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पटना ग्रामीण में पराली प्रबंधन नहीं होने से किसान परेशान, ETV भारत के जरिए लगाई मदद की गुहार

पटना जिले के ग्रामीणों इलाकों में इन दिनों बड़े पैमाने पर धान की कटाई हो रही है. ऐसे में किसानों के सामने पराली प्रबंधन (stubble problem in patna rural) की बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है. किसानों ने ETV भारत के जरिए सरकार से मदद की गुहार लगाई है. पढ़ें पूरी खबर..

पटना ग्रामीण में पराली प्रबंधन नहीं होने से किसान परेशान,
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Published : Nov 17, 2021, 1:59 PM IST

पटना: राजधानी पटना के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों खेतों में धान के कटनी शुरू हो गई है. अधिकांश किसान अब धान की कटाई हार्वेस्टर से कराने लगे हैं. इससे खेतों में धान का अवशेष बच जाता है. ऐसे में किसानों की इन दिनों पराली प्रबंधन (stubble problem in patna rural) एक बड़ी समस्या बन गई है. जिसे लेकर लगातार सरकार से पराली डीकंपोज करने को लेकर मशीन और दवा की मांग कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें : पराली जलाने वाले 8 किसानों पर कार्रवाई, 3 साल तक सरकारी योजना का नहीं मिलेगा फायदा

धान की कटनी खेतों में शुरू हो गई है. जिसके बाद अब रबी की बुआई होने को है. लेकिन इन दिनों किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या पराली प्रबंधन की है. किसानों ने कहा कि पराली प्रबंधन को लेकर सरकार बड़ी-बड़ी बातें तो करती है मगर किसानों के लिए सुविधाएं नहीं के बराबर हैं. धान की कटनी के बाद खेतों में बचे हुए पराली का प्रबंधन करने के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं नजर आ रहा है. सरकार द्वारा लगातार पराली नष्ट कराने एवं दवा के छिड़काव करने की बात कही जाती है, लेकिन किसानों को सुविधा नहीं मिल रही है.

देखें वीडियो

ऐसे में किसान परेशान हैं, वहीं रबी बुआई का समय भी निकलता जा रहा है. सरकारी अधिकारियों द्वारा किसानों को लगातार चेतावनी दी जा रही है कि खेतों में पराली ना जलाएं. इससे वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत के माध्यम से सभी किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि खेतों में जहां-जहां हार्वेस्टर मशीन के द्वारा कटनी हुई है. वहां किसानों को चिन्हित कर दवा का छिड़काव होना चाहिए. ताकि जल्द से जल्द पराली नष्ट हो जाए. पटना ग्रामीण के आसपास के सैकड़ों एकड़ में लगे हुए खेत की कटनी में पराली के प्रबंधन को लेकर किसान चिंतित है.

'सरकार कह रही है कि पराली नहीं जलायें, हम भी चाहते हैं कि हम लोग इसे नहीं जलायें. इससे प्रदूषण फैलता है. लेकिन इस मामले में सरकार हमारी कोई मदद नहीं कर रही है. कृषि विभाग को पराली प्रबंधन के लिए दवा दे ताकि खेतों में पराली गल जाये.' :- सीताराम सिंह, किसान, भैसवां मसौढी

बता दें कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ता है. साथ ही इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी खत्म होती है. सरकार को पराली प्रबंधन कराने को लेकर गंभीरता से सोचना चाहिए. पराली को नष्ट कराने के लिए केमिकल दवा एवं मशीन की नितांत आवश्यक है. इसके बावजूद अभी तक किसानों को यह सुविधा नहीं मिल रही है. ऐसे में किसान चिंतित हैं कि रबी की बुआई का समय निकलता जा रहा है जबकि खेतों में पराली अभी तक पड़ा हुआ है.

ये भी पढ़ें : बिहार में अब ऑनलाइन होगा ई चालान, इस लिंक पर जाकर भर सकते हैं जुर्माना

पटना: राजधानी पटना के ग्रामीण इलाकों में इन दिनों खेतों में धान के कटनी शुरू हो गई है. अधिकांश किसान अब धान की कटाई हार्वेस्टर से कराने लगे हैं. इससे खेतों में धान का अवशेष बच जाता है. ऐसे में किसानों की इन दिनों पराली प्रबंधन (stubble problem in patna rural) एक बड़ी समस्या बन गई है. जिसे लेकर लगातार सरकार से पराली डीकंपोज करने को लेकर मशीन और दवा की मांग कर रहे हैं.

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धान की कटनी खेतों में शुरू हो गई है. जिसके बाद अब रबी की बुआई होने को है. लेकिन इन दिनों किसानों के सामने सबसे बड़ी समस्या पराली प्रबंधन की है. किसानों ने कहा कि पराली प्रबंधन को लेकर सरकार बड़ी-बड़ी बातें तो करती है मगर किसानों के लिए सुविधाएं नहीं के बराबर हैं. धान की कटनी के बाद खेतों में बचे हुए पराली का प्रबंधन करने के लिए उनके पास कोई विकल्प नहीं नजर आ रहा है. सरकार द्वारा लगातार पराली नष्ट कराने एवं दवा के छिड़काव करने की बात कही जाती है, लेकिन किसानों को सुविधा नहीं मिल रही है.

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ऐसे में किसान परेशान हैं, वहीं रबी बुआई का समय भी निकलता जा रहा है. सरकारी अधिकारियों द्वारा किसानों को लगातार चेतावनी दी जा रही है कि खेतों में पराली ना जलाएं. इससे वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है. ऐसे में ईटीवी भारत के माध्यम से सभी किसानों ने सरकार से गुहार लगाई है कि खेतों में जहां-जहां हार्वेस्टर मशीन के द्वारा कटनी हुई है. वहां किसानों को चिन्हित कर दवा का छिड़काव होना चाहिए. ताकि जल्द से जल्द पराली नष्ट हो जाए. पटना ग्रामीण के आसपास के सैकड़ों एकड़ में लगे हुए खेत की कटनी में पराली के प्रबंधन को लेकर किसान चिंतित है.

'सरकार कह रही है कि पराली नहीं जलायें, हम भी चाहते हैं कि हम लोग इसे नहीं जलायें. इससे प्रदूषण फैलता है. लेकिन इस मामले में सरकार हमारी कोई मदद नहीं कर रही है. कृषि विभाग को पराली प्रबंधन के लिए दवा दे ताकि खेतों में पराली गल जाये.' :- सीताराम सिंह, किसान, भैसवां मसौढी

बता दें कि पराली जलाने से वायु प्रदूषण का खतरा बढ़ता है. साथ ही इससे मिट्टी की गुणवत्ता भी खत्म होती है. सरकार को पराली प्रबंधन कराने को लेकर गंभीरता से सोचना चाहिए. पराली को नष्ट कराने के लिए केमिकल दवा एवं मशीन की नितांत आवश्यक है. इसके बावजूद अभी तक किसानों को यह सुविधा नहीं मिल रही है. ऐसे में किसान चिंतित हैं कि रबी की बुआई का समय निकलता जा रहा है जबकि खेतों में पराली अभी तक पड़ा हुआ है.

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