पटना सिटी: सूबे की सरकार (Bihar Government) मछली पालन करने (Fishing) को लेकर मत्स्य विभाग (Fisheries Department) में कई बड़ी योजनाएं (Many Big Plans) दी है. जिससे मछली पालकों (Fish Farmers) में खुशी की लहर है. लेकिन उनकी खुशी उस समय परेशानी और बदनसीबी का कारण बन जाती है, जब तालाब के किनारे बड़े-बड़े कल-कारखानों से निकलने वाला जहरीला रसायन तालाब में गिरने लगता है. इस वजह से मछलियों की मौत हो रही है.
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जहरीले पानी से चार साल में अबतक मछली पालकों को 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ है. काफी संख्या में मछलियां मर रही हैं. कई जगह संबंधित पदाधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद भी मछली पालकों की इस समस्या का निदान नहीं हो पाया है. एक तरफ फैक्ट्री मालिकों की दादागिरी तो दूसरी ओर लाखों का नुकसान होने से मछली पालक मायूस हो गये हैं.
'चार साल से इस तालाब में लाखों रुपये की मछलियों की मौत हो चुकी है. लेकिन कोई निराकरण नहीं निकला है. अब हमलोग लगातार नुकसान सहकर मायूस हो गये हैं. अब इस मछली पालन में कोई फायदा नहीं है. क्योंकि मछली पालक की देखभाल और सुरक्षा संबंधित पदाधिकारी मछली पालकों की मदद नहीं करते हैं.' : राजेश कुमार, पीड़ित मछली पालक
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इस वाकये से मछली पालकों में रोष देखा जा रहा है. मछली पालकों की सरकार और प्रशासन से मांग है कि उन्हें सुरक्षा दी जाए. इसकी गारंटी ली जाए. नहीं तो मछली पालन करने वाले भूखे मर जायेंगे.
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