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Afghanistan: तालिबान का फरमान, महिला टीवी एंकर्स के लिए चेहरा ढंकना जरूरी

अफगानिस्तान के तालिबान शासकों ने रविवार को उस आदेश को लागू करना शुरू कर दिया जिसके तहत देश की सभी महिला टीवी समाचार प्रस्तोताओं को प्रसारण के दौरान अपना चेहरा ढंकना आवश्यक कर दिया गया है.

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Published : May 22, 2022, 7:26 PM IST

Taliban
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इस्लामाबाद: तालिबान ने महिला टीवी एंकर्स के लिए चेहरा ढंकने संबंधी आदेश लागू किया है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस आदेश की निंदा की है. बृहस्पतिवार को आदेश की घोषणा के बाद केवल कुछ मीडिया संस्थानों ने आदेश का पालन किया था लेकिन रविवार को तालिबान के शासकों द्वारा आदेश को लागू किये जाने के बाद ज्यादातर महिला प्रस्तोताओं को अपने चेहरे ढंके हुए देखा गया.

टोलो न्यूज की एक टीवी प्रस्तोता सोनिया नियाजी ने कहा कि यह सिर्फ एक बाहरी संस्कृति है, जो हम पर थोपी गई है. जो हमें अपना चेहरा ढंकने के लिए मजबूर करती है और जो हमारे कार्यक्रमों को प्रस्तुत करते समय हमारे लिए एक समस्या पैदा कर सकती है. एक स्थानीय मीडिया अधिकारी ने पुष्टि की कि उनके स्टेशन को पिछले हफ्ते आदेश मिला था लेकिन रविवार को इस आदेश को लागू करने के लिए मजबूर किया गया.

गौरतलब है कि 1996-2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता के दौरान महिलाओं पर बुर्का पहनने समेत कई प्रतिबंध लगाये गये थे. उस वक्त, लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा से वंचित कर दिया गया था और सार्वजनिक जीवन से बाहर रखा गया था.

यह भी पढ़ें- यूक्रेन में यौन हिंसा के विरोध में कान्स रेड कार्पेट पर टॉपलेस हुई महिला, बोली- 'हमारे साथ रेप करना बंद करो'

इस्लामाबाद: तालिबान ने महिला टीवी एंकर्स के लिए चेहरा ढंकने संबंधी आदेश लागू किया है. मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस आदेश की निंदा की है. बृहस्पतिवार को आदेश की घोषणा के बाद केवल कुछ मीडिया संस्थानों ने आदेश का पालन किया था लेकिन रविवार को तालिबान के शासकों द्वारा आदेश को लागू किये जाने के बाद ज्यादातर महिला प्रस्तोताओं को अपने चेहरे ढंके हुए देखा गया.

टोलो न्यूज की एक टीवी प्रस्तोता सोनिया नियाजी ने कहा कि यह सिर्फ एक बाहरी संस्कृति है, जो हम पर थोपी गई है. जो हमें अपना चेहरा ढंकने के लिए मजबूर करती है और जो हमारे कार्यक्रमों को प्रस्तुत करते समय हमारे लिए एक समस्या पैदा कर सकती है. एक स्थानीय मीडिया अधिकारी ने पुष्टि की कि उनके स्टेशन को पिछले हफ्ते आदेश मिला था लेकिन रविवार को इस आदेश को लागू करने के लिए मजबूर किया गया.

गौरतलब है कि 1996-2001 तक अफगानिस्तान में तालिबान की सत्ता के दौरान महिलाओं पर बुर्का पहनने समेत कई प्रतिबंध लगाये गये थे. उस वक्त, लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा से वंचित कर दिया गया था और सार्वजनिक जीवन से बाहर रखा गया था.

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