पटना: उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी का मामला (Gyanvapi Case in Varanasi) इन दिनों चर्चा में है. इसी को लेकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा था कि हर मस्जिद में शिवलिंग खोजने की क्या जरूरत है. एक तरह से बिना मतलब विवाद नहीं करने की बात कही है. जिसको लेकर जदयू मंत्रियों ने तारीफ की (JDU Support of Mohan Bhagwat Statement) है. भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी का कहना है कि मोहन भागवत का बयान सही है. हिंदू और मुस्लिम दोनों तरफ कट्टर लोग हैं और ऐसे कट्टर लोगों से देश को बचाना है.
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'हिंदू समुदाय और मुस्लिम दोनों तरफ के कट्टर लोग हैं और ऐसे लोगों से देश को बचाना है. देश में कहीं विवाद ना हो और इसी को लेकर आरएसएस प्रमुख ने यह जो बयान दिया है और सही है.' - अशोक चौधरी, भवन निर्माण मंत्री
'इसका स्वागत किया जाना चाहिए क्योंकि अनावश्यक विवाद करने से क्या फायदा है. और जो इसको लेकर एक फैशन शो चल पड़ा है. यह समाज के लिए तो ठीक नहीं है.' - विजेंद्र यादव, ऊर्जा मंत्री
मोहन भागवत के बायन के समर्थन में उतरे मंत्री: गौरतलब है कि ज्ञानवापी का मुद्दा चल रहा है. इतिहास तो है जिसे हम बदल नहीं सकते. इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा. हमलावरों के जरिए इस्लाम बाहर से आया था. उन हमलों में भारत की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए देवस्थानों को तोड़ा गया. ये बातें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने महाराष्ट्र नागपुर में संघ कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही थी. जिनका समर्थ हो रहा है. वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के सर्वे में कथित तौर पर शिवलिंग मिलने के बाद राजनीति और राजनीतिक बयानबाजी चरम पर है. एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी इस मुद्दे को लेकर तीखे बयान दे रहे हैं. वहीं हिंदू पक्षकार भी मामले में तीखा बयान दे रहा है. ऐसे में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का बयान ऐसे समय में दिया गया बयान काफी मायने रखता है.
'कुछ जगहों के प्रति हमारी अलग भक्ति थी और हमने उसके बारे में बात की लेकिन हमें रोजाना एक नया मुद्दा नहीं लाना चाहिए. हमें विवाद को क्यों बढ़ाना? ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसी के अनुसार कुछ करना ठीक है, लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों?'- मोहन भागवत, आरएसएस चीफ
वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि जहां हिंदुओं की भक्ति है, वहां मुद्दे उठाए गए. हिंदू मुसलमानों के खिलाफ नहीं सोचते, मुसलमानों के पूर्वज भी हिंदू थे. यह उन्हें हमेशा के लिए स्वतंत्रता से दूर और मनोबल दबाने के लिए किया गया था. इसलिए हिंदुओं को लगता है कि (धार्मिक स्थल) को पुनर्स्थापित किया जाना चाहिए. मन में कोई मुद्दे हों तो उठ जाते हैं. यह किसी के खिलाफ नहीं है. इसे ऐसा नहीं माना जाना चाहिए. मुसलमानों को ऐसा नहीं मानना चाहिए और हिंदुओं को भी ऐसा नहीं करना चाहिए. कुछ ऐसा है तो आपसी सहमति से रास्ता खोजें, लेकिन हर बार रास्ता नहीं निकल सकता, जिसके कारण लोग अदालत जाते हैं और अगर ऐसा किया जाता है, तो अदालत जो भी फैसला करे उसे स्वीकार करना चाहिए. हमें अपनी न्यायिक प्रणाली को पवित्र और सर्वोच्च मानते हुए फैसलों का पालन करना चाहिए. हमें इसके फैसलों पर सवाल नहीं उठाना चाहिए.
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