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पूर्व केंद्रीय मंत्री बोले- NRC बीजेपी नहीं देश का मुद्दा, बिहार में भी हो घुसपैठियों की 'नो एंट्री' - बांग्लादेशी घुसपैठी

असम में एनआरसी मामले के बाद अब बिहार में भी बीजेपी नेताओं ने इसकी मांग तेज कर दी है. एमएलसी प्रोफेसर संजय पासवान ने कहा बिहार में भी घुसपैठियों पर रोक लगनी चाहिए.

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Published : Sep 5, 2019, 3:25 PM IST

अररिया: पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रोफेसर संजय पासवान ने एनआरसी मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि एनआरसी का मुद्दा बीजेपी का नहीं बल्कि पूरे देश का है. राज्य सरकार को भी इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

असम में एनआरसी मामले के बाद अब बिहार में भी इसे लागू करने की चर्चा होने लगी है. इसको लेकर एमएलसी संजय पासवान ने कहा कि इस मामले पर बीजेपी का क्लियर स्टैंड है. असम, गुजरात, कश्मीर या फिर देश का कोई भी राज्य जहां दूसरे लोग घुसपैठ कर रहे हैं, उनकी पहचान होनी जरूरी है.

'घुसपैठियों के लिए चिकन नेक है अररिया'
संजय पासवान ने कहा कि ऐसे लोगों को चिह्नित करना राज्य सरकार का भी कर्तव्य बनता है. अगर अररिया की बात करें तो यहां से सबसे ज्यादा घुसपैठ होती है. इसके बाद लोग देश के किसी भी कोने में पहुंच जाते हैं. अररिया इस मामले में चिकन नेक के रूप में जाना जाता है. इसीलिए इस पॉइंट पर इंट्री रोकना जिला प्रशासन के साथ बिहार सरकार की जिम्मेदारी है. इस पर चौकस होने की आवश्यकता है. यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है.

MLC संजय पासवान का बयान

'घुसपैठियों की वजह से जनसंख्या असंतुलित'
दरअसल, सीमांचल के पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया में जिस रफ्तार से आबादी बढ़ रही है इसे देखते हुए बीजेपी बार-बार विदेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाती रही है. उनका मानना है कि बांग्लादेशियों ने इन जिलों में घुसपैठ की है. इससे यहां की आबादी असंतुलित हो रही है. इसी को लेकर बीजेपी के नेता इन इलाकों के लिए एनआरसी का मुद्दा उठाते हैं.

NRC राष्ट्रीय मुद्दा- संजय पासवान
इनका मानना है कि इन इलाकों में बांग्लादेशी बड़े पैमाने पर फैले हुए हैं. इसलिए अररिया पहुंचे पूर्व केंद्र मंत्री संजय पासवान ने भी यह मुद्दा उठाया और कहा कि सहयोगी दल के कहने से कुछ नहीं होगा. सहयोगी दल क्या कहते है उसका इस मुद्दे से सरोकार नहीं है. यह राष्ट्र का मुद्दा हैं.

'UNO के इंस्ट्रक्शन पर हो काम'
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम मानव अधिकार का हनन नहीं करना चाहते. मानवाधिकार के तहत घुसपैठियों के लिए कोई दूसरी व्यवस्था करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि मानवहित में हम यूएनओ के इंस्ट्रक्शन पर काम करेंगे.

क्या है NRC?
दरअसल, असम देश का इकलौता राज्य है जहां एनआरसी बनाया जा रहा है. आसान भाषा में कहें तो एनआरसी वह प्रक्रिया है जिससे देश में गैर कानूनी तौर पर रह रहे विदेशी लोगों को खोजने की कोशिश की जाती है.

असम में NRC का महत्व
असम में आजादी के बाद 1951 में पहली बार नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन बना था. यहां यह जान लेना जरूरी है कि 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया तब पूर्वी बंगाल और असम के रूप में एक नया प्रांत बनाया गया था. तब असम को पूर्वी बंगाल से जोड़ा गया था.

