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बिहार: गोद में बीमार बच्ची को लेकर 15 km पैदल चला बेबस पिता, बोला- बस ठीक हो जाये बिटिया - बिहार सरकार

कोरोना वायरस के चलते देशभर में लागू लॉक डाउन ने आम जन जीवन को अस्त व्यस्त कर दिया है. लोग जहां घरों में कैद हैं, तो वहीं उन्हें इमरजेंसी के दौरान भी आने-जाने का कोई साधन नहीं मिल रहा है. ऐसे में सरकारी सेवाएं किस तरह लापरवाही बरत रही हैं, रेणु की धरती का ये वाक्या सब बयां कर देगा...

बिहार की ताजा खबर
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Published : Apr 16, 2020, 7:59 PM IST

अररिया: फणीश्वर नाथ 'रेणु' की धरती से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को कैसे सुधारा जाए. ऐसा क्या किया जाए कि रूह कंपा देने वाली तस्वीरें सामने आना बंद हो जाएं. दरअसल, जिले के फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल पहुंचे एक पिता ने जो किया वो सारी व्यवस्थाओं को धता बता रहा है.

लॉक डाउन में सुविधा नहीं मिलने पर एक पीड़ित पिता ने अपनी बीमार बेटी के इलाज के लिये पैदल ही 15 किलोमीटर का सफर तय किया. इसके बाद अस्पताल पहुंचे पिता ने दवा लेकर वापस भी पैदल ही सफर शुरू कर दिया. अपने कंधों पर बेटी को उठाये पिता ने बस इतना कहा क्या करूं साहब, बेटी है. कुछ नहीं जानता.

अपनी बेटी के साथ बेबस पिता

उमेश पैदल ही चल पड़े घर
पीड़ित उमेश ने बताया कि वे सिमराहा हिंगना औराही का रहने वाला है. उसकी पुत्री बहुत बीमार थी. लॉक डाउन में किसी भी तरह का सुविधा नहीं मिलने पर वह पैदल ही अपनी बेटी को कंधे पर लेकर फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल पहुंच गया. उसने बताया कि कि अनुमंडल अस्पताल में तैनात चिकित्सकों ने तत्काल इलाज किया. और बाहर ले जाने की सलाह दी. पीड़ित पिता को सरकारी एम्बुलेंस की कोई सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी. ऐसे में बेबस लाचार पिता फिर एक बार अपने घर के लिये रवाना हो गया.

हाल ही में कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आयी थी, जब एक 3 साल के बेटे ने अपनी मां की गोद में दम तोड़ दिया था. जिसके पीछे का कारण एम्बुलेंस न मिलना और समय पर इलाज न होना बताया जा रहा था. पिता ने साफ आरोप लगाया कि उसको अगर ससमय अस्पताल पहुंचाया जाता, तो शायद आज उसका लाल जिंदा होता.

पढ़ें ये रिपोर्ट- लॉकडाउन में एम्बुलेंस नहीं मिली, बच्चे की मौत होने पर मां का कलेजा आया बाहर

अररिया: फणीश्वर नाथ 'रेणु' की धरती से एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था को कैसे सुधारा जाए. ऐसा क्या किया जाए कि रूह कंपा देने वाली तस्वीरें सामने आना बंद हो जाएं. दरअसल, जिले के फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल पहुंचे एक पिता ने जो किया वो सारी व्यवस्थाओं को धता बता रहा है.

लॉक डाउन में सुविधा नहीं मिलने पर एक पीड़ित पिता ने अपनी बीमार बेटी के इलाज के लिये पैदल ही 15 किलोमीटर का सफर तय किया. इसके बाद अस्पताल पहुंचे पिता ने दवा लेकर वापस भी पैदल ही सफर शुरू कर दिया. अपने कंधों पर बेटी को उठाये पिता ने बस इतना कहा क्या करूं साहब, बेटी है. कुछ नहीं जानता.

अपनी बेटी के साथ बेबस पिता

उमेश पैदल ही चल पड़े घर
पीड़ित उमेश ने बताया कि वे सिमराहा हिंगना औराही का रहने वाला है. उसकी पुत्री बहुत बीमार थी. लॉक डाउन में किसी भी तरह का सुविधा नहीं मिलने पर वह पैदल ही अपनी बेटी को कंधे पर लेकर फारबिसगंज अनुमंडल अस्पताल पहुंच गया. उसने बताया कि कि अनुमंडल अस्पताल में तैनात चिकित्सकों ने तत्काल इलाज किया. और बाहर ले जाने की सलाह दी. पीड़ित पिता को सरकारी एम्बुलेंस की कोई सुविधा मुहैया नहीं करायी गयी. ऐसे में बेबस लाचार पिता फिर एक बार अपने घर के लिये रवाना हो गया.

हाल ही में कुछ ऐसी ही तस्वीर सामने आयी थी, जब एक 3 साल के बेटे ने अपनी मां की गोद में दम तोड़ दिया था. जिसके पीछे का कारण एम्बुलेंस न मिलना और समय पर इलाज न होना बताया जा रहा था. पिता ने साफ आरोप लगाया कि उसको अगर ससमय अस्पताल पहुंचाया जाता, तो शायद आज उसका लाल जिंदा होता.

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