अररिया: सीमांचल के सबसे पिछड़े इलाके में अररिया जिले का नाम है. यहां का सदर अस्पताल भी अपनी किस्मत पर रो रहा है. इस अस्पताल में महज 12 डॉक्टर हैं, जिनके सहारे 19 लाख की आबादी को स्वस्थ रखने का जिम्मा है.
अररिया सदर अस्पताल खुद अस्वस्थ्य नजर आ रहा है. डॉक्टर और संसाधन की इतनी कमी की मरीजों का इलाज भी ढंग से नहीं हो पाता है. यहां इलाज के अभाव में अक्सर मरीजों की मौत हो रही है. वहीं, मरीज की मौत होने पर कई बार डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटना भी हो चुकी है. डॉक्टर ने इस संबंध में कई बार आवेदन लिखा है, लेकिन सुनवाई नहीं होती.
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अस्पताल में एक भी महिला डॉक्टर नहीं
बेड नहीं रहने के कारण मरीज फर्श पर सोने को मजबूर हैं. तो कहीं बेड पर चादर नहीं रहता. जिले की आबादी 19 लाख है और यहां 200 डॉक्टरों की आवश्यकता है. हालांकि अस्पताल में 61 डॉक्टर पदस्थापित हैं. लेकिन महज 12 डॉक्टर ही अपनी सेवा दे रहे हैं. 24 घंटे में सिर्फ आठ डॉक्टर मौजूद रहते हैं.
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डॉक्टर और जीएनएम की कमी
सदर अस्पताल उपाधीक्षक जेएन माथुर ने बताया कि डॉक्टर के अलावे जीएनएम की घोर कमी है. पूरे जिले में 70 जीएनएम की जगह सिर्फ 15 हैं. नियुक्ति के लिए कई बार आवेदन दिया गया है. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. इसके लिए सरकार ज़िम्मेदार है.
नर्स के भरोसे चल रहा उपस्वास्थ केंद्र
सदर अस्पताल में ब्लड बैंक, हड्डी डॉक्टर, पैथोलॉजी इत्यादि की कमी है. जिले के कई उपस्वास्थ केंद्र चोर उच्चकों के लिए ऐशगाह बन चुका है. जबकि कई जगह नर्स के सहारे चल रहा है. जहां इलाज भगवान भरोसे ही होता है.