पटनाः कोविड महामारी के दौर में एक तरफ जहां ऑक्सीजन और वेंटिलेटर के अभाव में मरीज दम तोड़ रहे हैं, वही दूसरी तरफ सरकारी अस्पताल में लगे वेंटिलेटर को प्राइवेट अस्पतालों में शिफ्ट किए जाने का मामला सामने आया है. मामला पटनासिटी स्थित गुरू गोविंद सिंह अस्पताल का है, जहां कुशल ऑपरेटरों के अभाव में वेंटिलेटरों को सिविल सर्जन के आदेश पर निजी अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है.
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कैसे हुआ खुलासा?
गुरुगोविंद सिंह अस्पताल से वेंटिलेटरों को शिफ्ट किए जाने के मामले का खुलासा तब हुआ जब वेंटिलेटर को गाड़ी से ले जाया जा रहा था. तभी स्थानीय लोगों ने इस माजरा को देखकर हंगामा करना शुरू कर दिया. इस बावत जब अस्पताल के अधीक्षक पशुपति नाथ से पूछा गया तो उन्होंने वेंटिलेटर ले जाने की बात को कबूल करते हुए कहा कि पटना सिविल सर्जन के आदेश पर वेंटिलेटर को भेजा जा रहा था.
एनएमसीएच में वेंटिलेटर की कमी
पटना के सिविल सर्जन के इस आदेश पर कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं. सवाल ये कि एक तरफ बिहार के दूसरे सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एनएमसीएच पर भी मरीजों की बड़ी संख्या का इलाज का जिम्मा है. इस अस्पताल में पहले से ही वेंटिलेटर जैसे जरूरी संसाधनों की जरूरत है. उस स्थिति में सिविल सर्जन के द्वारा निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर शिफ्ट किए जाने जैसे असंवेदनशील फैसले कैसे लिए जा सकते हैं.
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मुआयना करने दो बार पहुंचे डीएम
बता दें कि गुरू गोविंद सिंह अस्पताल की व्यवस्था दुरुस्त करने को लेकर जिलाधिकारी दो बार अस्पताल का दौरा कर चुके हैं. इस अस्पताल को अनुमंडलीय अस्पताल का दर्जा प्राप्त है. लेकिन बेहतर प्रबंधन के अभाव में यहां मौजूद सुविधाओं की बलि चढ़ रही है. नौबत ये आ गई है कि बेहतर प्रबंधन के अभाव में संसाधनों को निजी अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है.