पटनाः पटना में राबड़ी देवी के आवास पर महागठबंधन की बैठक समाप्त हो गई है. इस दौरान आरजेडी-कांग्रेस और वाम दलों के विधायकों ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader Of Opposition Tejashwi Yadav) के प्रति अपना भरोसा जताते हुए नई सरकार के लिए अपना समर्थन पत्र सौंप दिया है. इस बीच सूत्रों के हवाले से खबर है मिल रही है कि आरजेडी विधायक दल की बैठक में विधायकों ने मांग की है कि तेजस्वी यादव नई सरकार में डिप्टी सीएम के साथ गृह विभाग भी अपने पास रखें. इसके अलावे स्पीकर का पद भी आरजेडी कोटे में देने की मांग की गई है.
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लालू यादव से मिलने पहुंचे प्रेमचंद गु्प्ता : बिहार में में सीएम आवास और राबड़ी आवास पर हलचल के बीच दिल्ली में मीसा भारती के आवास पर हलचल है. यहां आरजेडी से राज्यसभा सांसद प्रेमचंद गुप्ता लालू यादव से मिलने दिल्ली पहुंच गए हैं.
यह है बिहार सरकार का राजनीतिक समीकरण: फिलहाल बिहार में डबल इंजन की सरकार है. बीजेपी और जदयू के साथ ही अन्य सहयोगियों की मदद से सरकार चल रही है. एनडीए में अभी बीजेपी के 77, जदयू के 45, हम के 04 और 01 निर्दलीय विधायक हैं. कुल विधायाकों की संख्या 127 है. वहीं अगर सीएम नीतीश कुमार एनडीए से अलग हो जाते हैं तो कुछ इस तरह के समीकरण देखने को मिलेंगे. राजद के 79, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, माले के 12, सीपीआई के 02, सीपीएम के 01 और 01 निर्दलीय विधायकों की संख्या होगी जो कुल 159 है. इसमें हम के 4 विधायक जोड़ दें तो यह संख्या 163 हो जाएगी.
तेजस्वी के साथ डील लगभग फाइनल: बिहार की राजनीति में परिवर्तन के बाद बीजेपी के 77 और एआईएमआईएम के एक विधायक बाहर रह जाएंगे. चर्चा है कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच डील लगभग फाइनल हो गयी है. कुछ चीजों पर पेंच फंसा हुआ है और उस पर भी सहमति बनाने की कोशिश हो रही है. नीतीश कुमार का प्रधानमंत्री द्वारा बुलाये गए नीति आयोग की बैठक में भाग नहीं लेना और ललन सिंह की ओर से आरसीपी सिंह के बहाने जिस प्रकार से बीजेपी पर निशाना साधा गया है, कहीं ना कहीं संकेत साफ है कि नीतीश एनडीए से अब निकलना चाहते हैं. एनडीए में कई कारणों से उनकी नाराजगी है और चाह कर भी अपनी बात बीजेपी से नहीं मनवा पा रहे हैं. आरसीपी सिंह भी रोड़ा बने हुए थे. अब वह भी पार्टी से बाहर हो चुके हैं.
चुनौतिपूर्ण होगा बीजेपी के लिए आगामी इलेक्शन: एनडीए से नीतीश यदि बाहर निकलते हैं तो बीजेपी के लिए बिहार में 2024 का चुनाव एक बड़ी चुनौती बन सकती है क्योंकि बिहार में कुल 40 सांसदों में से 39 सांसद अभी एनडीए के पास हैं, जिसमें 16 सांसद जदयू के हैं. 17 सांसद बीजेपी के, पशुपति पारस गुट के पांच और एक चिराग पासवान के हैं. महागठबंधन के पास केवल एक सांसद कांग्रेस के हैं लेकिन नीतीश कुमार के महागठबंधन खेमे में जाने के बाद 2024 और 2025 का चुनाव चुनौतीपूर्ण हो सकता है.
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