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बिहार में पराली प्रबंधन पर होगा शोध, स्कूल कॉलेजों में होगी पढ़ाई

बिहार सहित पूरे देश में पराली (पुआल) जलाने के कारण प्रदूषण की समस्या गंभीर हो रही है. बिहार सरकार इस समस्या से निपटने के लिए पराली प्रबंधन पर पढ़ाई और शोध (Straw Management Study In Bihar) को बढ़ावा देगी. जल्द इसे सिलेबस में शामिल किया जायेगा. पढ़ें पूरी खबर..

Straw Management
Straw Management
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Published : Apr 15, 2022, 10:55 PM IST

पटना: पराली प्रबंधन पूरे देश में किसानों के लिए बड़ी समस्या है. इससे भी बड़ी समस्या किसानों की ओर से पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण है. इसके लिए राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार कई गाइडलाइन जारी कर चुकी है. इसके बाद भी पराली की समस्या नहीं समाप्त हो रही है. इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने बिहार में पराली प्रबंधन की पढ़ाई शुरू करने की तैयारी (Government Will Promote Straw Management Study In Bihar) की जा रही है.

पढ़ें- पटनाः प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के निर्देशों को ठेंगा, राजधानी से सटे इलाकों में जलाई जा रही पराली

सिलेबस पर हो रहा है कामः कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह (Agriculture Minister Amarendra Pratap Singh) ने बताया कि पराली की समस्या को हल करने के लिए जागरुकता सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके लिए सभी आयुवर्ग के लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य रखा गया है. इसी को ध्यान में रखकर स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर पढ़ाई और शोध की तैयारी है. इससे समस्या के बारे में लोग जागरूक होंगे और शोध से इस बारे में और जानकारी आयेगी. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर (Bihar Agricultural University Sabour) और राजेंद्र केंद्रीय कृषि विवि पूसा (Rajendra Central Agricultural University Pusa) को सामग्री पाठ्य सामग्री तैयार करने की जिम्मेवारी दी गई है.

200 पंचायतों को किया गया है चिह्नितः गांव में किसानों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. कृषि विभाग ने सेटेलाइट की मदद से फसल अवशेष जलाने वाली 200 पंचायतों को चिह्नित किया है. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इसे रोकने के लिए सहायता, जागरुकता और कार्रवाई का अभियान चलाया जा रहा है.

सेटेलाइट से रखी जा रही है नजरः कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में गेहूं की कटनी चल रही है. विभाग सेटेलाइट से फसल कटनी के बाद आग लगने की घटना से संबंधित चित्र हासिल कर उनका विश्लेषण कर रहा है. विभिन्न पंचायतों में किसान चौपाल लगाए गए हैं. माइक और एलइडी युक्त प्रचार वाहनों के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़ी फिल्म दिखाने के साथ नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

पढ़ें-पराली जलाने वाले किसानों पर कार्रवाई, 3 साल के लिए सरकारी योजनाओं से वंचित

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पटना: पराली प्रबंधन पूरे देश में किसानों के लिए बड़ी समस्या है. इससे भी बड़ी समस्या किसानों की ओर से पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण है. इसके लिए राज्य सरकारों के साथ-साथ केंद्र सरकार कई गाइडलाइन जारी कर चुकी है. इसके बाद भी पराली की समस्या नहीं समाप्त हो रही है. इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने बिहार में पराली प्रबंधन की पढ़ाई शुरू करने की तैयारी (Government Will Promote Straw Management Study In Bihar) की जा रही है.

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सिलेबस पर हो रहा है कामः कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह (Agriculture Minister Amarendra Pratap Singh) ने बताया कि पराली की समस्या को हल करने के लिए जागरुकता सबसे ज्यादा जरूरी है. इसके लिए सभी आयुवर्ग के लोगों को जागरूक करने का लक्ष्य रखा गया है. इसी को ध्यान में रखकर स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय स्तर पढ़ाई और शोध की तैयारी है. इससे समस्या के बारे में लोग जागरूक होंगे और शोध से इस बारे में और जानकारी आयेगी. बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर (Bihar Agricultural University Sabour) और राजेंद्र केंद्रीय कृषि विवि पूसा (Rajendra Central Agricultural University Pusa) को सामग्री पाठ्य सामग्री तैयार करने की जिम्मेवारी दी गई है.

200 पंचायतों को किया गया है चिह्नितः गांव में किसानों को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है. कृषि विभाग ने सेटेलाइट की मदद से फसल अवशेष जलाने वाली 200 पंचायतों को चिह्नित किया है. कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि इसे रोकने के लिए सहायता, जागरुकता और कार्रवाई का अभियान चलाया जा रहा है.

सेटेलाइट से रखी जा रही है नजरः कृषि मंत्री ने बताया कि राज्य में गेहूं की कटनी चल रही है. विभाग सेटेलाइट से फसल कटनी के बाद आग लगने की घटना से संबंधित चित्र हासिल कर उनका विश्लेषण कर रहा है. विभिन्न पंचायतों में किसान चौपाल लगाए गए हैं. माइक और एलइडी युक्त प्रचार वाहनों के माध्यम से किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़ी फिल्म दिखाने के साथ नुक्कड़ नाटक के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है.

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