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तेजस्वी का नीतीश सरकार पर तंज, 'सिपाही और चौकीदार को बर्खास्त करना ही शराबबंदी नहीं' - etv bharat bihar

नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने शराबबंदी कानून को लेकर नीतीश सरकार पर तंज कसा है. उन्होंने कहा है कि सिपाही और चौकीदार को बर्खास्त करना ही शराबबंदी नहीं है.

तेजस्वी यादव
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Published : Nov 6, 2021, 8:40 PM IST

पटना: बिहार में शराबबंदी पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. जहरीली शराब (Poisonous Liquor Case) से हुई मौतों को लेकर नीतीश सरकार के सुशासन पर सवाल उठ गए हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने एक बार फिर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि सरकार की मिलीभगत से ही बिहार में शराब का अवैध कारोबार हो रहा है. बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों के लिए सरकार ही जिम्मेदार है. उन्होंने इस बारे में एक ट्वीट भी किया है, जिसमें लिखा है कि सिपाही और चौकीदार को बर्खास्त करना ही शराबबंदी नहीं है.

यह भी पढ़ें- जान पर भारी 'जाम'! बिहार में नहीं थम रहा जहरीली शराब से मौतों का सिलसिला

तेजस्वी यादव ने कहा है कि विगत 3 दिनों में शराब माफिया संग मिल कर बिहार सरकार द्वारा आपूर्ति की गयी जहरीली शराब से बिहार में 50 से अधिक लोगों की संस्थागत हत्या हुई है. उन्होंने आरोप लगाया है कि नीतीश सरकार की अवैध शराब के कारोबार और तस्करी में सीधी एवं प्रत्यक्ष संलिप्तता है.

  • विगत 3 दिनों में शराब माफिया संग मिल बिहार सरकार द्वारा आपूर्ति की गयी जहरीली शराब से बिहार में 50 से अधिक लोगों की संस्थागत हत्या हुई है।

    शोकसंतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ।

    शराबबंदी का ढोंग करने वाले संवेदनहीन मुखिया चुप है क्योंकि मिलीभगत जो है।

    — Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 6, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

तेजस्वी ने कहा कि सिपाही और चौकीदार को बर्खास्त करना ही शराबबंदी नहीं है. बिहार में मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग तथा पुलिस का कोई भी शीर्ष अधिकारी आज तक बर्खास्त नहीं हुआ है. क्योंकि शीर्ष लोगों की मिलीभगत के बिना सरकार शराब नहीं बेच सकती.

नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया है कि क्या यह सच्चाई नहीं है कि थानों से शराब की बिक्री हो रही है? क्या यह सच नहीं है कि वरिष्ठ अधिकारियों और सत्ताधारी नेताओं तक कमीशन नहीं पहुंच रहा है? क्या यह सच नहीं है कि कुख्यात शराब माफियाओं की मुख्यमंत्री आवास में सीधी पहुंच नहीं है? क्या यह यथार्थ नहीं है कि शराबबंदी के नाम पर मुख्यमंत्री द्वारा की गयी हजारों समीक्षा बैठकों का अभी तक का परिणाम शून्य ही नहीं बल्कि तस्करों को प्रोत्साहित करने वाला ही साबित हुआ है.

यह भी पढ़ें- जहरीली शराब से मौत पर संजय जायसवाल का बड़ा बयान, 'शराबबंदी कानून की होनी चाहिए समीक्षा'

पटना: बिहार में शराबबंदी पर एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. जहरीली शराब (Poisonous Liquor Case) से हुई मौतों को लेकर नीतीश सरकार के सुशासन पर सवाल उठ गए हैं. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने एक बार फिर हमला बोला है. उन्होंने कहा है कि सरकार की मिलीभगत से ही बिहार में शराब का अवैध कारोबार हो रहा है. बिहार में जहरीली शराब से हुई मौतों के लिए सरकार ही जिम्मेदार है. उन्होंने इस बारे में एक ट्वीट भी किया है, जिसमें लिखा है कि सिपाही और चौकीदार को बर्खास्त करना ही शराबबंदी नहीं है.

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तेजस्वी यादव ने कहा है कि विगत 3 दिनों में शराब माफिया संग मिल कर बिहार सरकार द्वारा आपूर्ति की गयी जहरीली शराब से बिहार में 50 से अधिक लोगों की संस्थागत हत्या हुई है. उन्होंने आरोप लगाया है कि नीतीश सरकार की अवैध शराब के कारोबार और तस्करी में सीधी एवं प्रत्यक्ष संलिप्तता है.

  • विगत 3 दिनों में शराब माफिया संग मिल बिहार सरकार द्वारा आपूर्ति की गयी जहरीली शराब से बिहार में 50 से अधिक लोगों की संस्थागत हत्या हुई है।

    शोकसंतप्त परिवारों के प्रति हार्दिक संवेदना व्यक्त करता हूँ।

    शराबबंदी का ढोंग करने वाले संवेदनहीन मुखिया चुप है क्योंकि मिलीभगत जो है।

    — Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) November 6, 2021 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

तेजस्वी ने कहा कि सिपाही और चौकीदार को बर्खास्त करना ही शराबबंदी नहीं है. बिहार में मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग तथा पुलिस का कोई भी शीर्ष अधिकारी आज तक बर्खास्त नहीं हुआ है. क्योंकि शीर्ष लोगों की मिलीभगत के बिना सरकार शराब नहीं बेच सकती.

नेता प्रतिपक्ष ने सवाल उठाया है कि क्या यह सच्चाई नहीं है कि थानों से शराब की बिक्री हो रही है? क्या यह सच नहीं है कि वरिष्ठ अधिकारियों और सत्ताधारी नेताओं तक कमीशन नहीं पहुंच रहा है? क्या यह सच नहीं है कि कुख्यात शराब माफियाओं की मुख्यमंत्री आवास में सीधी पहुंच नहीं है? क्या यह यथार्थ नहीं है कि शराबबंदी के नाम पर मुख्यमंत्री द्वारा की गयी हजारों समीक्षा बैठकों का अभी तक का परिणाम शून्य ही नहीं बल्कि तस्करों को प्रोत्साहित करने वाला ही साबित हुआ है.

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