पटना: बिहार में बालू खनन (Sand Mining) सरकार के लिए बड़ी चुनौती है. बालू का अवैध उत्खनन को लेकर सवाल उठते रहे हैं और अवैध उत्खनन के जरिए सरकार को करोड़ों का चूना लगता है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद सरकार बिहार में नए सिरे से बालू खनन की तैयारी कर रही है. अब खनन निगम के जरिए बालू उत्खनन किया जाएगा.
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दरअसल, लंबे समय से बिहार में बालू उत्खनन पर रोक लगी थी. नतीजा यह हुआ कि लोगों को काफी महंगी कीमत पर बालू मिल रही थी. जिससे राज्य के अंदर कंस्ट्रक्शन का काम भी बाधित हुआ था.
''मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने की वजह से बिहार में खनन कार्य बाधित था. लेकिन, अब धीरे-धीरे स्थितियां सामान्य होने की ओर है. अब खनन निगम के जरिए बालू का उत्खनन कराया जाएगा, इसके लिए नए सिरे से सर्वे का काम भी किया जाएगा.''- जनक राम, खनन मंत्री, बिहार
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जातिगत जनगणना के मसले पर जनक राम ने कहा कि आज की तारीख में जातिगत जनगणना मुद्दा नहीं है. विकास लोगों के लिए मुद्दा है. लोग अब जात-पात के मकड़जाल में फंसना नहीं चाहते हैं. वहीं, कृषि कानून को लेकर मंत्री ने कहा कि कृषि कानून को लेकर कुछ लोग सियासत कर रहे हैं. यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब भी अवसर आए तब देश हित में फैसला लिया है, किसी कानून को वोट बैंक से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में खनन पर लगी पूर्ण रोक के एनजीटी (NGT) के आदेश में संशोधन किया है. इससे बिहार में बालू खनन पर लगी रोक कुछ प्रतिबंधों के साथ समाप्त कर दी गई है. सुप्रीम कोर्ट से खनन विभाग के जरिए बालू खनन की गतिविधियां संचालित करने की अनुमति राज्य सरकार और आम लोगों की काफी हद तक राहत की खबर है. रोक से एक ओर जहां राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा था, वहीं, बालू किल्लत से आम को निर्माण कार्यों के लिए काफी अधिक कीमत पर इसकी खरीद करनी पड़ती थी.
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