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तेजस्वी के विरुद्ध CBI की अर्जी पर बाेले शिवानंद, राजनीतिक बदलाव ने उड़ाई बीजेपी की नींद

राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने तेजस्वी यादव की जमानत रद्द करने के लिए CBI द्वारा काेर्ट में दी गयी अर्जी मामले पर बीजेपी पर प्रहार किया है. शिवानंद ने शनिवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि बिहार में हुए राजनीतिक बदलावों ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है (shivanand tiwari attack on bjp).

शिवानंद तिवारी
शिवानंद तिवारी
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Published : Sep 17, 2022, 11:05 PM IST

पटना: तेजस्वी यादव की जमानत रद्द करने के लिए CBI द्वारा काेर्ट में दी गयी अर्जी मामले पर राजनीति बयानबाजी शुरू हाे गयी है. राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने शनिवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि बिहार में हुए राजनीतिक बदलावों ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है (shivanand tiwari attack on bjp). इससे पहले राजद के प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं से बात करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा था कि कानून से बड़ा कोई नहीं है. उन्हाेंने कहा था कि अगर सीबीआई की चलती तो देश के सारे विपक्षी नेता जेल में होते.

इसे भी पढ़ेंः तेजस्वी की जमानत रद्द करने की अर्जी पर राजद प्रवक्ता ने CBI के खिलाफ ऐसे निकाली भड़ास

जब नीतीश भाजपा गठबंधन से अलग हुए तो CBI की नींद खुलीः शिवानंद ने कहा कि सीबीआई ने दिल्ली की विशेष अदालत में तेजस्वी यादव की जमानत को रद्द करने के लिए अर्जी दी है. रेलवे के रांची और उड़ीसा स्थित दो होटलों को दबाव बनाकर नाजायज ढंग से निजी हाथों में दे देने के आरोप की जांच सीबीआई कर रही है. इस मामले में लालू प्रसाद के अलावा राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को भी अभियुक्त बनाया गया है. दिल्ली की विशेष अदालत ने 2018 में ही तेजस्वी और राबड़ी देवी को जमानत दे दी थी. इतने दिनों तक इस मामले में सीबीआई सोई हुई थी. अब अचानक उसकी नींद खुल गई है. वह भी तब जब नीतीश कुमार भाजपा गठबंधन से अलग होकर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हुए हैं.

सीबीआई को ऐसे मामलों की जांच में कितना समय लगाना चाहिएः शिवानंद तिवारी ने यह भी कहा कि दरअसल बिहार में राजनीतिक बदलाव ने भाजपा की नींद उड़ा दी है. 2018 में विशेष अदालत ने तेजस्वी यादव को ज़मानत दी थी. उस समय से अब तक तेजस्वी यादव ने सीबीआई की जांच को प्रभावित नहीं किया. अब अचानक वे जांच को प्रभावित करने लगे हैं. सवाल यह भी है कि सीबीआई ने अबतक इस मामले की जांच को लटका कर क्यों रखा है? चार वर्ष तो तेजस्वी यादव को जमानत लिए हुए हो गए. केस और पहले दर्ज हुआ था. देश की सबसे काबिल, सक्षम और कुशल जांच एजेंसी सीबीआई को ऐसे मामलों की जांच में कितना समय लगाना चाहिए? (shivanand tiwari attack on CBI)

इसे भी पढ़ेंः RJD नेताओं के ठिकाने पर CBI का छापा.. 200 से ज्यादा जमीन के डीड मिले.. 20 किलो से ज्यादा सोना..

"2018 में विशेष अदालत ने तेजस्वी यादव को जमानत दी थी. उस समय से अब तक तेजस्वी यादव ने सीबीआई की जांच को प्रभावित नहीं किया. अब अचानक वे जांच को प्रभावित करने लगे हैं. सवाल यह भी है कि सीबीआई ने अबतक इस मामले की जांच को लटका कर क्यों रखा है"- शिवानंद तिवारी, राजद नेता

राजनीतिक ब्लैक मेलिंग के लिए ऐसे मामलों को लटकवा कर रखा जाताः सीबीआई के इस आचरण से तो यही प्रमाणित होता है कि दिल्ली की मोदी सरकार राजनीतिक ब्लैक मेलिंग के लिए जानबूझकर कर ऐसे मामलों को लटकवा कर रखती है. उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन ऐसा होगा, हमलोग मान कर चल रहे थे. प्रदेश और देश की जनता को इस संभावना से स्वयं तेजस्वी यादव ने आगाह भी कर दिया था. नीतीश कुमार ने भी बता दिया था कि ऐसा होगा तो जनता देखेगी. जनता सब देख और समझ रही है.

