पटना : राष्ट्रीय जनता दल के लिए वर्ष 2019 कई ऐसी यादें छोड़ गया, जिनसे वे हमेशा पीछा छुड़ाना चाहेंगे. एक तरफ जहां तेजस्वी यादव और पार्टी के लिए लोकसभा चुनाव किसी बुरे सपने से कम नहीं रहा. वहीं पूरे साल तेजप्रताप यादव पार्टी और परिवार के लिए मुसीबत खड़ी करते रहे.
तेज प्रताप ने लगाया जनता दरबार
साल की शुरुआत पहले ही दिन तेज प्रताप यादव जनता दरबार लगाने पार्टी कार्यालय पहुंचे. उसके बाद कई दिनों तक तेज प्रताप ने जनता दरबार लगाया और पार्टी में खुद की पकड़ मजबूत बनाने की कोशिश करते रहे. हालांकि पार्टी का कोई भी बड़ा नेता उनके समर्थन में खड़ा नहीं दिखा.
लोकसभा चुनाव में पसंदीदा उम्मीदवारों को टिकट दिलाने पर अड़े
इसके बाद एक बड़ा मौका आया लोकसभा चुनाव का, जब तेज प्रताप यादव अपने पसंदीदा उम्मीदवारों को टिकट दिलाने पर अड़ गए. जब पार्टी के साथ-साथ उनके भाई तेजस्वी ने उनकी बात नहीं सुनी तो तेज प्रताप ने लालू राबड़ी मोर्चा बनाकर वैशाली, शिवहर और जहानाबाद में प्रत्याशी उतार दिए. इसका खामियाजा पार्टी को भुगतना पड़ा. जहानाबाद में राजद के उम्मीदवार सुरेंद्र यादव कुछ हजार मतों से चुनाव हार गए.
तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच अनबन की आई खबरें
तेज प्रताप यादव कई मौके पर अपने छोटे भाई तेजस्वी के साथ भी खड़े दिखाई दिए और उनको अपना अर्जुन बताकर युद्ध में साथ देने और विजय प्राप्त करने का आशीर्वाद भी दिया. लेकिन तेजस्वी और तेजप्रताप के बीच अनबन की खबरें पूरे साल चलती रही.
पत्नी ऐश्वर्या से तलाक की दी अर्जी
पिछले साल नवंबर में ऐश्वर्या से तलाक की अर्जी देने वाले तेजप्रताप के लिए पूरा साल फैमिली कोर्ट में हाजिरी लगाते बीता. साल के अंत तक तेज प्रताप यादव और ऐश्वर्य का मामला सड़क पर पहुंच गया. ऐश्वर्या ने 10 सर्कुलर रोड में अपनी सास राबड़ी देवी पर मारपीट करने का आरोप लगाया और आखिरकार मामला थाने में पहुंच गया. ऐश्वर्या और उसके बाद राबड़ी देवी ने एक दूसरे के खिलाफ मारपीट और अन्य मामलों को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई.
विधानसभा क्षेत्र महुआ में तेज प्रताप की उपस्थिति नदारद
अपने पूजा-पाठ और वृंदावन मथुरा में विशेष दिलचस्पी रखने वाले तेज प्रताप यादव भले ही कई बार मंदिरों के चक्कर लगाते दिखे लेकिन अपने विधानसभा क्षेत्र महुआ में उनकी उपस्थिति ना के बराबर रही. बीजेपी ने तो तेज प्रताप को पार्टी और परिवार को डुबोने वाला करार दिया.