पटना : केन्द्र की अग्निपथ योजना (Agnipath Scheme Protest) को लेकर सियासत जारी है. सोमवार को कांग्रेस ने इस मुद्दे को विधानसभा और विधान परिषद में उठाया. कांग्रेस का कहना है कि यह योजना युवाओं को भ्रमित करने वाला है. इस योजना को बिना सोचे समझे लागू किया गया. कांग्रेस विधान पार्षद प्रेमचंद्र मिश्रा (Prem Chandra Mishra Congress) ने कहा कि अग्निपथ योजना को जबतक वापस नहीं लिया जाता है इसके खिलाफ आंदोलन जारी रहेगा.
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''अग्निपथ योजना सेना, नौजवानों और बेरोजगारी के खिलाफ है. इसका विरोध तब तारी रहेगा जबतक सरकार इसपर पुर्नविचार ना करे. कांग्रेस का स्पष्ट मानना है कि ऐसी नौकरी की आवश्यक्ता नहीं है जिसमें आप चार साल के बाद रिटायर कर दिये जाओगे. यह योजना बिना सोचे-समझे लाया गया. सरकार से आग्रह है कि आप सर्वदलीय बैठक करें. नागपुरी दिमाग में क्या आया, नागपुरी यूनिवर्सिटी से क्या शिक्षा लेकर आए. ऐसी कोई नौकरी होती है क्या?''- प्रेमचंद्र मिश्रा, विधान पार्षद, कांग्रेस
ठोस और परमानेंट नौकरी चाहिए : कांग्रेस विधान पार्षद ने कहा कि इस तरह की योजना नौजवानों को भड़काने वाला है. उन नौजवानों के लिए जो गौरव का इंतजार करते रहते हैं. ये नौकरी नहीं चाहिए. ठोस और परमानेंट नौकरी चाहिए. देश में बेरोजगारी भरी हुई है. हजारों-लाखों वैकेंसी हैं, फिर ऐसी बात क्यों कर रहे हैं. बता दें कि कांग्रेस ने दोनों सदनों में इस मुद्दे को उठाया. विधान परिषद में कार्यस्थगन प्रस्ताव भी लाया गया, जिसे सभापति ने खारिज कर दिया. कांग्रेस ने इस मुद्दे पर सदन के बाहर भी विरोध प्रदर्शन किया.
क्या है अग्निपथ योजना: भारत सरकार द्वारा जिस अग्निपथ योजना की शुरुआत की गई है. उसमें बहाली के प्रथम वर्ष में 21 हजार रुपये वेतन के रूप में भारत सरकार के द्वारा प्रत्येक महीने भुगतान किया जाएगा. दूसरे वर्ष वेतन में वृद्धि कर 23 हजार 100 रुपये प्रत्येक महीने दिया जाएगा और तीसरे महीने 25 हजार 580 एवं चौथे वर्ष में 28 हजार रुपये वेतन के रूप में भुगतान करने के साथ ही उन युवाओं को रिटायर्ड कर दिया जाएगा. लेकिन इस योजना को लेकर बिहार में चारों तरफ हंगामा बरपा है. वहीं, गुरुवार को केंद्र सरकार ने अग्निपथ योजना के विरोध के बीच अभ्यर्थियों की आयु सीमा को 21 से बढ़ाकर 23 साल कर दी है. ये स्पष्ट किया गया है कि ये छूट सिर्फ इस साल सेना में भर्ती के लिए किया गया है. बता दें कि अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती के लिए सरकार ने साढ़े 17 साल से लेकर 21 साल की आयु निर्धारित की थी.
'अंग्निपथ स्कीम' से क्यों नाराज हैं छात्र : दरअसल, 2020 से आर्मी अभ्यर्थियों की कई परीक्षाएं हुई थी. किसी का मेडिकल बाकी था तो किसी का रिटेन. ऐसे सभी अभ्यर्थियों की योग्यता एक झटके में रद्द कर दी गई. पहले ये नौकरी स्थाई हुआ करती थी. मतलब सरकारी नौकरी का ख्वाब इससे नौजवान पूरा करते थे. नई स्कीम की तहत बताया गया कि अब चार साल की नौकरी होगी. इसमें सिर्फ 25 प्रतिशत अग्निवीरों को स्थाई किया जाएगा. 75 प्रतिशत चार साल बाद रिटायर हो जाएंगे. उनको पेंशन समेत बाकी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. बिहार जैसे राज्य में जहां ज्यादातर युवाओं का एक ही लक्ष्य कह लीजिए या सपना सरकारी नौकरी होता है, ऐसे में सपना टूटता देख छात्र सड़कों पर उतर गए.