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मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार का बड़ा बयान, 'शराबबंदी कानून में संशोधन से 30-40% कोर्ट केस में होगी कमी' - ETV Bihar NEWS

बिहार में शराबबंदी कानून (Liquor Prohibition Law in Bihar) में संशोधन कानून के बाद मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि कानून में संशोधन के बाद कोर्ट में 30-40 प्रतिशत केस में कम होने की उम्मीद की जा रही है. चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी से कराय गए सर्वे के प्रारंभिक रिपोर्ट के आधार पर उन्होंने जानकारी दी है. साथ ही कहा कि महिला ने इस कानून का पूरा समर्थन किया था. पढ़िए पूरी रिपोर्ट....

मंत्री सुनील कुमार का बड़ा बयान
मंत्री सुनील कुमार का बड़ा बयान
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Published : Apr 20, 2022, 9:41 PM IST

पटना: बिहार में पिछले दिनों शराबबंदी कानून में संशोधन किया गया था. इस कानून की वजह से कोर्ट में लगातार मामले बढ़ रहे थे. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी आपत्ति जतायी थी. वहीं, शराबबंदी कानून में संशोधन के बाद मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार (Minister Sunil Kumar) का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी को लेकर चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी से सर्वे कराया जा रहा. इस सर्वे का प्रारंभिक रिपोर्ट आयी है. जिसमें महिलाओं ने इस कानून का पूरा समर्थन किया है. साथ ही उन्होंने बताया कि शराबबंदी कानून में संशोधन से कोर्ट पर भी जो बोझ है उसमें भी कमी आएगी और 30-40 केस कम होंगे.

ये भी पढ़ें: सख्ती भी, राहत भी: शराब बेचने वालों पर चलेगा बुलडोजर, इस शर्त पर छूट सकेंगे शराबी

शराबबंदी कानून को लेकर चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी से सर्वे कराया जा रहा है, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट आयी है. जिसमें महिलाओं ने शराबबंदी कानून का पूरा समर्थन किया है. कानून में संशोधन करने के दो तीन कारण थे. कोर्ट पर अधिकांश बोझ को कम किया जा सके और ट्रायल पर फोकस किया जा सके, इसके सकारात्मक परिणाम जरूर आएंगे. सुनील कुमार, मद्य निषेध मंत्री

शराबबंदी कानून में संशोधन से कोर्ट केस में होगी कमी: मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी का फाइनल रिपोर्ट मिलने पर सारी बातों को हम लोग सामने रखेंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ पिछले दिनों जहां भी हम लोग गए वहां महिलाओं ने शराबबंदी का समर्थन किया. जहां तक शराबबंदी कानून में संशोधन की बात है तो अनुभव से लोग सीखते हैं और हम लोग का पूरा फोकस शराब माफियाओं पर है. शराबबंदी कानून में संशोधन से पूरी उम्मीद है कि कोर्ट पर जो बोझ है उसे कम किया जाएगा. 30 से 40 प्रतिशत तक मामलों में कमी होगी. उन्होंने कहा कि अभी एक-दो महीना समय है हम लोग भी आंकड़े देख लेते हैं और उसके बाद जानकारी दी जाएगी. फाइन को लेकर भी हम लोगों की नजर है इसके बेहतर परिणाम आएंगे.

बिहार में शराबंबदी कानून में संशोधन: बता दें कि विधानसभा में मद्य निषेध और उत्‍पाद संशोधन विधेयक 2022 पास कराया गया था. जिसके बाद इस संशोधित कानून के तहत कार्रवाई की जा रही थी. दरअसल शराबबंदी कानून को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल खड़ा किया था क्योंकि कोर्ट में लगातार मामले बढ़ रहे थे. जेलों में कैदियों की संख्या में भी काफी इजाफा हो रहा था. इन सभी चिजों को देखते हुए सरकार ने इस कानून में संशोधन किया और कानून को लचीला बनाने की कोशिश की. हालांकि, अब तक इसका कितना असर हुआ इसके बारे में मंत्री ने समीक्षा के बाद जानकारी देने की बात कही है.
ये भी पढ़ें: पहली बार शराब पीकर पकड़े जाने पर जुर्माना देकर छूट पाएंगे आरोपी: मद्य निषेध मंत्री

