पटना: 31 मार्च 2021 को बिहार नगर पालिका एक्ट 2007 के चेप्टर 5 (Bihar Municipal Act 2007) को बिहार सरकार द्वारा किए गए संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर पटना हाईकोर्ट में सुनवाई पूरी नहीं हो सकी है. डॉक्टर आशीष कुमार सिन्हा की याचिका पर चीफ जस्टिस संजय करोल की डिवीजन ने सुनवाई की. यह मामला नगरपालिका में संवर्ग की स्वायत्तता से जुड़ा हुआ है.
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कोर्ट को अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि इस संशोधन के तहत नियुक्ति और तबादला को सशक्त स्थाई समिति में निहित अधिकार को ले लिया गया है और यह अधिकार अब राज्य सरकार में निहित हो गया है. याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया था कि अन्य सभी राज्यों में नगर निगम के कर्मियों की नियुक्ति नियमानुसार निगम द्वारा ही की जाती है.
'नगर निगम एक स्वायत्त निकाय': अधिवक्ता मयूरी का कहना था कि नगर निगम एक स्वायत्त निकाय है, इसलिए इसे दैनिक क्रियाकलापों में स्वयं काम करने देना चाहिए. कोर्ट को यह भी बताया कि जहां एक ओर निगम के कर्मियों पर राज्य सरकार का नियंत्रण है, वहीं दूसरी ओर वेतन समेत अन्य लाभ निगम के कर्मियों को निगम के फंड से दिए जाते हैं. उन्होंने यह बताया कि निगम के कर्मियों के कैडर का केंद्रीकरण 74वें संशोधन और नगर निगम के स्वायत्तता के भावना के विपरीत है.
27 अप्रैल को अगली सुनवाई: कोर्ट को आगे यह भी बताया गया कि चेप्टर 5 में दिए गए प्रावधान के मुताबिक निगम में ए और बी केटेगरी में नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को है, जबकि सी और डी केटेगरी में नियुक्ति के मामले में निगम को बहुत थोड़ा सा नियंत्रण दिया गया है. 31 मार्च को किये गए संशोधन से सी और डी केटेगरी के मामले में भी निगम के ये सीमित अधिकार को भी मनमाने ढंग से ले लिये गए है. अब इस मामले पर अगली सुनवाई 27 अप्रैल 2022 को की जाएगी.
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