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Nitish Kumar: 15 साल बेमिसाल.. लेकिन JDU भूल गयी 'यार'? - बिहार समाचार

बिहार में जदयू ( JDU ) नेतृत्व वाली सरकार का 24 नवंबर को 16 साल पूरा हो रहा है. वहीं नीतीश कुमार ( CM Nitish Kumar ) के मुख्यमंत्री के तौर पर 15 साल पूरा हो जाएगा. ऐसे में पार्टी 24 नवंबर को 'समदर्शी नेतृत्व समावेशी विकास के 15 साल बेमिसाल' कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है. पढ़ें पूरी खबर...

Nitish Kumar
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Published : Nov 19, 2021, 4:53 PM IST

पटना: जदयू 24 नवंबर को नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) के 15 साल के शासन को लेकर समदर्शी नेतृत्व समावेशी विकास के 15 साल बेमिसाल कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है. नीतीश कुमार 3 मार्च से 10 मार्च 2000 तक पहली बार 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण सरकार गिर गयी थी.

साल 2005 में जब मुख्यमंत्री बने तो लगातार 5 साल तक रहे और 2010 में भी प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीते. जदयू ( JDU ) के साथ बीजेपी ( BJP ) मजबूती के साथ खड़ी रही लेकिन जदयू 15 साल की उपलब्धियों के कार्यक्रम में अपने सहयोगी दल को भूला दिया है, पूरा क्रेडिट लेने की कोशिश जदयू के तरफ से हो रही है.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें- दिल्ली से पटना लौटने पर बोले नीतीश- 'जिन्होंने कृषि कानून लगाया, उन्होंने ही हटाया'

बिहार में जदयू नेतृत्व वाली सरकार का 24 नवंबर को 16 साल पूरा हो जाएगा और नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री का भी 15 साल पूरा हो जाएगा. जदयू पूरे बिहार में बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है. नीतीश कुमार के 15 साल में बिहार में जितने भी विकास योजना पर काम हुए हैं, उसका पूरा क्रेडिट लेने की कोशिश है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि गठबंधन कोई हो, चेहरा नीतीश कुमार ही रहे और इससे कौन इनकार कर सकता है. यह पार्टी का कार्यक्रम है.


'नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में चौमुखी विकास हुआ है. सड़क, बिजली, शिक्षा हर क्षेत्र में काम हुए हैं. नीतीश कुमार की सोच के कारण ही बिहार में यह सब कुछ हो सका है.'- शीला मंडल, परिवहन मंत्री, बिहार


बता दें कि 2005 से बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार चल रही है. बीजेपी प्रमुख सहयोगी दल रही है लेकिन पूरे कार्यक्रम में सहयोगी दल को ही भूला दिया गया है.

ये भी पढ़ें- सत्ता में 16 साल: बदले-बदले नजर आए 'सरकार', पिछले एक बरस में टूट गया सुशासन बाबू का 'तिलिस्म'

'क्रेडिट तो एनडीए सरकार की है. उसमें जदयू भी सहयोगी है. नीतीश कुमार जरूर विधायक दल के नेता हैं लेकिन सबका सहयोग है.'- विवेकानंद पासवान, प्रवक्ता बीजेपी


2000 में 7 दिनों तक मुख्यमंत्री रहने के बाद नीतीश कुमार 24 नवंबर, 2005 से 25 नवंबर 2010 तक दूसरी बार मुख्यमंत्री रहे. तीसरी बार 26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014 तक और फिर 22 फरवरी 2015 से नवंबर 2021 और फिर 16 नवंबर 2021 से अब तक मुख्यमंत्री हैं. हालांकि नीतीश कुमार सहयोगियों के साथ ही सरकार चला रहे हैं.

ये भी पढ़ें- बिहार में शराबबंदी को और सख्ती से लागू कराएंगे: CM नीतीश

इस बार जदयू को केवल 43 सीट मिली है और उससे अधिक बीजेपी को 74 सीट मिला है. हम और वीआईपी को भी चार-चार सीट मिला है. 2005 से कुछ साल को छोड़ दिया जाए तो जदयू का लगातार बीजेपी के साथ गठबंधन रहा है. एक साल के लिए जीतन राम मांझी जरूर मुख्यमंत्री बने और 2015 में आरजेडी के साथ गठबंधन हुआ था.

