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...तो क्या राष्ट्रीय राजनीति में लालू प्रसाद यादव कांग्रेस पार्टी की मजबूरी हैं !

बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच 20 साल पुराना गठबंधन है. दो सीटों पर हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस और राजद आमने-सामने हैं. लेकिन, इस बीच सोनिया गांधी ने लालू से बातचीत की और लालू प्रसाद यादव ने भी कांग्रेस को बीजेपी का मजबूत विकल्प बता दिया. जिसके बाद से ये समझ से परे है कि आखिर महागठबंधन में पक क्या रहा है. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
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Published : Oct 28, 2021, 8:50 PM IST

पटना: कांग्रेस (Congress) और राजद (RJD) के बीच पुराना गठबंधन है. कांग्रेस की मदद से राजद बिहार और केंद्र सरकार में रही है. दोनों दलों के रिश्तों में उतार चढ़ाव भी आए. विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव दोनों दल अलग-अलग भी लड़े. लेकिन, बाद में साथ हो गए. इस बार उपचुनाव में भी दोनों दल आमने-सामने हैं. दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है.

ये भी पढ़ें- लालू की राह पर तेजस्वी, बेरोजगारी के मुद्दे पर 'रैला' के माध्यम से फिर बढ़ाएंगे नीतीश कुमार की मुश्किलें!

बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच 20 साल पुराना गठबंधन है. राज्य में दोनों दल कई बार अलग-अलग चुनाव लड़े, लेकिन केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जनता दल हमेशा भाजपा विरोधी खेमे में रहा. सोनिया गांधी को लेकर जब विदेशी मूल की बात की थी तब भी लालू प्रसाद यादव मजबूती से सोनिया गांधी के पक्ष में खड़े दिखे और सड़क से लेकर सदन तक सोनिया गांधी के लिए वकालत की.

देखें रिपोर्ट

हालांकि, राज्य के स्तर पर कई बार कांग्रेस और राजद के बीच नूरा कुश्ती हुई. 2010 के विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस की राह अलग-अलग हुई. राजद को 23 सीटों पर जीत हासिल हुई, वहीं कांग्रेस 4 सीटों पर सिमट गई. 2012 के उपचुनाव में भी कांग्रेस और राजद अलग-अलग लड़ीं जिसमें छह सीटों पर चुनाव हुआ, 5 सीटों पर राजद को जीत मिली और 1 सीट जदयू के खाते में गई. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी राजद और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ीं और अब 2021 उपचुनाव में दोनों दल आमने-सामने हैं.

ये भी पढ़ें- बोले मनोज झा-RJD की शिकायत पर SDPO दिलीप झा को कुशेश्वरस्थान में चुनाव कार्य से हटाया गया

कुशेश्वरस्थान सीट कांग्रेस के खाते में थी, लेकिन राजद ने वहां से भी उम्मीदवार खड़े कर दिए और दोनों दलों के बीच विवाद बढ़ गया. इसके बाद कांग्रेस की ओर से तारापुर के साथ-साथ कुशेश्वरस्थान पर भी उम्मीदवार खड़े कर दिए गए. चुनाव प्रचार के दौरान राजद और कांग्रेस के बीच जमकर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चला. लालू प्रसाद यादव ने बिहार कांग्रेस प्रभारी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और छुटभैया नेता तक कह दिया. कांग्रेसी नेताओं ने भी स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में कोई भी चुनाव हम राजद के साथ नहीं लड़ेंगे. इन सबके बीच सोनिया गांधी ने फोन कर लालू प्रसाद यादव से बातचीत की और कांग्रेस नेताओं के तेवर नरम पड़ गए.

''राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को राजद की जरूरत है. लालू प्रसाद यादव ने भाजपा विरोध की राजनीति की. सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव के बीच बातचीत हुई है और दोनों दलों के बीच कोई गतिरोध नहीं है. अगर कांग्रेस नेता गतिरोध उत्पन्न करते हैं तो उन्हें नुकसान होगा.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- 'तेजस्वी CBI हैं या ISI', 'CM नीतीश की खुफिया जानकारी' वाले बयान पर BJP ने पूछा सवाल

''उपचुनाव के बाद दोनों दलों के बीच कैसे रिश्ते होंगे इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है. लेकिन, फिलहाल हम लड़ाई लड़ रहे हैं और हम उपचुनाव में दोनों सीटों पर जीत हासिल करेंगे.''- राजेश राठौर, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस

''कांग्रेस और राजद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. यह कभी भी अलग-अलग नहीं रह सकते हैं. उपचुनाव में एनडीए के वोट में सेंधमारी के लिए कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवार खड़े किए हैं, चुनाव के बाद दोनों दल साथ आ जाएंगे.''- मिथिलेश तिवारी, भाजपा उपाध्यक्ष

''दोनों दल एक दूसरे के लिए मजबूरी हैं. भले ही बिहार में यह लोग आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस राजद के बिना नहीं चल सकती है. जिस तरीके से चुनाव के ठीक पहले सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव में बातचीत हुई है, उससे संकेत साफ है कि चुनाव के बाद फिर दोनों दल पहले की तरह साथ आ जाएंगे.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

यानी जो कुछ भी नूरा कुश्ती कांग्रेस और आरजेडी में चल रही है वो उपचुनाव के घमासान के लिए चल रही है. नतीजों के बाद दोनों दल एक होकर एक-दूसरे का सहारा बनेंगे. फिलहाल तो ऐसे ही राजनीतिक संकेत मिल रहे हैं, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की जरूरत RJD है तो प्रदेश में पैठ जमाने के लिए कांग्रेस को RJD का साथ चाहिए. यही वजह है कि दोनों दल ज्यादा लंबे वक्त तक अलग-अलग न तो चुनाव न लड़ सकते और न ही अलग-अलग रह सकते हैं.

