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अपने खिलाफ जारी वारंट पर उपेंद्र कुशवाहा ने दी सफाई, कहा- 'हाईकोर्ट से ग्रांटेड है बेल' - ईटीवी न्यूज

जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (JDU PB National President Upendra Kushwaha) ने वारंट मामले को लेकर सफाई दी है. उन्होंने कहा कि इस केस में मुझे हाईकोर्ट से बेल ग्रांटेड है. हालांकि हाईकोर्ट ने एक शर्त भी लगा दिया कि 50000 रुपए आपको फाइन किया जा रहा है. क्या है पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर..

वारंट मामले में उपेंद्र कुशवाहा ने दी सफाई
वारंट मामले में उपेंद्र कुशवाहा ने दी सफाई
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Published : Oct 2, 2022, 10:49 PM IST

पटना: जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधान पार्षद उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ वारंट जारी होने के मामले में खुद उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई देते (Upendra Kushwaha Clarified In Issue Of Warrant) हुए कहा कि आज भी हाईकोर्ट से बेल ग्रांटेड है लेकिन हाईकोर्ट ने एक शर्त भी लगा दिया कि 50000 रुपए आपको फाइन किया जा रहा है. 50000 रुपए जमा करके फिर कोर्ट आइए. ये मामला उपेंद्र कुशवाहा के धरना-प्रदर्शन और आंदोलन को लेकर है. उस समय वे रालोसपा में थे लेकिन अब रालोसपा का पूरी तरह से जदयू में विलय चुका है. 15 अक्टूबर तक वैशाली पुलिस को जवाब देना है. दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा कह रहे हैं कि मुझे बेल मिली हुई है.

ये भी पढ़ें- जदयू की बैठक में उपेंद्र कुशवाहा की समता फुले परिषद पर उठा सवाल

'50000 की राशि कोर्ट में जमा नहीं करना था. मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करना था लेकिन जब कोई ट्रायल ही नहीं चल रहा है तो इस तरह राशि जमा करना मुझे उचित नहीं लगा. इसलिए मैं फिर से हाईकोर्ट में उसी मामले को लेकर अपील कर दिया तो मामला कोर्ट में है. ऐसे मुझे बेल ग्रांटेड है.' - उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड

'मुझे बेल ग्रांटेड है' : असल में जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को लेकर पटना के एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था. वारंट सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में जारी किया गया. मामला 3 साल पहले का है. 2 फरवरी 2019 को उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी की तरफ से एक प्रदर्शन मार्च निकाला था. पटना के डाकबंगला चौराहा को जाम कर दिया था. इसको लेकर उपेंद्र कुशवाहा पर तोड़फोड़ और प्रदर्शन और सरकारी काम में बाधा डालने का गंभीर आरोप लगाया गया था. जिसके बाद कोतवाली थाना में केस दर्ज किया गया था. उस समय उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे.

कुशवाहा पर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप : उपेंद्र कुशवाहा और पार्टी के सदस्य अरविंद कुमार को नामजद अभियुक्त बनाया गया था जबकि ढाई सौ से 300 लोग अज्ञात के रूप में शामिल किया गया था. एमपी-एमएलए कोर्ट ने 29 अगस्त को ही गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था. एक महीने बाद भी वैशाली पुलिस ने उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. इस मामले में एमपी- एमएलए कोर्ट ने 15 अक्टूबर को गैर जमानती वारंट तामील पर रिपोर्ट मांगी है और उसी को लेकर आज एक बार फिर उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई दी है. ऐसे में देखना है एमपी एमएलए कोर्ट आगे क्या फैसला लेता है.

पटना: जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विधान पार्षद उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ वारंट जारी होने के मामले में खुद उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई देते (Upendra Kushwaha Clarified In Issue Of Warrant) हुए कहा कि आज भी हाईकोर्ट से बेल ग्रांटेड है लेकिन हाईकोर्ट ने एक शर्त भी लगा दिया कि 50000 रुपए आपको फाइन किया जा रहा है. 50000 रुपए जमा करके फिर कोर्ट आइए. ये मामला उपेंद्र कुशवाहा के धरना-प्रदर्शन और आंदोलन को लेकर है. उस समय वे रालोसपा में थे लेकिन अब रालोसपा का पूरी तरह से जदयू में विलय चुका है. 15 अक्टूबर तक वैशाली पुलिस को जवाब देना है. दूसरी तरफ उपेंद्र कुशवाहा कह रहे हैं कि मुझे बेल मिली हुई है.

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'50000 की राशि कोर्ट में जमा नहीं करना था. मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा करना था लेकिन जब कोई ट्रायल ही नहीं चल रहा है तो इस तरह राशि जमा करना मुझे उचित नहीं लगा. इसलिए मैं फिर से हाईकोर्ट में उसी मामले को लेकर अपील कर दिया तो मामला कोर्ट में है. ऐसे मुझे बेल ग्रांटेड है.' - उपेंद्र कुशवाहा, राष्ट्रीय अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड

'मुझे बेल ग्रांटेड है' : असल में जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा को लेकर पटना के एमपी-एमएलए कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था. वारंट सरकारी काम में बाधा डालने के मामले में जारी किया गया. मामला 3 साल पहले का है. 2 फरवरी 2019 को उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी पार्टी की तरफ से एक प्रदर्शन मार्च निकाला था. पटना के डाकबंगला चौराहा को जाम कर दिया था. इसको लेकर उपेंद्र कुशवाहा पर तोड़फोड़ और प्रदर्शन और सरकारी काम में बाधा डालने का गंभीर आरोप लगाया गया था. जिसके बाद कोतवाली थाना में केस दर्ज किया गया था. उस समय उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे.

कुशवाहा पर सरकारी काम में बाधा डालने का आरोप : उपेंद्र कुशवाहा और पार्टी के सदस्य अरविंद कुमार को नामजद अभियुक्त बनाया गया था जबकि ढाई सौ से 300 लोग अज्ञात के रूप में शामिल किया गया था. एमपी-एमएलए कोर्ट ने 29 अगस्त को ही गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था. एक महीने बाद भी वैशाली पुलिस ने उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया. इस मामले में एमपी- एमएलए कोर्ट ने 15 अक्टूबर को गैर जमानती वारंट तामील पर रिपोर्ट मांगी है और उसी को लेकर आज एक बार फिर उपेंद्र कुशवाहा ने सफाई दी है. ऐसे में देखना है एमपी एमएलए कोर्ट आगे क्या फैसला लेता है.

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