पटना: देश में आजादी का अमृत महोत्सव (Azadi Ka Amrit Mahotsav) मनाया जा रहा है. इस कार्यक्रम के तहत स्वतंत्रता सेनानियों की याद में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं. बिहार में स्वतंत्रता संग्राम के नायक बाबू वीर कुंवर सिंह की जन्म जयंती (Veer Kunwar Singh birth anniversary) के मौके पर भारतीय जनता पार्टी बड़ा आयोजन करने जा रही है. बाबू वीर कुंवर सिंह की जन्मस्थली जगदीशपुर में बड़े स्तर पर कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. आगामी 23 अप्रैल को इस कार्यक्रम में शिरकत करने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah Bihar visit) जगदीशपुर पहुंच रहे हैं.
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101011 तिरंगा झंडा फहराने की तैयारी: गृह मंत्री के आगमन से पूर्व भाजपा भव्य तैयारियों में जुटी है. बाबू वीर कुंवर सिंह की स्मृति में भाजपा 101011 तिरंगा झंडा फहराने की तैयारी कर रही है. जगदीशपुर में तिरंगा के साथ लोगों का कुंभ लगेगा. बिहार के 14 जिलों के कार्यकर्ता तिरंगा कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचेंगे. भाजपा की कोर कमेटी में इस बाबत निर्णय भी लिया जा चुका है और इस योजना पर काम शुरू कर दिया गया है. पार्टी इस बार एक लाख से अधिक तिरंगा झंडा के साथ विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रही है.
कार्यक्रम में बिहार भाजपा के तमाम कद्दावर नेता मौजूद रहेंगे. तिरंगे से पूरे जगदीशपुर को पाट देने की योजना है. इस कार्यक्रम की देख-रेख के लिए गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय लगातार जगदीशपुर का दौरा कर रहे है. इस कार्यक्रम को लेकर वे कुछ दिन पूर्व सीएम नीतीश कुमार से मिले थे. इस कार्यक्रम में नीतीश कुमार भी शामिल होंगे. दरअसल ये पहली बार हो रहा है जब भाजपा वीर कुंवर सिंह की जयंती समारोह आरा में इतने बड़े पैमाने पर आयोजित कर रही है.
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कौन थे बाबू वीर कुंवर सिंह: 1857 का संग्राम ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक बड़ी और अहम घटना थी. इस क्रांति की शुरुआत 10 मई, 1857 को मेरठ से हुई, जो धीरे-धीरे बाकी स्थानों पर फैल गई. वैसे तो संग्राम में कई लोगों ने अपनी जान की बाजी लगाई लेकिन अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए अपने क्षेत्र को आजाद करने वाले एकमात्र नायक बाबू वीर कुंवर सिंह थे. उन्होंने 23 अप्रैल, 1858 को शाहाबाद क्षेत्र को अंग्रेजों के चंगुल से मुक्त कराया था. उन्होंने जगदीशपुर के अपने किले पर फतह पाई थी और ब्रिटिश झंडे को उतारकर अपना झंडा फहराया था. उसी आजादी का पारंपरिक विजयोत्सव दिवस 23 अप्रैल को मनाया जाता है.
कब उठाई बाबू वीर कुंवर सिंह ने तलवार? : 1857 के संग्राम के दौरान पटना एक अहम केंद्र था जिसकी शाखाएं चारों ओर फैली थीं. पटना के क्रांतिकारियों के मुख्य नेता पीर अली को अंग्रेजों ने फांस दे दी थी जिसके बाद दानापुर की देसी पलटनों ने स्वाधीनता की घोषणा कर दी. ये पलटनें जगदीशपुर की तरफ गईं और कुंवर सिंह ने इनका नेतृत्व संभाला. इसके बाद कुंवर सिंह ने कई कामयाब हासिल कीं. उन्होंने आरा में अंग्रेजी खजाने पर कब्जा किया. जेलखाने के कैदी रिहा किए. उन्होंने आजमगढ़ पर कब्जा किया. इतना ही नहीं लखनऊ से भागे कई क्रांतिकारी भी कुंवर सिंह की सेना में आ मिले थे.
जब एक हाथ से लड़े बाबू वीर कुंवर सिंह : अप्रैल 1958 में नाव के सहारे गंगा नदी पार करने के दौरान अंग्रेजों ने कुंवर सिंह पर हमला कर दिया था. वह नदी पार करते समय अपने पलटन के साथ ईस्ट इंडिया कंपनी के सैनिकों से घिर गए थे. इस क्रम में उनके हाथ में गोली लग गई. गोली उनकी बायीं बांह में लगी. गोली लगने के बाद उन्होंने अपने ही तलवार से हाथ काटकर उसे गंगा नदी में अर्पित कर दिया. हालांकि, घायल होने के बावजूद उनकी हिम्मत नहीं टूटी और जगदीशपुर किले को फतह कर ही दम लिया. एक ब्रिटिश इतिहासकार होम्स ने उनके बारे में लिखा है, ‘यह गनीमत थी कि युद्ध के समय उस कुंवर सिंह की उम्र 80 थी. अगर वह जवान होते तो शायद अंग्रेजों को 1857 में ही भारत छोड़ना पड़ता.'
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