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बिहार में शराबबंदी का असर, सड़क दुर्घटनाओं में आयी भारी कमी - परिवहन विभाग बिहार

बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद सड़क दुर्घटनाओं में मौत का आंकड़ा कम हुआ है. परिवहन विभाग के अनुसार दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में शराब पीकर दुर्घटना ना के बराबर हो रही है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट...

बिहार में शराबबंदी
बिहार में शराबबंदी
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Published : Sep 17, 2021, 4:30 PM IST

पटना: बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी (Prohibition in Bihar) है. परिवहन विभाग (Transport Department Bihar) के अनुसार बिहार में शराबबंदी का जो मूल उद्देश्य था, वह कहीं ना कहीं पूरा होता दिख रहा है. परिवहन विभाग के अनुसार दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में शराब पीकर दुर्घटना ना के बराबर हो रही है. परिवहन विभाग के सचिव संजय अग्रवाल (Sanjay Agarwal) के मुताबिक शराब पीने की वजह से दुर्घटना में मौत का मामला कम ही सामने आया है.

यह भी पढ़ें- Viral Video: अस्पताल को बना दिया 'मयखाना', जमकर चली शराब और कबाब पार्टी

'शराबबंदी के कारण सड़क पर कम दुर्घटनाएं हो रही हैं. शराबबंदी का मूल उद्देश्य पूरा होता दिख रहा है. बिहार की सड़कों की स्थिति में सुधार हुआ है. 2 लेन की सड़क फोरलेन में तब्दील हो गयी है. फोरलेन अब सिक्स लेन में तब्दील हो गयी है. सड़क के बढ़िया होने की वजह से पहले की तुलना में और दुर्घटनाओं में भी भारी कमी हो रही है.' -संजय अग्रवाल, सचिव, परिवहन विभाग

देखें रिपोर्ट

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में बिहार में कुल 6764 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जिसमें बिहार में हिट एंड रन के मामले में 1216 मामलों में 1385 लोगों की मौत हुई है. बिहार में सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए परिवहन विभाग ड्राइविंग टेस्ट को पहले से और कठोर बनाने जा रहा है. ताकि बिना पूरी जानकारी के कोई व्यक्ति ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त नहीं कर सके और सड़कों पर गाड़ी नहीं चला सके. परिवहन विभाग के अनुसार दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में दुर्घटनाओं में भारी कमी आई है. बिहार पूरे देश भर में सड़क दुर्घटना के मामले में 16वें स्थान पर है.

परिवहन विभाग के अनुसार बिहार के 112 सड़कों को ब्लैक स्पॉट चिन्हित किया गया है. उन स्थानों को सुधारने का कार्य किया जा रहा है. इन स्थानों पर पहले की तुलना में अब कम दुर्घटनाएं हो रही हैं. ब्लैक स्पॉट के बाद अब परिवहन विभाग ग्रे स्पॉट पर फोकस कर रहा है. रोड सेफ्टी को लेकर कई तरह के प्रयास बिहार में परिवहन विभाग की ओर से किए जा रहे हैं.

दरअसल बिहार में सड़क दुर्घटना में हर साल तकरीबन 14000 से अधिक लोग हताहत होते हैं. दुर्घटनाएं कम करने के लिए परिवहन विभाग की ओर से कई अन्य योजनाओं पर भी काम चल रहा है. ब्लैक स्पॉट चिन्हित कर उन जगहों पर एक्स्ट्रा सेफ्टी दिए जा रहे हैं. जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं.

इसके अलावा सड़क हादसे में घायल की मदद करने वालों को सम्मानित किया जा रहा है. ड्राइविंग स्किल डेवलप करने के लिए जिलों में ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खोले जा रहे हैं. इसके अलावा बिहार में अभी सभी वाहनों के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होना अनिवार्य कर दिया गया है. अब बिहार में दुर्घटना घटित होने पर बिहार सरकार द्वारा 5 लाख रुपया मुआवजा दिया जाएगा.

आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में बिहार में सड़क दुर्घटना में 5421 मौतें हुई थी. वर्ष 2016 में बिहार में सड़क दुर्घटना में 4901 मौतें हुई थी. मौत के आंकड़े कम होने की वजह शराबबंदी को माना जा रहा है. वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटना में 1,22,153 मौतें हुई थी, जो वर्ष 2016 में 1,26,159 हो गई है.

पिछले 5 सालों के आंकड़ों की बात करें तो साल 2016 में कुल 4901 मौतें और 5651 लोग घायल हुए थे. साल 2017 में 5554 मौत और 6014 लोग घायल हुए थे. साल 2018 में 6729 मौत और 6679 लोग घायल हुए थे. साल 2019 में 7205 मौत और 7206 लोग घायल हुए थे. साल 2020 में 6699 मौत 7019 लोग घायल हुए.

