पटना: बिहार में एनडीए सिमटती जा रही है. वीआईपी सुप्रीमो मुकेश साहनी (VIP Supremo Mukesh Sahni) ने एनडीए छोड़ दिया है. अब हम प्रमुख और बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी (Former CM Jitan Ram Manjhi) की नाराजगी भी उभरकर सामने आ रही है. मांझी ने विधान परिषद या राज्यसभा सीट को लेकर एनडीए के शीर्ष नेताओं को मुश्किल में डाल दिया है. इसके साथ ही उन्होंने एनडीए के बड़े घटक दलों के नेताओं पर एकतरफा फैसला लेने का आरोप लगाया है. मांझी के इस रवैये से एनडीए में बेचौनी (pressure on Bihar NDA) बढ़ गयी है क्योंकि राज्यसभा चुनाव में हम के विधायक गंठबंधन प्रत्याशी के लिए काफी अहम हैं.
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साहनी के बाद मांझी को दरकिनार करना मुश्किल: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में चार घटक दल थे. अब घटक दलों की संख्या घटकर 3 रह गई है. मुकेश सहनी को गठबंधन से बाहर का रास्ता दिखाया जा चुका है. विधान परिषद के स्थानीय निकाय के चुनाव के दौरान मुकेश सहनी ने बागी तेवर अख्तियार किया था. इसके चलते उन्हें बाहर जाना पड़ा. हालांकि मुकेश सहनी के पार्टी के तीनों विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे.
एनडीएन को धर्मसंकट में डाला: पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली पार्टी हम ने राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव के ठीक पहले दावेदारी कर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के शीर्ष नेताओं को धर्मसंकट में डाल दिया है. जीतन राम मांझी की पार्टी ने राज्यसभा या विधान परिषद के लिए एक सीट पर दावेदारी की है. आपको बता दें कि राज्यपाल कोटे से मनोनयन के दौरान भी जीतन राम मांझी ने दावेदारी की थी लेकिन उन्हें एक भी सीट नहीं मिली थी. उसके बाद स्थानीय निकाय के चुनाव में भी जीतन राम मांझी के खाते में एक भी सीट नहीं गई थी. दोनों मौकों पर मांझी नाराज हुए थे.
अब राज्यसभा और विधान परिषद के चुनाव होने हैं तब मांझी की पार्टी की ओर से एक सीट पर दावेदारी की गई है. मुकेश साहनी के एग्जिट के बाद एनडीए के नेता थोड़े दबाव में हैं. अंक गणित के लिहाज से बिहार विधानसभा में एनडीए के कुल 127 विधायक हैं. अगर हम पार्टी के चार कम हो जाते हैं तो भाजपा और जदयू के कुल 123 विधायक हर जाते हैं जो कि बहुमत के आंकड़े के बिल्कुल करीब है. फिलहाल विपक्षी खेमे में 116 विधायक हैं. जीतन राम मांझी के चार विधायक विपक्षी खेमे में जोड़ देते हैं तो विधायकों की संख्या 120 हो जाती है. ऐसी स्थिति में महज 3 विधायकों के अंतर से बिहार में सरकार चलेगी.
'इस बार हमारी पार्टी को प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए. पिछले दो बार से हम उपेक्षित रहे हैं. इस बार हमारी दावेदारी मजबूत है.' -दानिश रिजवान, हम पार्टी के प्रधान महासचिव.
'हर आदमी को डिमांड करने का अधिकार है. जहां तक राज्यसभा या विधान परिषद की सीट का सवाल है तो जीतन राम मांझी का गठबंधन जेडीयू के साथ है. नीतीश कुमार को ही हम पार्टी की डिमांड पर विचार करना है.'- नवल किशोर यादव, भाजपा के वरिष्ठ नेता.
'मांग करना सबका लोकतांत्रिक अधिकार है. जहां तक राज्यसभा या विधान परिषद सीट की दावेदारी का सवाल है तो राज्यसभा या विधान परिषद के लिए विधायकों की संख्या पर्याप्त होनी चाहिए.' -निहोरा प्रसाद यादव, जदयू प्रवक्ता.
'जीतन राम मांझी दबाव की राजनीति कर रहे हैं. राज्यसभा की सीट मिलने की संभावना तो ना के बराबर है लेकिन विधान परिषद की एक सीट उनके खाते में जा सकती है अगर भाजपा और जदयू सहमत हों. जीतन राम मांझी वर्तमान परिस्थितियों में एनडीए के अंदर अपनी अहमियत समझ रहे होंगे.'- डॉ. संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
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