पटना: तेजस्वी यादव की जमानत रद्द करने के लिए CBI द्वारा काेर्ट में दी गयी अर्जी मामले पर राजनीति बयानबाजी शुरू हाे गयी है. राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने शनिवार को एक बयान जारी करते हुए कहा कि बिहार में हुए राजनीतिक बदलावों ने बीजेपी की नींद उड़ा दी है (shivanand tiwari attack on bjp). इससे पहले राजद के प्रदेश कार्यालय में संवाददाताओं से बात करते हुए पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कहा था कि कानून से बड़ा कोई नहीं है. उन्हाेंने कहा था कि अगर सीबीआई की चलती तो देश के सारे विपक्षी नेता जेल में होते.

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जब नीतीश भाजपा गठबंधन से अलग हुए तो CBI की नींद खुलीः शिवानंद ने कहा कि सीबीआई ने दिल्ली की विशेष अदालत में तेजस्वी यादव की जमानत को रद्द करने के लिए अर्जी दी है. रेलवे के रांची और उड़ीसा स्थित दो होटलों को दबाव बनाकर नाजायज ढंग से निजी हाथों में दे देने के आरोप की जांच सीबीआई कर रही है. इस मामले में लालू प्रसाद के अलावा राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव को भी अभियुक्त बनाया गया है. दिल्ली की विशेष अदालत ने 2018 में ही तेजस्वी और राबड़ी देवी को जमानत दे दी थी. इतने दिनों तक इस मामले में सीबीआई सोई हुई थी. अब अचानक उसकी नींद खुल गई है. वह भी तब जब नीतीश कुमार भाजपा गठबंधन से अलग होकर राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन में शामिल हुए हैं.

सीबीआई को ऐसे मामलों की जांच में कितना समय लगाना चाहिएः शिवानंद तिवारी ने यह भी कहा कि दरअसल बिहार में राजनीतिक बदलाव ने भाजपा की नींद उड़ा दी है. 2018 में विशेष अदालत ने तेजस्वी यादव को ज़मानत दी थी. उस समय से अब तक तेजस्वी यादव ने सीबीआई की जांच को प्रभावित नहीं किया. अब अचानक वे जांच को प्रभावित करने लगे हैं. सवाल यह भी है कि सीबीआई ने अबतक इस मामले की जांच को लटका कर क्यों रखा है? चार वर्ष तो तेजस्वी यादव को जमानत लिए हुए हो गए. केस और पहले दर्ज हुआ था. देश की सबसे काबिल, सक्षम और कुशल जांच एजेंसी सीबीआई को ऐसे मामलों की जांच में कितना समय लगाना चाहिए? (shivanand tiwari attack on CBI)

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"2018 में विशेष अदालत ने तेजस्वी यादव को जमानत दी थी. उस समय से अब तक तेजस्वी यादव ने सीबीआई की जांच को प्रभावित नहीं किया. अब अचानक वे जांच को प्रभावित करने लगे हैं. सवाल यह भी है कि सीबीआई ने अबतक इस मामले की जांच को लटका कर क्यों रखा है"- शिवानंद तिवारी, राजद नेता

राजनीतिक ब्लैक मेलिंग के लिए ऐसे मामलों को लटकवा कर रखा जाताः सीबीआई के इस आचरण से तो यही प्रमाणित होता है कि दिल्ली की मोदी सरकार राजनीतिक ब्लैक मेलिंग के लिए जानबूझकर कर ऐसे मामलों को लटकवा कर रखती है. उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन ऐसा होगा, हमलोग मान कर चल रहे थे. प्रदेश और देश की जनता को इस संभावना से स्वयं तेजस्वी यादव ने आगाह भी कर दिया था. नीतीश कुमार ने भी बता दिया था कि ऐसा होगा तो जनता देखेगी. जनता सब देख और समझ रही है.

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