कराची : पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय ने देश और दुनिया के बाकी हिस्सों में कोविड-19 के प्रकोप के मद्देनजर 'मानवता पहले' अभियान शुरू किया है.
यह पहल दुनियाभर में अहमदिया समुदाय के सर्वोच्च प्रमुख मिर्जा मसरूर अहमद के दिशा-निर्देशों के तहत की गई है, दरअसल, पाकिस्तान में कोरोना संक्रमण के मामले सात हजार के पार हो चुके हैं. इसके मद्देनजर मसरूर अहमद ने इस अभियान को शुरू करने का फैसला किया.
समुदाय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार कोरोना वायरस के चलते अहमदिया समुदाय के कार्यकर्ता पाकिस्तान के विभिन्न हिस्सों में विशेष रूप से चिन्योट, सरगोधा, झांग, राजनपुर, रेगिस्तानी क्षेत्रों और पंजाब के बहावलपुर जिलों के चोलिस्तान में दवाओं और सेनिटाइजर सहित राशन और अन्य आवश्यक सामान वितरित कर रहे हैं.
इसके अलावा सिंध प्रांत के थारपारकर, मीरपुर खास और कराची जिलों में अहमदिया समुदाय के कार्यकर्ता भी इन गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं.
उल्लेखनीय है कि अहमदिया समुदाय ने पाकिस्तान के पीएम राहत कोष में तीन करोड़ रुपये दान किए हैं और इसके कैडर भी पाकिस्तान सरकार द्वारा हाल ही में शुरू की गई 'टाइगर फोर्स' में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, ताकि कोविड-19 महामारी से निबटा जा सके.
हालांकि, पाकिस्तान के विभिन्न चरमपंथी, कट्टरपंथी और धार्मिक संगठनों ने सरकार को अहमदिया समुदाय से कोई मदद न लेने की चेतावनी दी है.
इन संगठनों ने सरकार और आम लोगों से अहमदिया समुदाय के इन कल्याणकारी उपायों का बहिष्कार करने की अपील की है.
अंतरराष्ट्रीय खतम ए नबवत के जिला चिन्योट प्रमुख मौलाना मुहम्मद इलियास ने एक वीडियो संदेश जारी कर अहमदिया समुदाय की आलोचना की है और उन्हें 'भारत के हमदर्द' के रूप में पेश किया है.
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मौलाना इलियास विशेष रूप से 1965 के भारत-पाक युद्ध की एक घटना का उल्लेख करते हैं और अहमदिया को पाकिस्तान का गद्दार बताते हैं.
एक अन्य मौलाना ने भी अहमदिया की आलोचना की है. इसके अलावा, हाल ही में कराची में हुई एक घटना में, कुछ लोगों ने अहमदिया समुदाय के कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की, जो गरीब और जरूरतमंद लोगों के बीच आवश्यक वस्तुओं का वितरण कर रहे थे.
इन लोगों ने आरोप लगाया कि अहमदिया समुदाय के कार्यकर्ता राहत सामग्री के साथ लोगों को अपना साहित्य भी वितरित कर रहे थे. वे इस तरह से अपनी विचारधारा को बढ़ावा दे रहे थे और लोगों को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहे थे.