जब देश का बंटवारा हुआ तो यह डर भी पैदा हो गया कि कहीं यह पूर्वी पाकिस्तान के साथ जोड़कर भारत से अलग न कर दिया जाए. यह रजिस्टर 1951 की जनगणना के बाद तैयार हुआ था. उसमें तब से असम के रहने वालों वाले लोगों को शामिल किया गया था.

अररिया: पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रोफेसर संजय पासवान ने एनआरसी मुद्दे पर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि एनआरसी का मुद्दा बीजेपी का नहीं बल्कि पूरे देश का है. राज्य सरकार को भी इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है.

असम में एनआरसी मामले के बाद अब बिहार में भी इसे लागू करने की चर्चा होने लगी है. इसको लेकर एमएलसी संजय पासवान ने कहा कि इस मामले पर बीजेपी का क्लियर स्टैंड है. असम, गुजरात, कश्मीर या फिर देश का कोई भी राज्य जहां दूसरे लोग घुसपैठ कर रहे हैं, उनकी पहचान होनी जरूरी है.

'घुसपैठियों के लिए चिकन नेक है अररिया'
संजय पासवान ने कहा कि ऐसे लोगों को चिह्नित करना राज्य सरकार का भी कर्तव्य बनता है. अगर अररिया की बात करें तो यहां से सबसे ज्यादा घुसपैठ होती है. इसके बाद लोग देश के किसी भी कोने में पहुंच जाते हैं. अररिया इस मामले में चिकन नेक के रूप में जाना जाता है. इसीलिए इस पॉइंट पर इंट्री रोकना जिला प्रशासन के साथ बिहार सरकार की जिम्मेदारी है. इस पर चौकस होने की आवश्यकता है. यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है.

MLC संजय पासवान का बयान

'घुसपैठियों की वजह से जनसंख्या असंतुलित'
दरअसल, सीमांचल के पूर्णिया, कटिहार, किशनगंज और अररिया में जिस रफ्तार से आबादी बढ़ रही है इसे देखते हुए बीजेपी बार-बार विदेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाती रही है. उनका मानना है कि बांग्लादेशियों ने इन जिलों में घुसपैठ की है. इससे यहां की आबादी असंतुलित हो रही है. इसी को लेकर बीजेपी के नेता इन इलाकों के लिए एनआरसी का मुद्दा उठाते हैं.

NRC राष्ट्रीय मुद्दा- संजय पासवान
इनका मानना है कि इन इलाकों में बांग्लादेशी बड़े पैमाने पर फैले हुए हैं. इसलिए अररिया पहुंचे पूर्व केंद्र मंत्री संजय पासवान ने भी यह मुद्दा उठाया और कहा कि सहयोगी दल के कहने से कुछ नहीं होगा. सहयोगी दल क्या कहते है उसका इस मुद्दे से सरोकार नहीं है. यह राष्ट्र का मुद्दा हैं.

'UNO के इंस्ट्रक्शन पर हो काम'
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि हम मानव अधिकार का हनन नहीं करना चाहते. मानवाधिकार के तहत घुसपैठियों के लिए कोई दूसरी व्यवस्था करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने कहा कि मानवहित में हम यूएनओ के इंस्ट्रक्शन पर काम करेंगे.

क्या है NRC?
दरअसल, असम देश का इकलौता राज्य है जहां एनआरसी बनाया जा रहा है. आसान भाषा में कहें तो एनआरसी वह प्रक्रिया है जिससे देश में गैर कानूनी तौर पर रह रहे विदेशी लोगों को खोजने की कोशिश की जाती है.

असम में NRC का महत्व
असम में आजादी के बाद 1951 में पहली बार नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन बना था. यहां यह जान लेना जरूरी है कि 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया तब पूर्वी बंगाल और असम के रूप में एक नया प्रांत बनाया गया था. तब असम को पूर्वी बंगाल से जोड़ा गया था.

जब देश का बंटवारा हुआ तो यह डर भी पैदा हो गया कि कहीं यह पूर्वी पाकिस्तान के साथ जोड़कर भारत से अलग न कर दिया जाए. यह रजिस्टर 1951 की जनगणना के बाद तैयार हुआ था. उसमें तब से असम के रहने वालों वाले लोगों को शामिल किया गया था.

