पटना: बिहार में गर्मी के महीने में बच्चों में बढ़ रही बीमारी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने प्रदेश के 11 जिलों में स्थापित पीकू (PIKU established in 11 districts) को पटना एम्स के शिशु टेलीकंसल्टेशन से जोड़ने का निर्णय लिया है. बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे (Health Minister Mangal Pandey) ने बताया कि अति गंभीर, एईएस और जेई से पीड़ित बच्चों के त्वरित और उचित इलाज के लिए राज्य के 11 जिलों में स्थापित शिशु गहन देखभाल इकाई यानी पीकू को और भी सुदृढ़ किया जा रहा है.
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''बेहतर इलाज के लिए विशेषज्ञों से सलाह के लिए पटना एम्स से टेलीमेडिसिन की सुविधा इन संस्थानों में प्रदान की जाएगी. पीकू में एईएस और जेई के साथ-साथ 1 माह से 12 साल के अति गंभीर बच्चों का भी उपचार किया जाएगा. जिला अस्पताल स्तर पर स्थापित पीकू में कार्यरत शिशु रोग विशेषज्ञ, चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ और लैब टेक्नीशियन को 16 अप्रैल से प्रशिक्षण दिया जा रहा है जो 25 अप्रैल तक अलग-अलग अस्पतालों में चलेगा. प्रशिक्षण के बाद टेली आईसीयू काउंसलिंग की सुविधा को सफलतापूर्वक चलाया जा सकेगा.''- मंगल पांडे, स्वास्थ्य मंत्री
प्रशिक्षण के लिए जिला अस्पताल चिन्हित: स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रशिक्षण के लिए 6 जिलों के जिला अस्पताल को चिन्हित किया गया है. इनमें गोपालगंज में 16 अप्रैल, समस्तीपुर में 18 अप्रैल और वैशाली में 19 अप्रैल को प्रशिक्षण संपन्न हो चुका है और अब 21 अप्रैल को पूर्वी चंपारण, 22 अप्रैल को सीतामढ़ी और 25 अप्रैल को जिला अस्पताल मुजफ्फरपुर में प्रशिक्षण चलेगा.
AES पीड़ित बच्चों का इलाज होगा संभव: मंगल पांडे ने कहा कि यह सुविधा शुरू होने से ना सिर्फ एईएस पीड़ित बच्चों का इलाज संभव होगा, बल्कि कई अन्य रोगों के कारण बच्चों में होने वाली मौतों को भी कम किया जा सकेगा. पीकू वार्ड में टेली आईसीयू काउंसलिंग की सुविधा उपलब्ध होने से बेहतर चिकित्सा के लिए बच्चों को कहीं बाहर रेफर नहीं करना पड़ेगा. एम्स पटना से इन चिन्हित जिलों को शिशु टेली आईसीयू कंसल्टेशन सेवा से जोड़ा जाएगा. अनुभवी और विशेषज्ञ डॉक्टरों द्वारा टेली काउंसलिंग का प्रशिक्षण मिलने से ऐसे पीड़ित बच्चों को बेहतर चिकित्सा मिल पाएगी. जिससे अति गंभीर/आकस्मिक परिस्थिति वाले बच्चों का उपचार जिले में आसानी से संभव हो पाएगा.
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