पटना: राजधानी के कई सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों की हालत खस्ता है. इन अस्पतालों में कई सुविधाएं चालू तो की गई थी, लेकिन अब यहां बदहाली का मंजर है. यहां आने वाले मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है.
मरीजों की फजीहत
शहर के छोटे अस्पताल जिसमें गार्डिनर रोड अस्पताल, लोकनायक जयप्रकाश नारायण राजवंशी नगर हड्डी अस्पताल ,राजेंद्र नगर अस्पताल, गर्दनीबाग अस्पताल एवं गुरु गोविंद सिंह अस्पताल में बदहाली का मंजर छाया है. सभी अस्पतालों को सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का दर्जा हासिल है. इन अस्पतालों में कहीं दवाओं की कमी तो कहीं मशीनों का बुरा हाल है ऐसे में मरीजों का काफी फजीहत झेलनी पड़ रही है.
1.गार्डिनर रोड अस्पताल
यह अस्पताल एंडोक्राइन के इलाज के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल घोषित है. यहां सबसे ज्यादा एक्स रे और अल्ट्रासाउंड की जांच की जरूरत पड़ती है, लेकिन यहां अक्सर जांच मशीन ही खराब हो जाती है. कभी-कभी जांच का जिम्मा संभालने वाली कंपनी बीच में जांच करवाना ही बंद कर देती हैं. कंपनियों के मुताबिक राज्य स्वास्थ समिति की ओर से पेमेंट का भुगतान समय पर नहीं होने से जांच बंद करना जरुरी हो जाता हैं.
2.गर्दनीबाग अस्पताल
इस अस्पताल में रोजाना दर्जनों प्रसुति की डिलीवरी होती है, यहां एनेस्थेसिया के स्थाई विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं है. अगर सर्जरी से डिलीवरी की नौबत आ जाए तो फोन कर एनेस्थेसिया के डॉक्टर को बुलाना पड़ता है. यहां तक कि रात में बिजली कट जाने के बाद जेनरेटर की भी सुविधा नहीं है.
3.राजेंद्र नगर अस्पताल
आंख के इलाज के लिए राजेंद्र नगर नेत्रालय में 1 साल में मुश्किल से 3 से 4 महीने में मरीजों का लेंस लगता है या फिर मोतियाबिंद का ऑपरेशन होता है.इसके अलावा बाकी दिन यहां भी बदइंतजामी का आलम होता है.
4.एलएनजेपी अस्पताल
हड्डी अस्पताल में ट्रामा सेंटर नहीं होने से गंभीर मरीज सीधे पीएमसीएच रेफर होते हैं. इसीलिए आपात स्थिति में भर्ती होने वाले मरीजों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है.
प्रारंभिक स्वास्थ्य समस्याओं को दूर करने की जिम्मेदारी अर्बन हेल्थ केयर सेंटर की है. शहर के सभी केंद्रों पर अनुभवी डॉक्टर हैं, लेकिन फिर भी लोग प्रारंभिक इलाज के लिए पीएमसीएच, एम्स जैसे संस्थानों में पहुंच जाते हैं, जिसमें बदलाव की जरुरत है. अर्बन हेल्थ केयर सेंटरों में सुविधा बढ़ाने की ओर विशेष ध्यान देने की पहल की जानी चाहिए.