नीतीश कुमार कुछ बड़े फैसले

  • पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण
  • प्रारंभिक विद्यालयों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण।
  • पुलिस और सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण
  • बिहार में शराबबंदी लागू करना
  • लोक सेवा अधिकार कानून को लागू करना
  • हर घर नल जल योजना
  • हर घर बिजली योजना
  • लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून को लागू करना
  • साइकिल पोशाक योजना
  • जल जीवन हरियाली अभियान
  • सात निश्चय पार्ट वन के बाद अब सात निश्चय पार्ट 2


बता दें कि नीतीश कुमार नौकरी छोड़कर राजनीति में आए थे. बिजली बोर्ड में इंजीनियरिंग की नौकरी करते थे लेकिन इमरजेंसी में जेल भी गए. वे 1977 से ही चुनावी राजनीति में हरनौत विधानसभा से किस्मत आजमाए. दो बार असफलता भी मिली. नीतीश कुमार पहली बार 1985 में बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे और 1989 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए. उसके बाद 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में सांसद बने. फिलहाल बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं.

ये भी पढ़ें- जातीय जनगणना पर CM का बड़ा बयान: उपचुनाव के बाद बुलाई जाएगी सर्वदलीय बैठक

15 साल मुख्यमंत्री रहने के अलावे नीतीश कुमार का विधानसभा, लोकसभा और विधान परिषद में सदस्य के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में भी लंबा रिकॉर्ड है. अप्रैल से नवंबर 1990 तक केंद्रीय कृषि और सहकारिता राज्य मंत्री रहे. 19 मार्च 1998 से 5 अगस्त, 1999 तक केंद्रीय रेल मंत्री रहे. 13 अक्टूबर 1999 से 22 नवंबर, 1999 तक भूतल परिवहन मंत्री रहे. 27 मई, 2000 से 20 मार्च 2001 तक कृषि मंत्री रहे और 22 जुलाई 2001 से 21 मई 2004 तक फिर से रेल मंत्री रहे. इस तरह केंद्र में भी लंबे समय तक नीतीश कुमार मंत्री रहे, लेकिन पार्टी का पूरा फोकस बिहार में 15 साल नीतीश कुमार के शासन में मिली उपलब्धियों को लेकर है और उसे ही जदयू भुनाने की कोशिश कर रही है.

पटना: जदयू 24 नवंबर को नीतीश कुमार ( Nitish Kumar ) के 15 साल के शासन को लेकर समदर्शी नेतृत्व समावेशी विकास के 15 साल बेमिसाल कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है. नीतीश कुमार 3 मार्च से 10 मार्च 2000 तक पहली बार 7 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बने थे लेकिन बहुमत नहीं होने के कारण सरकार गिर गयी थी.

साल 2005 में जब मुख्यमंत्री बने तो लगातार 5 साल तक रहे और 2010 में भी प्रचंड बहुमत के साथ चुनाव जीते. जदयू ( JDU ) के साथ बीजेपी ( BJP ) मजबूती के साथ खड़ी रही लेकिन जदयू 15 साल की उपलब्धियों के कार्यक्रम में अपने सहयोगी दल को भूला दिया है, पूरा क्रेडिट लेने की कोशिश जदयू के तरफ से हो रही है.

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बिहार में जदयू नेतृत्व वाली सरकार का 24 नवंबर को 16 साल पूरा हो जाएगा और नीतीश कुमार के मुख्यमंत्री का भी 15 साल पूरा हो जाएगा. जदयू पूरे बिहार में बड़ा कार्यक्रम करने जा रही है. नीतीश कुमार के 15 साल में बिहार में जितने भी विकास योजना पर काम हुए हैं, उसका पूरा क्रेडिट लेने की कोशिश है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक झा का कहना है कि गठबंधन कोई हो, चेहरा नीतीश कुमार ही रहे और इससे कौन इनकार कर सकता है. यह पार्टी का कार्यक्रम है.


'नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में चौमुखी विकास हुआ है. सड़क, बिजली, शिक्षा हर क्षेत्र में काम हुए हैं. नीतीश कुमार की सोच के कारण ही बिहार में यह सब कुछ हो सका है.'- शीला मंडल, परिवहन मंत्री, बिहार


बता दें कि 2005 से बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सरकार चल रही है. बीजेपी प्रमुख सहयोगी दल रही है लेकिन पूरे कार्यक्रम में सहयोगी दल को ही भूला दिया गया है.

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'क्रेडिट तो एनडीए सरकार की है. उसमें जदयू भी सहयोगी है. नीतीश कुमार जरूर विधायक दल के नेता हैं लेकिन सबका सहयोग है.'- विवेकानंद पासवान, प्रवक्ता बीजेपी


2000 में 7 दिनों तक मुख्यमंत्री रहने के बाद नीतीश कुमार 24 नवंबर, 2005 से 25 नवंबर 2010 तक दूसरी बार मुख्यमंत्री रहे. तीसरी बार 26 नवंबर 2010 से 17 मई 2014 तक और फिर 22 फरवरी 2015 से नवंबर 2021 और फिर 16 नवंबर 2021 से अब तक मुख्यमंत्री हैं. हालांकि नीतीश कुमार सहयोगियों के साथ ही सरकार चला रहे हैं.

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इस बार जदयू को केवल 43 सीट मिली है और उससे अधिक बीजेपी को 74 सीट मिला है. हम और वीआईपी को भी चार-चार सीट मिला है. 2005 से कुछ साल को छोड़ दिया जाए तो जदयू का लगातार बीजेपी के साथ गठबंधन रहा है. एक साल के लिए जीतन राम मांझी जरूर मुख्यमंत्री बने और 2015 में आरजेडी के साथ गठबंधन हुआ था.

नीतीश कुमार कुछ बड़े फैसले

  • पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण
  • प्रारंभिक विद्यालयों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण।
  • पुलिस और सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 35 फीसदी आरक्षण
  • बिहार में शराबबंदी लागू करना
  • लोक सेवा अधिकार कानून को लागू करना
  • हर घर नल जल योजना
  • हर घर बिजली योजना
  • लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून को लागू करना
  • साइकिल पोशाक योजना
  • जल जीवन हरियाली अभियान
  • सात निश्चय पार्ट वन के बाद अब सात निश्चय पार्ट 2


बता दें कि नीतीश कुमार नौकरी छोड़कर राजनीति में आए थे. बिजली बोर्ड में इंजीनियरिंग की नौकरी करते थे लेकिन इमरजेंसी में जेल भी गए. वे 1977 से ही चुनावी राजनीति में हरनौत विधानसभा से किस्मत आजमाए. दो बार असफलता भी मिली. नीतीश कुमार पहली बार 1985 में बिहार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए थे और 1989 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए. उसके बाद 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में सांसद बने. फिलहाल बिहार विधान परिषद के सदस्य हैं.

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15 साल मुख्यमंत्री रहने के अलावे नीतीश कुमार का विधानसभा, लोकसभा और विधान परिषद में सदस्य के साथ केंद्रीय मंत्री के रूप में भी लंबा रिकॉर्ड है. अप्रैल से नवंबर 1990 तक केंद्रीय कृषि और सहकारिता राज्य मंत्री रहे. 19 मार्च 1998 से 5 अगस्त, 1999 तक केंद्रीय रेल मंत्री रहे. 13 अक्टूबर 1999 से 22 नवंबर, 1999 तक भूतल परिवहन मंत्री रहे. 27 मई, 2000 से 20 मार्च 2001 तक कृषि मंत्री रहे और 22 जुलाई 2001 से 21 मई 2004 तक फिर से रेल मंत्री रहे. इस तरह केंद्र में भी लंबे समय तक नीतीश कुमार मंत्री रहे, लेकिन पार्टी का पूरा फोकस बिहार में 15 साल नीतीश कुमार के शासन में मिली उपलब्धियों को लेकर है और उसे ही जदयू भुनाने की कोशिश कर रही है.

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