अप्रैल 2016 से शराबबंदी: 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

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पटना: बिहार में पिछले दिनों शराबबंदी कानून में संशोधन किया गया था. इस कानून की वजह से कोर्ट में लगातार मामले बढ़ रहे थे. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी आपत्ति जतायी थी. वहीं, शराबबंदी कानून में संशोधन के बाद मद्य निषेध मंत्री सुनील कुमार (Minister Sunil Kumar) का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा कि शराबबंदी को लेकर चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी से सर्वे कराया जा रहा. इस सर्वे का प्रारंभिक रिपोर्ट आयी है. जिसमें महिलाओं ने इस कानून का पूरा समर्थन किया है. साथ ही उन्होंने बताया कि शराबबंदी कानून में संशोधन से कोर्ट पर भी जो बोझ है उसमें भी कमी आएगी और 30-40 केस कम होंगे.

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शराबबंदी कानून को लेकर चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी से सर्वे कराया जा रहा है, जिसकी प्रारंभिक रिपोर्ट आयी है. जिसमें महिलाओं ने शराबबंदी कानून का पूरा समर्थन किया है. कानून में संशोधन करने के दो तीन कारण थे. कोर्ट पर अधिकांश बोझ को कम किया जा सके और ट्रायल पर फोकस किया जा सके, इसके सकारात्मक परिणाम जरूर आएंगे. सुनील कुमार, मद्य निषेध मंत्री

शराबबंदी कानून में संशोधन से कोर्ट केस में होगी कमी: मंत्री सुनील कुमार ने बताया कि चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी का फाइनल रिपोर्ट मिलने पर सारी बातों को हम लोग सामने रखेंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के साथ पिछले दिनों जहां भी हम लोग गए वहां महिलाओं ने शराबबंदी का समर्थन किया. जहां तक शराबबंदी कानून में संशोधन की बात है तो अनुभव से लोग सीखते हैं और हम लोग का पूरा फोकस शराब माफियाओं पर है. शराबबंदी कानून में संशोधन से पूरी उम्मीद है कि कोर्ट पर जो बोझ है उसे कम किया जाएगा. 30 से 40 प्रतिशत तक मामलों में कमी होगी. उन्होंने कहा कि अभी एक-दो महीना समय है हम लोग भी आंकड़े देख लेते हैं और उसके बाद जानकारी दी जाएगी. फाइन को लेकर भी हम लोगों की नजर है इसके बेहतर परिणाम आएंगे.

बिहार में शराबंबदी कानून में संशोधन: बता दें कि विधानसभा में मद्य निषेध और उत्‍पाद संशोधन विधेयक 2022 पास कराया गया था. जिसके बाद इस संशोधित कानून के तहत कार्रवाई की जा रही थी. दरअसल शराबबंदी कानून को लेकर लगातार सवाल उठ रहे थे. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने भी सवाल खड़ा किया था क्योंकि कोर्ट में लगातार मामले बढ़ रहे थे. जेलों में कैदियों की संख्या में भी काफी इजाफा हो रहा था. इन सभी चिजों को देखते हुए सरकार ने इस कानून में संशोधन किया और कानून को लचीला बनाने की कोशिश की. हालांकि, अब तक इसका कितना असर हुआ इसके बारे में मंत्री ने समीक्षा के बाद जानकारी देने की बात कही है.
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अप्रैल 2016 से शराबबंदी: 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद नीतीश कुमार ने अप्रैल 2016 में शराबबंदी कानून लागू किया था. कानून के तहत शराब की बिक्री, पीने और इसे बनाने पर प्रतिबंध है. शुरुआत में इस कानून के तहत संपत्ति कुर्क करने और उम्र कैद की सजा तक का प्रावधान था, लेकिन 2018 में संशोधन के बाद सजा में थोड़ी छूट दी गई थी. बता दें कि बिहार में शराबबंदी कानून लागू होने के बाद से बिहार पुलिस मुख्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अब तक मद्य निषेध कानून उल्लंघन से जुड़े करीब 3 लाख से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं.

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