पटना: बिहार में लोक आस्था के महापर्व छठ (Great Festival of Folk Faith Chhath) की विशेष महत्ता है. छठ पर्व (Chhath Festival) का आयोजन कराना बिहार सरकार (Bihar Government) के लिए हमेशा से एक मेगा इवेंट (Mega Event) रहा है. राजधानी पटना में गंगा किनारे छठ महापर्व को देखने के लिए विदेशों से भी सैलानी पहुंचते हैं.
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गंगा किनारे छठ महापर्व के आयोजन के समय जो दृश्य उभरकर सामने आता है, वह बड़ा ही विहंगम होता है. इस बार जिला प्रशासन पटना के लिए छठ महापर्व का आयोजन कराना चुनौती का विषय बन गया है. इसके पीछे वजह है गंगा नदी (Rising Water Level of River Ganga) का बढ़ता हुआ जलस्तर .
बताते चलें कि अमूमन सामान्य दिनों में छठ के समय गंगा नदी शहर से काफी दूर रहती है और लोगों को गंगा किनारे छठ पर्व करने के लिए रिवरफ्रंट से लगभग डेढ़ से 2 किलोमीटर आगे जाना पड़ता है. इसके लिए जिला प्रशासन की तरफ से विशेष व्यवस्था भी की जाती है लेकिन इस बार का दृश्य अलग है. जिस प्रकार के बिहार के दूसरे जिलों में लगातार बारिश हो रही है, उससे सभी नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है. इस वजह से गंगा नदी का भी जलस्तर लगातार बढ़ रहा है.
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मंगलवार को पटना में कलेक्ट्रेट घाट पर लगातार दूसरे दिन गंगा नदी के जलस्तर में 15 सेंटीमीटर की वृद्धि दर्ज की गई. कलेक्ट्रेट घाट से जहां सामान्य दिनों में डेढ़ से 2 किलोमीटर आगे गंगा नदी की धारा बहती है. वहीं, अभी के समय घाट की सीढ़ियां गंगा के जल से लबालब हैं. गंगा नदी के जलस्तर का यही हाल रहा तो यह संभव है कि इस बार छठ पूजा का आयोजन रिवरफ्रंट घाटों पर ही आसानी से संभव हो सकेगा. लोगों को रिवरफ्रंट से उतरकर घाट पर पहुंचने के लिए पैदल दूर नहीं जाना पड़ेगा.
कुछ दिनों पूर्व गंगा नदी का जलस्तर कम होना शुरू हुआ था. ऐसे में जिला प्रशासन की तरफ से छठ पूजा को लेकर घाट बनाने की तैयारियां भी शुरू कर दी गईं. जिस जगह पर दलदल था, वहां मिट्टी भरने के निर्देश दिए गए और कई जगह मिट्टी भी भरे जाने लगे लेकिन पिछले 3 दिनों में जिस प्रकार से गंगा नदी के जल स्तर में वृद्धि हुई है, उसके बाद कई खाली जगह डूब गए हैं. घाट बनाने का काम रुक गया है.
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जिला प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि गंगा नदी के जल स्तर की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. छठ पूजा के 5 से 6 दिन पूर्व यह आखिरी निर्णय लिया जाएगा कि किन घाटों पर छठ पूजा के आयोजन की अनुमति दी जाए और कौन से घाटों को खतरनाक घाट घोषित किया जाए. यदि अभी गंगा का जो जलस्तर है, वहीं बरकरार रहे तो संभव है कि कलेक्ट्रेट घाट, अंटा घाट, बीएन कॉलेज घाट, कृष्णा घाट, एनआईटी घाट इत्यादि घाटों पर गंगा पाथवे पर ही छठ पर्व के आयोजन की अनुमति दे दी जाए.
हालांकि गंगा नदी के जल स्तर में वृद्धि होने की वजह से इस बार कई घाटों पर छठ पूजा के आयोजन में काफी कठिनाई नजर दिख रही है. संभवत इन घाटों पर छठ पूजा का आयोजन ना हो जैसे कि राजा पुल घाट, बांस घाट, एलसीटी घाट आदि.
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