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अररिया: सदर अस्पताल में 12 डॉक्टरों पर है 19 लाख की आबादी को स्वस्थ रखने का जिम्मा - सदर अस्पताल

अररिया सदर अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी है. सदर अस्पताल महज 12 डॉक्टर के भरोसे चल रहा है. यहां डॉक्टर और सुविधाओं की घोर कमी के कारण लोगों को इलाज के लिए पूर्णिया, भागलपुर, पटना और दिल्ली जाना पड़ता है.

अररिया सदर अस्पताल
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Published : Jun 22, 2019, 9:52 AM IST

Updated : Jun 28, 2019, 3:24 PM IST

अररिया: सीमांचल के सबसे पिछड़े इलाके में अररिया जिले का नाम है. यहां का सदर अस्पताल भी अपनी किस्मत पर रो रहा है. इस अस्पताल में महज 12 डॉक्टर हैं, जिनके सहारे 19 लाख की आबादी को स्वस्थ रखने का जिम्मा है.

अररिया सदर अस्पताल खुद अस्वस्थ्य नजर आ रहा है. डॉक्टर और संसाधन की इतनी कमी की मरीजों का इलाज भी ढंग से नहीं हो पाता है. यहां इलाज के अभाव में अक्सर मरीजों की मौत हो रही है. वहीं, मरीज की मौत होने पर कई बार डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटना भी हो चुकी है. डॉक्टर ने इस संबंध में कई बार आवेदन लिखा है, लेकिन सुनवाई नहीं होती.

araria
अस्पताल की स्थिति

अस्पताल में एक भी महिला डॉक्टर नहीं
बेड नहीं रहने के कारण मरीज फर्श पर सोने को मजबूर हैं. तो कहीं बेड पर चादर नहीं रहता. जिले की आबादी 19 लाख है और यहां 200 डॉक्टरों की आवश्यकता है. हालांकि अस्पताल में 61 डॉक्टर पदस्थापित हैं. लेकिन महज 12 डॉक्टर ही अपनी सेवा दे रहे हैं. 24 घंटे में सिर्फ आठ डॉक्टर मौजूद रहते हैं.

araria
अस्पताल उपाधीक्षक जेएन माथुर

डॉक्टर और जीएनएम की कमी
सदर अस्पताल उपाधीक्षक जेएन माथुर ने बताया कि डॉक्टर के अलावे जीएनएम की घोर कमी है. पूरे जिले में 70 जीएनएम की जगह सिर्फ 15 हैं. नियुक्ति के लिए कई बार आवेदन दिया गया है. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. इसके लिए सरकार ज़िम्मेदार है.

अररिया सदर अस्पताल

नर्स के भरोसे चल रहा उपस्वास्थ केंद्र
सदर अस्पताल में ब्लड बैंक, हड्डी डॉक्टर, पैथोलॉजी इत्यादि की कमी है. जिले के कई उपस्वास्थ केंद्र चोर उच्चकों के लिए ऐशगाह बन चुका है. जबकि कई जगह नर्स के सहारे चल रहा है. जहां इलाज भगवान भरोसे ही होता है.

अररिया: सीमांचल के सबसे पिछड़े इलाके में अररिया जिले का नाम है. यहां का सदर अस्पताल भी अपनी किस्मत पर रो रहा है. इस अस्पताल में महज 12 डॉक्टर हैं, जिनके सहारे 19 लाख की आबादी को स्वस्थ रखने का जिम्मा है.

अररिया सदर अस्पताल खुद अस्वस्थ्य नजर आ रहा है. डॉक्टर और संसाधन की इतनी कमी की मरीजों का इलाज भी ढंग से नहीं हो पाता है. यहां इलाज के अभाव में अक्सर मरीजों की मौत हो रही है. वहीं, मरीज की मौत होने पर कई बार डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटना भी हो चुकी है. डॉक्टर ने इस संबंध में कई बार आवेदन लिखा है, लेकिन सुनवाई नहीं होती.

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अस्पताल की स्थिति

अस्पताल में एक भी महिला डॉक्टर नहीं
बेड नहीं रहने के कारण मरीज फर्श पर सोने को मजबूर हैं. तो कहीं बेड पर चादर नहीं रहता. जिले की आबादी 19 लाख है और यहां 200 डॉक्टरों की आवश्यकता है. हालांकि अस्पताल में 61 डॉक्टर पदस्थापित हैं. लेकिन महज 12 डॉक्टर ही अपनी सेवा दे रहे हैं. 24 घंटे में सिर्फ आठ डॉक्टर मौजूद रहते हैं.