यह भी पढ़ें- जब बिहार में शराबबंदी है तो शिक्षा विभाग के दफ्तर के बाहर इतनी बोतलें कहां से आई?

पटना: बिहार में 5 अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी (Prohibition in Bihar) है. परिवहन विभाग (Transport Department Bihar) के अनुसार बिहार में शराबबंदी का जो मूल उद्देश्य था, वह कहीं ना कहीं पूरा होता दिख रहा है. परिवहन विभाग के अनुसार दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में शराब पीकर दुर्घटना ना के बराबर हो रही है. परिवहन विभाग के सचिव संजय अग्रवाल (Sanjay Agarwal) के मुताबिक शराब पीने की वजह से दुर्घटना में मौत का मामला कम ही सामने आया है.

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'शराबबंदी के कारण सड़क पर कम दुर्घटनाएं हो रही हैं. शराबबंदी का मूल उद्देश्य पूरा होता दिख रहा है. बिहार की सड़कों की स्थिति में सुधार हुआ है. 2 लेन की सड़क फोरलेन में तब्दील हो गयी है. फोरलेन अब सिक्स लेन में तब्दील हो गयी है. सड़क के बढ़िया होने की वजह से पहले की तुलना में और दुर्घटनाओं में भी भारी कमी हो रही है.' -संजय अग्रवाल, सचिव, परिवहन विभाग

देखें रिपोर्ट

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में बिहार में कुल 6764 सड़क दुर्घटनाएं हुई हैं. जिसमें बिहार में हिट एंड रन के मामले में 1216 मामलों में 1385 लोगों की मौत हुई है. बिहार में सड़क दुर्घटना को रोकने के लिए परिवहन विभाग ड्राइविंग टेस्ट को पहले से और कठोर बनाने जा रहा है. ताकि बिना पूरी जानकारी के कोई व्यक्ति ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त नहीं कर सके और सड़कों पर गाड़ी नहीं चला सके. परिवहन विभाग के अनुसार दूसरे राज्यों की तुलना में बिहार में दुर्घटनाओं में भारी कमी आई है. बिहार पूरे देश भर में सड़क दुर्घटना के मामले में 16वें स्थान पर है.

परिवहन विभाग के अनुसार बिहार के 112 सड़कों को ब्लैक स्पॉट चिन्हित किया गया है. उन स्थानों को सुधारने का कार्य किया जा रहा है. इन स्थानों पर पहले की तुलना में अब कम दुर्घटनाएं हो रही हैं. ब्लैक स्पॉट के बाद अब परिवहन विभाग ग्रे स्पॉट पर फोकस कर रहा है. रोड सेफ्टी को लेकर कई तरह के प्रयास बिहार में परिवहन विभाग की ओर से किए जा रहे हैं.

दरअसल बिहार में सड़क दुर्घटना में हर साल तकरीबन 14000 से अधिक लोग हताहत होते हैं. दुर्घटनाएं कम करने के लिए परिवहन विभाग की ओर से कई अन्य योजनाओं पर भी काम चल रहा है. ब्लैक स्पॉट चिन्हित कर उन जगहों पर एक्स्ट्रा सेफ्टी दिए जा रहे हैं. जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं.

इसके अलावा सड़क हादसे में घायल की मदद करने वालों को सम्मानित किया जा रहा है. ड्राइविंग स्किल डेवलप करने के लिए जिलों में ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खोले जा रहे हैं. इसके अलावा बिहार में अभी सभी वाहनों के थर्ड पार्टी इंश्योरेंस होना अनिवार्य कर दिया गया है. अब बिहार में दुर्घटना घटित होने पर बिहार सरकार द्वारा 5 लाख रुपया मुआवजा दिया जाएगा.

आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 में बिहार में सड़क दुर्घटना में 5421 मौतें हुई थी. वर्ष 2016 में बिहार में सड़क दुर्घटना में 4901 मौतें हुई थी. मौत के आंकड़े कम होने की वजह शराबबंदी को माना जा रहा है. वर्ष 2015 में उत्तर प्रदेश में सड़क दुर्घटना में 1,22,153 मौतें हुई थी, जो वर्ष 2016 में 1,26,159 हो गई है.

पिछले 5 सालों के आंकड़ों की बात करें तो साल 2016 में कुल 4901 मौतें और 5651 लोग घायल हुए थे. साल 2017 में 5554 मौत और 6014 लोग घायल हुए थे. साल 2018 में 6729 मौत और 6679 लोग घायल हुए थे. साल 2019 में 7205 मौत और 7206 लोग घायल हुए थे. साल 2020 में 6699 मौत 7019 लोग घायल हुए.

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