पटना: कांग्रेस (Congress) और राजद (RJD) के बीच पुराना गठबंधन है. कांग्रेस की मदद से राजद बिहार और केंद्र सरकार में रही है. दोनों दलों के रिश्तों में उतार चढ़ाव भी आए. विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव दोनों दल अलग-अलग भी लड़े. लेकिन, बाद में साथ हो गए. इस बार उपचुनाव में भी दोनों दल आमने-सामने हैं. दोनों ओर से आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी जारी है.

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बिहार में कांग्रेस और राजद के बीच 20 साल पुराना गठबंधन है. राज्य में दोनों दल कई बार अलग-अलग चुनाव लड़े, लेकिन केंद्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जनता दल हमेशा भाजपा विरोधी खेमे में रहा. सोनिया गांधी को लेकर जब विदेशी मूल की बात की थी तब भी लालू प्रसाद यादव मजबूती से सोनिया गांधी के पक्ष में खड़े दिखे और सड़क से लेकर सदन तक सोनिया गांधी के लिए वकालत की.

देखें रिपोर्ट

हालांकि, राज्य के स्तर पर कई बार कांग्रेस और राजद के बीच नूरा कुश्ती हुई. 2010 के विधानसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस की राह अलग-अलग हुई. राजद को 23 सीटों पर जीत हासिल हुई, वहीं कांग्रेस 4 सीटों पर सिमट गई. 2012 के उपचुनाव में भी कांग्रेस और राजद अलग-अलग लड़ीं जिसमें छह सीटों पर चुनाव हुआ, 5 सीटों पर राजद को जीत मिली और 1 सीट जदयू के खाते में गई. 2009 के लोकसभा चुनाव में भी राजद और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव लड़ीं और अब 2021 उपचुनाव में दोनों दल आमने-सामने हैं.

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कुशेश्वरस्थान सीट कांग्रेस के खाते में थी, लेकिन राजद ने वहां से भी उम्मीदवार खड़े कर दिए और दोनों दलों के बीच विवाद बढ़ गया. इसके बाद कांग्रेस की ओर से तारापुर के साथ-साथ कुशेश्वरस्थान पर भी उम्मीदवार खड़े कर दिए गए. चुनाव प्रचार के दौरान राजद और कांग्रेस के बीच जमकर आरोप प्रत्यारोप का दौर भी चला. लालू प्रसाद यादव ने बिहार कांग्रेस प्रभारी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की और छुटभैया नेता तक कह दिया. कांग्रेसी नेताओं ने भी स्पष्ट कर दिया कि भविष्य में कोई भी चुनाव हम राजद के साथ नहीं लड़ेंगे. इन सबके बीच सोनिया गांधी ने फोन कर लालू प्रसाद यादव से बातचीत की और कांग्रेस नेताओं के तेवर नरम पड़ गए.

''राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस को राजद की जरूरत है. लालू प्रसाद यादव ने भाजपा विरोध की राजनीति की. सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव के बीच बातचीत हुई है और दोनों दलों के बीच कोई गतिरोध नहीं है. अगर कांग्रेस नेता गतिरोध उत्पन्न करते हैं तो उन्हें नुकसान होगा.''- एजाज अहमद, राजद प्रवक्ता

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''उपचुनाव के बाद दोनों दलों के बीच कैसे रिश्ते होंगे इस पर अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व को करना है. लेकिन, फिलहाल हम लड़ाई लड़ रहे हैं और हम उपचुनाव में दोनों सीटों पर जीत हासिल करेंगे.''- राजेश राठौर, मुख्य प्रवक्ता, कांग्रेस

''कांग्रेस और राजद एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. यह कभी भी अलग-अलग नहीं रह सकते हैं. उपचुनाव में एनडीए के वोट में सेंधमारी के लिए कांग्रेस पार्टी ने उम्मीदवार खड़े किए हैं, चुनाव के बाद दोनों दल साथ आ जाएंगे.''- मिथिलेश तिवारी, भाजपा उपाध्यक्ष

''दोनों दल एक दूसरे के लिए मजबूरी हैं. भले ही बिहार में यह लोग आमने-सामने की लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजनीति में कांग्रेस राजद के बिना नहीं चल सकती है. जिस तरीके से चुनाव के ठीक पहले सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव में बातचीत हुई है, उससे संकेत साफ है कि चुनाव के बाद फिर दोनों दल पहले की तरह साथ आ जाएंगे.''- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

यानी जो कुछ भी नूरा कुश्ती कांग्रेस और आरजेडी में चल रही है वो उपचुनाव के घमासान के लिए चल रही है. नतीजों के बाद दोनों दल एक होकर एक-दूसरे का सहारा बनेंगे. फिलहाल तो ऐसे ही राजनीतिक संकेत मिल रहे हैं, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस की जरूरत RJD है तो प्रदेश में पैठ जमाने के लिए कांग्रेस को RJD का साथ चाहिए. यही वजह है कि दोनों दल ज्यादा लंबे वक्त तक अलग-अलग न तो चुनाव न लड़ सकते और न ही अलग-अलग रह सकते हैं.

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