Intro: एनआरसी मुद्दे पर केंद्र सरकार के पूर्व मंत्री और वर्तमान बिहार विधान परिषद के सदस्य प्रोफेसर संजय पासवान ने कहा कि एनआरसी का मुद्दा भाजपा का नहीं बल्कि पूरे देश का है और राज्य सरकार को भी इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।


Body:आसाम में एनआरसी मामले के बाद अब बिहार में भी इस बात को लेकर चर्चा होने लगी है कि इस पर यहां भी लागू होना चाहिए इसको लेकर भारत सरकार के पूर्व मंत्री और वर्तमान में एमएलसी प्रोफेसर संजय पासवान ने अररिया में कहां के भाजपा का इस मामले में क्लियर स्टैंड है और और आसाम हो या गुजरात या कश्मीर या फिर देश का कोई अन्य राज्य जहां भी घुसपैठ होकर कोई विदेशी नागरिक रह रहा है उसकी पहचान होनी जरूरी है । उन्होंने कहा आ रहा मामला मानव अधिकार का तो इसके लिए हम यू एन ओ के इंस्ट्रक्शन पर काम करेंगे देश के किसी भी हिस्से में वैसे लोग रह रहे हैं उनको चिन्हित करना बहुत जरूरी है और उन्हें बाहर करना या उनको चिन्हित करना कि किसी भी राज्य सरकार का कर्तव्य बनता है उन्होंने कहा अररिया तो इस मामले में चिकन नेक के रूप में जाना जाता है और यही वह रास्ता है जहां से विदेशियों की घुसपैठ होती है इसीलिए इस पॉइंट के इंट्री को रोकना जिला प्रशासन के साथ बिहार सरकार की जिम्मेदारी है और हमें इस पर चौकस होने की आवश्यकता है यह बहुत बड़ी चिंता का विषय है ।
दरअसल सीमांचल के पूर्णिया कटिहार किशनगंज और अररिया में जिस रफ्तार से आबादी बढ़ रही है इस जनसंख्या का को देखते हुए भाजपा बार-बार विदेशी घुसपैठ का मुद्दा उठाती रही है उनका मानना है कि बांग्लादेशियों का इन जिलों में घुसपैठ हुआ है जिससे आबादी असंतुलित हो रही है इसी को लेकर भाजपा के नेतागण इन इलाकों के लिए एनआरसी का मुद्दा उठाते हैं जिसमें उनका मानना है कि इन इलाकों में बांग्लादेशी बड़े पैमाने पर फैले हुए हैं । इसी को लेकर अररिया पहुंचे पूर्व केंद्र मंत्री प्रोफेसर संजय पासवान ने भी कहा है के सहयोगी दल के कहने से कुछ नहीं होगा यह राष्ट्र का मुद्दा है ।
बाइट - प्रो.संजय पासवान, पूर्व केंद्रीय मंत्री सह सदस्य बिहार विधान परिषद ।


Conclusion:दरअसल असम देश का इकलौता राज्य है जहां एनआरसी बनाया जा रहा है आसान भाषा में कहें तो एनआरसी वह प्रक्रिया है जिसे देश में गैर कानूनी तौर पर रह रहे विदेशी लोगों को खोजने की कोशिश की जाती है असम में आजादी के बाद 1951 में पहली बार नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन बना था यहां यह जान लेना जरूरी है कि 1905 में जब अंग्रेजों ने बंगाल का विभाजन किया तब पूर्वी बंगाल और असम के रूप में एक नया प्रांत बनाया गया था तब आसाम को पूर्वी बंगाल से जोड़ा गया था जब देश का बंटवारा हुआ तो यह डर भी पैदा हो गया कि कहीं यह पूर्वी पाकिस्तान के साथ जोड़कर भारत से अलग न कर दिया जाए यह रजिस्टर 1951 की जनगणना के बाद तैयार हुआ था और उसमें तब से आसाम के रहने वालों वाले लोगों को शामिल किया गया था ।
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