ETV Bharat / city

BJP शीर्ष नेतृत्व का ऐलान- पुत्र या रिश्तेदार के लिए चाहिए टिकट तो छोड़ दें पद - Nepotism in politics

भारतीय जनता पार्टी वंशवाद के आरोपों से बचना चाहती है. ऐसे में अपने पुत्र और रिश्तेदारों के लिए टिकट की चाहत रखने वालों नेताओं को बीजेपी शीर्ष नेतृत्व ने दो टूक जवाब दिया है.

बिहार बीजेपी
बिहार बीजेपी
author img

By

Published : Oct 5, 2020, 2:02 PM IST

पटना: चुनावी साल में बिहार में सियासत तेज है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी में कई नेता ऐसे हैं जो अपने पुत्र के लिए टिकट चाहते हैं. शीर्ष नेतृत्व नेताओं के मांग को लेकर संशय की स्थिति में था. लेकिन पार्टी की ओर से अब यह स्पष्ट कर दिया गया कि जो नेता पुत्र या रिश्तेदारों के लिए टिकट चाहते हैं, वह पद छोड़ने के लिए तैयार रहें.

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद के आरोपों से बचना चाहती है. लेकिन पार्टी के अंदर कई ऐसे नेता है जो अपने रिश्तेदारों या बेटों के लिए विधानसभा की टिकट चाहते हैं. शीर्ष नेतृत्व पर इस बात को लेकर दबाव भी था. लेकिन टिकट बंटवारे से ठीक पहले पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया कि ऐसा संभव नहीं है.

जेपी नड्डा, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष
जेपी नड्डा, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष

बीजेपी के ये नेता कर रहे टिकट की मांग
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे अपने पुत्र अर्जित सास्वत के लिए भागलपुर विधानसभा सीट की मांग कर रहे हैं. अर्जित सास्वत पिछली बार भी भागलपुर से चुनाव लड़े थे. वहीं, पूर्व सांसद सीपी ठाकुर अपने पुत्र दीपक ठाकुर के लिए पाली या विक्रम विधानसभा सीट चाहते हैं. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के पुत्र आदित्य भी भाजपा के सक्रिय राजनीति में हैं. इसके अलावा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल अपने पुत्र प्रमोद को टिकट दिलाना चाहते हैं.

ये नेता भी कर रहे दावेदारी
इसके अलावा विधान पार्षद संजय पासवान अपने पुत्र गुरु प्रकाश के लिए टिकट की चाहत रखते हैं. गोपाल नारायण सिंह अपने पुत्र विक्रम को भी विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहते हैं. बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह के पुत्र रमन सिंह भी चुनावी रण में उतारना चाहते हैं. इसके अलावा पूर्व सांसद दिवंगत भोला सिंह की बहू वीणा देवी ने भी दावेदारी ठोक रखी है.

शीर्ष नेतृत्व पर दबाव की स्थिति
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व नेताओं के दबाव के आगे पशोपेश में थी. लेकिन अब पार्टी ने यह फैसला ले लिया है कि अगर एक नेता के पुत्र को टिकट दिया जाता है तो अन्य नेताओं के पुत्र को भी टिकट दिया जाएगा. मतलब साफ है कि अगर 1 को तवज्जो मिली तो उसका लाभ सबको मिलेगा. भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद के आरोपों से बचना चाहती है लिहाजा पिता या पुत्र में किसी एक को पद या टिकट देने की बात पर सहमति बनी है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि पार्टी इस सिद्धांत पर कब तक चल पाती है.

पटना: चुनावी साल में बिहार में सियासत तेज है. इस बीच भारतीय जनता पार्टी में कई नेता ऐसे हैं जो अपने पुत्र के लिए टिकट चाहते हैं. शीर्ष नेतृत्व नेताओं के मांग को लेकर संशय की स्थिति में था. लेकिन पार्टी की ओर से अब यह स्पष्ट कर दिया गया कि जो नेता पुत्र या रिश्तेदारों के लिए टिकट चाहते हैं, वह पद छोड़ने के लिए तैयार रहें.

दरअसल, भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद के आरोपों से बचना चाहती है. लेकिन पार्टी के अंदर कई ऐसे नेता है जो अपने रिश्तेदारों या बेटों के लिए विधानसभा की टिकट चाहते हैं. शीर्ष नेतृत्व पर इस बात को लेकर दबाव भी था. लेकिन टिकट बंटवारे से ठीक पहले पार्टी नेतृत्व ने साफ कर दिया कि ऐसा संभव नहीं है.

जेपी नड्डा, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष
जेपी नड्डा, बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष

बीजेपी के ये नेता कर रहे टिकट की मांग
केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे अपने पुत्र अर्जित सास्वत के लिए भागलपुर विधानसभा सीट की मांग कर रहे हैं. अर्जित सास्वत पिछली बार भी भागलपुर से चुनाव लड़े थे. वहीं, पूर्व सांसद सीपी ठाकुर अपने पुत्र दीपक ठाकुर के लिए पाली या विक्रम विधानसभा सीट चाहते हैं. केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के पुत्र आदित्य भी भाजपा के सक्रिय राजनीति में हैं. इसके अलावा सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल अपने पुत्र प्रमोद को टिकट दिलाना चाहते हैं.

ये नेता भी कर रहे दावेदारी
इसके अलावा विधान पार्षद संजय पासवान अपने पुत्र गुरु प्रकाश के लिए टिकट की चाहत रखते हैं. गोपाल नारायण सिंह अपने पुत्र विक्रम को भी विधानसभा चुनाव लड़ाना चाहते हैं. बिहार विधान परिषद के सभापति अवधेश नारायण सिंह के पुत्र रमन सिंह भी चुनावी रण में उतारना चाहते हैं. इसके अलावा पूर्व सांसद दिवंगत भोला सिंह की बहू वीणा देवी ने भी दावेदारी ठोक रखी है.

शीर्ष नेतृत्व पर दबाव की स्थिति
भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व नेताओं के दबाव के आगे पशोपेश में थी. लेकिन अब पार्टी ने यह फैसला ले लिया है कि अगर एक नेता के पुत्र को टिकट दिया जाता है तो अन्य नेताओं के पुत्र को भी टिकट दिया जाएगा. मतलब साफ है कि अगर 1 को तवज्जो मिली तो उसका लाभ सबको मिलेगा. भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद के आरोपों से बचना चाहती है लिहाजा पिता या पुत्र में किसी एक को पद या टिकट देने की बात पर सहमति बनी है. अब देखना यह दिलचस्प होगा कि पार्टी इस सिद्धांत पर कब तक चल पाती है.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.