफ़्ते दिन पहले आए बाढ़ से सारे फ़सल को बर्बाद कर दिया। 2017 में भी बर्बाद हुए फ़सल का अब तक कोई मुआवजा नहीं मिल पाया है। हालांकि की आपदा पदाधिकारी शम्भू कुमार ने बताया की इस बार किसानों का जो फ़सल बर्बाद हुआ है उसका आंकलन करने में अधिकारी जुटे हुए हैं।


Conclusion:संबधित विसुअल वॉइस ओवर के साथ
किसानों का बाइट
आपदा पदाधिकारी शम्भू कुमार का बाइट
पीटीसी
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