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अस्पताल उपाधीक्षक जेएन माथुर

डॉक्टर और जीएनएम की कमी
सदर अस्पताल उपाधीक्षक जेएन माथुर ने बताया कि डॉक्टर के अलावे जीएनएम की घोर कमी है. पूरे जिले में 70 जीएनएम की जगह सिर्फ 15 हैं. नियुक्ति के लिए कई बार आवेदन दिया गया है. लेकिन कोई सुनने वाला नहीं है. इसके लिए सरकार ज़िम्मेदार है.

अररिया सदर अस्पताल

नर्स के भरोसे चल रहा उपस्वास्थ केंद्र
सदर अस्पताल में ब्लड बैंक, हड्डी डॉक्टर, पैथोलॉजी इत्यादि की कमी है. जिले के कई उपस्वास्थ केंद्र चोर उच्चकों के लिए ऐशगाह बन चुका है. जबकि कई जगह नर्स के सहारे चल रहा है. जहां इलाज भगवान भरोसे ही होता है.

Intro:सिर्फ़ 12 डॉक्टर के सहारे चल रहा है अररिया सदर अस्पताल, जहां की आबादी 19 लाख है मरीज़ को इलाज के लिए काफ़ी परेशानी उठाना पड़ता है। अररिया सीएस ने कहा डॉक्टर की कमी के ज़िम्मेदार यहां की सरकार है, हमसे जितना संभव होता है उतना ही कर पाते हैं इलाज। कई बार मरीज़ के परिजन इससे नाराज़ होकर डॉक्टर के साथ मार पिटाई की जाती है। डॉक्टरस की मांग को लेकर कई बार आवेदन दे चुके हैं फ़िर भी कोई सुनवाई नहीं होता है।


Body:अररिया सदर अस्पताल आज खुद अपने स्वास्थ्य को लेकर आस्वस्त महसूस कर रहा है। यहां इलाज कराने आए मरीज़ बताते हैं कि यहां डॉक्टर टाइम पर इलाज नहीं कर पाते हैं क्योंकि मरीज़ो की तादाद ज़्यादा है और डॉक्टर कम जिस वजह से कई दफ़ा मरीज़ का इलाज के अभाव में मौत भी हो चुका है। इलाज के लिए आए हैं तो बेड नहीं है ज़मीन पर लेटे हैं बेड है तो चादर नहीं है। ब्लड बैंक, हड्डी डॉक्टर, पैथोलॉजी इत्यादि की बहुत कमी है। यहां की कुल आबादी 19 लाख है जिसमें महिलाओं की संख्या सवा 9 लाख है बाक़ी पुरूष है। पूरे ज़िले में 200 डॉक्टर की ज़रूरत है। यहां एक भी महिला डॉक्टर नहीं है कहने को 61 डॉक्टर पदस्थापित हैं पर अस्पताल में 24 घंटे सिर्फ़ आठ ही डॉक्टर मौजूद होते हैं। ऐसे में सीमांचल का सबसे पिछड़ा इलाक़ा जहां के लोग गरीब है लोग पैसे के लिए दिल्ली, पंजाब पलायन कर जाते हैं। ऐसे में इन महिलाओं को निजी अस्पताल में इलाज कराना पड़ता है जहां पैसों की कमी हो जाती है तो मरीज़ की मौत हो जाती है। ज़िले में कई उपस्वास्थ केंद्र हैं वो या तो चोर उच्चकों का ऐशगाह बन चुका है जहां एक दो खुला है वो नर्स के सहारे चल रहा है। यहां विशेषज्ञ डॉक्टर है ही नहीं जो भी इलाज होता है वो भगवान भरोसे। इस मामले में सदर अस्पताल के उपाधीक्षक जे एन माथुर बताते हैं कि यहां डॉक्टर के साथ साथ जीएनएम की घोर कमी है, 70 जीएनएम पूरे अररिया के लिए है पर काम सिर्फ़ 15 जीएनएम है। कई बार डॉक्टर एवं जीएनएम की नियुक्ति के लिए आवेदन दे थक चुका हूं पर अब तक कुछ नहीं हो सका है। इसके लिए सरकार ज़िम्मेदार है।


Conclusion:अस्पताल का विसुअल, मरीज़ का विसुअल
मरीज़ इलाज कराने आए उसका बाइट
अस्पताल उपाधीक्षक जे एन माथुर की बाइट


कुछ विसुअल अस्पताल का रूटीन ख़बर चमकी को लेकर बैठक हुई है उसके साथ जाएगा। सर्
Last Updated : Jun 28, 2019, 3:24 PM IST
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