पटना: बिहार में 24 सीटों पर एमएलसी चुनाव (Bihar MLC Elections) होना है. हालांकि इस चुनाव को लेकर निर्वाचन आयोग द्वारा अभी नोटिफिकेशन नहीं जारी किया गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद बिहार में 24 सीटों पर एमएलसी का चुनाव होगा. इसकी तैयारी सभी पार्टियों द्वारा की जा रही है. राजद-जदयू-भाजपा सहित कई पार्टियों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है.
निकाय कोटे से होने वाले विधान परिषद चुनाव के लिए लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास (Lok Janshakti Party Ramvilas) ने भी अकेले मैदान में उतरने का निर्णय लिया है लेकिन अब तक उसके उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की गई है. खबरें यह भी आ रही हैं कि लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास को 24 सीटों पर उम्मीदवार मिलना मुश्किल (LJP Ramvilas facing difficulty in finding candidates) हो रहा है.
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लोजपा रामविलास के प्रदेश प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव में लोजपा कुछ सीटों पर चुनाव लड़ेगी. हालांकि कितने सीटों पर पार्टी लड़ेगी, यह अभी तय नहीं हुआ है. उनका कहना है कि निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना जारी नहीं की गयी है. लोजपा रामविलास के पास मजबूत उम्मीदवार हैं जो पार्टी को जीत दिलायेंगे. समय आने पर लोजपा रामविलास अपने उम्मीदवारों की घोषणा करेगी.
सवाल यह उठ रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव, उपचुनाव में लोजपा ने अकेले चुनाव लड़कर देख लिया है कि उसका हश्र क्या हुआ है. उसके बावजूद फिर से अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लोजपा ने लिया है. अकेले चुनाव लड़ने पर लोक जनशक्ति पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा कि पार्टी ने अपने दम पर चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है. गठबंधन की राजनीति वे करते हैं जिनकी जमीन कमजोर होती है. लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास बिहार, झारखंड और बंगाल में अकेले चुनाव लड़ चुकी है. फिलहाल 100 सीटों पर उत्तर प्रदेश में भी चुनाव लड़ रही है. लोक जनशक्ति पार्टी अकेले चलने में विश्वास रखती है.
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लोजपा रामविलास के अकेले चुनाव लड़ने के निर्णय पर पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉक्टर संजय कुमार ने कहा कि लोकतंत्र में सबको चुनाव लड़ने का अधिकार है. कोई किसी को नहीं रोक सकता है परंतु उस सवाल यह उठता है कि अकेले चुनाव लड़कर आपने परिणाम को कितना बदला है. लोक जनशक्ति पार्टी पहले भी अकेले चुनाव लड़ कर देख चुकी है और उसका खामियाजा भी उसको भुगतना पड़ा है. इसके बावजूद अगर वह अकेले चुनाव लड़ती है तो उसका परिणाम उसे ही भुगतना पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि बिहार की क्षेत्रीय पार्टी होने के बावजूद बिहार में उसका संगठन मजबूत नहीं है. दूसरे राज्यों में अकेले चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान का यह निर्णय बिल्कुल ही गलत है. अगर वह अकेले चुनाव लड़कर अपनी पार्टी और संगठन को मजबूत कर रहे हैं तो इसमें कोई दिक्कत नहीं है. उन्होंने कहा कि सारी पार्टियों ने अपने कैंडिडेट्स की घोषणा कर दी है. चिराग पासवान अकेले चुनाव लड़कर 24 सीटों पर कैंडिडेट नहीं जुटा पा रहे हैं. उनके हिसाब से सात और आठ सीटों पर लोजपा रामविलास को उम्मीदवार मिला है. उन्हें भी मजबूत उम्मीदवार के रूप में नहीं देखा जा रहा है.
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पॉलिटिकल एक्सपर्ट ने कहा कि सभी पार्टियों को अकेले चुनाव लड़कर अपने अस्तित्व के बारे में जानने का अधिकार होता है परंतु बार-बार अकेले चुनाव लड़कर एक्सपेरिमेंट करने से कहीं ना कहीं संगठन की कमजोर होता है. जिस वजह से फिर से एमएलसी चुनाव में अकेले लड़ने का चिराग पासवान का निर्णय परिपक्व नहीं लगता है. संजय कुमार ने कहा कि जब पूरा देश गठबंधन की ओर बढ़ रहा है और गठबंधन के रास्ते ही सरकार बन रही है. ऐसे में चिराग पासवान अलग राह पर चलकर और अकेले चुनाव लड़कर कुछ हासिल कर पाएंगे, ऐसा नहीं लगता है.
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