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दांव पर NDA की साख, नीतीश के 'ब्रह्मास्‍त्र' से बेहाल होगा विपक्ष? - बिहार चुनाव और नीतीश कुमार

कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार से पूछा गया था कि वे राजनीति से कब संन्यास लेंगे? इस सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा था कि जब तक जनता चाहेगी तब तक वो राजनीति में बने रहेंगे.

nitish kumar announces retirement from politics
nitish
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Published : Nov 5, 2020, 9:23 PM IST

Updated : Nov 5, 2020, 10:42 PM IST

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपने अंतिम सभा में सीएम नीतीश कुमार आखिरी दांव चल कर सभी को चौंका दिया. दरअसल, पूर्णिया के धमदाहा में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह मेरा आखिरी चुनाव है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस बयान के पीछे की वजह क्या है?

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार से जब पूछा गया था कि वे राजनीति से कब संन्यास लेंगे. इस सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा था कि जब तक जनता चाहेगी तब तक वो राजनीति में रहेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि अचानक उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया. क्या नीतीश कुमार को यह आभास तो नहीं हो चुका है कि वह चुनाव हार रहे हैं?

सवाल तो यह भी उठता है कि क्या नीतीश ने 'संन्यास का ब्रह्मास्त्र' को छोड़कर विपक्षी को बेहाल तो नहीं कर दिया है. क्योंकि कहा जा रहा है कि आखिरी चरण में जिसके पाले में गेंद जाएगी वही सिंहासन के ताज का हकदार होगा.

दांव पर एनडीए की साख

दरअसल, 7 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण एनडीए के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इस चरण में होने वले 78 सीटों में से 45 पर वर्तमान एनडीए का कब्जा है, जिनमें से जेडीयू के पास सबसे ज्यादा 25 सीटें हैं और बीजेपी के पास 20 सीटें हैं.

वहीं, दूसरी ओर अभी के महागठबंधन में शामिल आरजेडी के पास 18 और कांग्रेस के पास 10 सीटें है. 2015 विधानसभा चुनाव में पांच सीटें अन्य को मिली थी. यही नहीं, इस चरण में नीतीश की एनडीए सरकार के 12 मंत्रियों की साख भी दांव पर लगी है. यही वजह है कि बिहार चुनाव के आखिरी चरण के चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए की साख दांव पर लगी है.

इन 78 सीटों पर चुनाव

वाल्मीकिनगर, रामनगर (सु.), नरकटियागंज, रूपौली, धमदाहा, पूर्णिया, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी (एसटी), बरारी, कोढ़ा (एससी), आलमनगर, बिहारीगंज, सिंहेश्वर (एससी), मधेपुरा, सोनबरसा (एससी), सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर, महिषी, दरभंगा, हायाघाट, बहादुरपुर, केवटी, जाले, गायघाट, औराई, बोचहा (एससी), सकरा (एससी), बगहा, लौरिया, सिकटा, रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, मोतिहारी, चिरैया, ढाका, रीगा, बथनाहा (एससी), परिहार, सुरसंड, बाजपट्‌टी और हरलाखी है.

इसके अलावा बेनीपट्‌टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी, लौकहा, निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज (एससी), छातापुर, नरपतगंज, रानीगंज (एससी), फारबिसगंज, अररिया, जोकीहाट, सिकटी, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन, अमौर, वायसी, कसबा, बनमनखी (एससी), कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, महुआ, पातेपुर (एससी), कल्याणपुर (एससी), वारिसनगर, समस्तीपुर, मोरवा, और सरायरंजन सीटें शामिल हैं.

नीतीश के आखिरी दांव का क्या मतलब

बिहार चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 'संन्यास का ब्रह्मास्‍त्र' जो छोड़ा है, उसका शोर अब बिहार के साथ-साथ पूरे देश में सुनाई देने लगा है. नीतीश के इस फैसले के बाद एनडीए के नेता सकते में हैं. वहीं इस बयान के बाद विपक्ष ने कई तरह की बातें बोलना भी शुरू कर दिया है. विपक्ष नीतीश के इस बयान को 'जंग से पहले रण छोड़ने' वाला बताया है. वहीं कई लोगों का कहना है कि नीतीश के बाद जेडीयू में कौन?

पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के लिए चुनाव प्रचार के अंतिम दिन अपने अंतिम सभा में सीएम नीतीश कुमार आखिरी दांव चल कर सभी को चौंका दिया. दरअसल, पूर्णिया के धमदाहा में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह मेरा आखिरी चुनाव है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस बयान के पीछे की वजह क्या है?

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही नीतीश कुमार से जब पूछा गया था कि वे राजनीति से कब संन्यास लेंगे. इस सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा था कि जब तक जनता चाहेगी तब तक वो राजनीति में रहेंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि अचानक उन्होंने ऐसा बयान क्यों दिया. क्या नीतीश कुमार को यह आभास तो नहीं हो चुका है कि वह चुनाव हार रहे हैं?

सवाल तो यह भी उठता है कि क्या नीतीश ने 'संन्यास का ब्रह्मास्त्र' को छोड़कर विपक्षी को बेहाल तो नहीं कर दिया है. क्योंकि कहा जा रहा है कि आखिरी चरण में जिसके पाले में गेंद जाएगी वही सिंहासन के ताज का हकदार होगा.

दांव पर एनडीए की साख

दरअसल, 7 नवंबर को होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण एनडीए के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इस चरण में होने वले 78 सीटों में से 45 पर वर्तमान एनडीए का कब्जा है, जिनमें से जेडीयू के पास सबसे ज्यादा 25 सीटें हैं और बीजेपी के पास 20 सीटें हैं.

वहीं, दूसरी ओर अभी के महागठबंधन में शामिल आरजेडी के पास 18 और कांग्रेस के पास 10 सीटें है. 2015 विधानसभा चुनाव में पांच सीटें अन्य को मिली थी. यही नहीं, इस चरण में नीतीश की एनडीए सरकार के 12 मंत्रियों की साख भी दांव पर लगी है. यही वजह है कि बिहार चुनाव के आखिरी चरण के चुनाव में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए की साख दांव पर लगी है.

इन 78 सीटों पर चुनाव

वाल्मीकिनगर, रामनगर (सु.), नरकटियागंज, रूपौली, धमदाहा, पूर्णिया, कटिहार, कदवा, बलरामपुर, प्राणपुर, मनिहारी (एसटी), बरारी, कोढ़ा (एससी), आलमनगर, बिहारीगंज, सिंहेश्वर (एससी), मधेपुरा, सोनबरसा (एससी), सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर, महिषी, दरभंगा, हायाघाट, बहादुरपुर, केवटी, जाले, गायघाट, औराई, बोचहा (एससी), सकरा (एससी), बगहा, लौरिया, सिकटा, रक्सौल, सुगौली, नरकटिया, मोतिहारी, चिरैया, ढाका, रीगा, बथनाहा (एससी), परिहार, सुरसंड, बाजपट्‌टी और हरलाखी है.

इसके अलावा बेनीपट्‌टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी, लौकहा, निर्मली, पिपरा, सुपौल, त्रिवेणीगंज (एससी), छातापुर, नरपतगंज, रानीगंज (एससी), फारबिसगंज, अररिया, जोकीहाट, सिकटी, बहादुरगंज, ठाकुरगंज, किशनगंज, कोचाधामन, अमौर, वायसी, कसबा, बनमनखी (एससी), कुढ़नी, मुजफ्फरपुर, महुआ, पातेपुर (एससी), कल्याणपुर (एससी), वारिसनगर, समस्तीपुर, मोरवा, और सरायरंजन सीटें शामिल हैं.

नीतीश के आखिरी दांव का क्या मतलब

बिहार चुनाव प्रचार के अंतिम दिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 'संन्यास का ब्रह्मास्‍त्र' जो छोड़ा है, उसका शोर अब बिहार के साथ-साथ पूरे देश में सुनाई देने लगा है. नीतीश के इस फैसले के बाद एनडीए के नेता सकते में हैं. वहीं इस बयान के बाद विपक्ष ने कई तरह की बातें बोलना भी शुरू कर दिया है. विपक्ष नीतीश के इस बयान को 'जंग से पहले रण छोड़ने' वाला बताया है. वहीं कई लोगों का कहना है कि नीतीश के बाद जेडीयू में कौन?

Last Updated : Nov 5, 2020, 10:42 PM IST
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