नई दिल्ली/पटना: पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan ) को मरणोपरांत पद्म भूषण (Padma Bhushan) सम्मान मिलने पर उनके भाई और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस (Union Minister Pashupati Paras) ने खुशी जताई है. उन्होंने कहा कि इसके लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को धन्यवाद देता हूं. आज का दिने मेरे लिए ऐतिहासिक है. बड़े भाई साहब की कमी आज बहुत महसूस हो रही है.
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पशुपति पारस ने कहा कि रामविलास पासवान ने छह प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया. छह प्रधानमंत्रियों के मंत्रिमंडल में केंद्रीय मंत्री रहे. उन्होंने मंत्री रहते कई ऐसे निर्णय लिए गए थे, जिसे आज भी याद किया जाता है. वह 1977 में लोकसभा का चुनाव लड़े और जीते. सबसे अधिक अंतर से चुनाव जीतने का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया था. 1989 में वीपी सिंह के सरकार में केंद्रीय श्रम एवं कल्याण मंत्री बने थे. उसी समय मंडल आयोग की सिफारिश लागू की गई थी. 1996 में रेल मंत्री, 1999 में संचार मंत्री, 2002 में कोयला मंत्री, 2004 में मनमोहन सिंह सरकार में केमिकल एवं फर्टिलाइजर मंत्री बने. 2014 और 2019 में मोदी सरकार में केंद्रीय उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मंत्री थे.
पारस ने कहा रामविलास पासवान पर कभी भी किसी तरह का कोई आरोप नहीं लगा. सभी दलों में उनकी अच्छी जान पहचान थी. एक बहुत अच्छे इंसान थे. मुझे काफी प्यार करते थे. वह देश के दूसरे बाबासाहब भीमराव अंबेडकर थे.
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बता दें एलजेपी (LJP) के संस्थापक एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय रामविलास पासवान को मरणोपरांत पद्मभूषण सम्मान से अलंकृत किया गया है. उनके पुत्र एवं सांसद चिराग पासवान ने राष्ट्रपति भवन में जाकर अवार्ड को रिसीव किया. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनको अवार्ड दिया. राष्ट्रपति भवन में चिराग की माताजी रीना पासवान भी मौजूद थीं. पिछले साल आठ अक्टूबर को रामविलास पासवान का निधन हो गया था. इसी साल जनवरी में केंद्र सरकार ने ऐलान किया था कि रामविलास पासवान को पद्मभूषण सम्मान दिया जाएगा.
अपने जीवन में उन्होंने कुल 11 चुनाव लड़े थे. 2 बार हारे थे. नौ बार लोक सभा एवं दो बार राज्यसभा सांसद रहे. डीएसपी की नौकरी छोड़ वह राजनीति में आये थे. उनका जन्म बिहार के खगड़िया में 1946 में हुआ था. जयप्रकाश नारायण आंदोलन के दौरान वह तेजी से बिहार की सियासत में उभरे थे. 1977 में पहली बार हाजीपुर से लोकसभा का चुनाव जीते थे. 74 साल की उम्र में उनका निधन हुआ था. उनके निधन के बाद साल भर के अंदर ही उनकी पार्टी में टूट हो गयी. चिराग के चाचा और सांसद पशुपति पारस 5 सांसदों के साथ पार्टी से अलग हो गए. पार्टी दो धड़ों में बंट गई. पार्टी का चुनाव चिह्न बगला को चुनाव आयोग ने जब्त कर लिया. चुनाव आयोग ने चिराग को लोजपा रामविलास के नाम से पार्टी का नाम आवंटित किया और चुनाव चिह्न हेलीकाप्टर आवंटित किया. पारस को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के नाम से पार्टी का नाम आवंटित किया और सिलाई मशीन चुनाव चिह्न आवंटित किया.