पटना: मंगलवार को शिक्षा विभाग में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान तमाम विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार और वित्तीय पदाधिकारी को बुलाया गया था. जहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से तमाम विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर भी जुड़े थे. इस दौरान शिक्षा मंत्री विजय चौधरी (Education Minister Vijay Choudhary) ने हायर एजुकेशन से संबंधित सभी विभागों के अधिकारियों की उपस्थिति में सख्त लहजे में सभी विश्वविद्यालयों के अधिकारियों को चेतावनी दे दी है.
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दरअसल, पिछले कुछ महीनों में जिस तरह के मामले विश्वविद्यालयों से जुड़े सामने आए हैं, उसने शिक्षा विभाग के हायर एजुकेशन पर विशेष तौर पर बड़े प्रश्नचिह्न खड़े किए हैं. हायर एजुकेशन में अनियमितता (Irregularities in Higher Education) से जुड़े मुद्दों को लेकर ईटीवी भारत ने कई बार आपको पूरी रिपोर्ट दिखाई है कि किस तरह छात्राओं को प्रोत्साहन राशि नहीं मिल रही है. विश्वविद्यालय में काम करने वाले शिक्षक, शिक्षकेतर कर्मी और वहां से रिटायर करने वाले शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मियों को भी समय पर राशि का भुगतान नहीं हो रहा है. इसके अलावा सबसे बड़ा मामला यह कि जो राशि खर्च हो रही है, उसका भी कोई हिसाब-किताब शिक्षा विभाग को नहीं मिल रहा है. जबकि पूरी राशि शिक्षा विभाग ही विश्वविद्यालयों को उपलब्ध कराता है.
शिक्षा विभाग के अधिकारी इस बात का जिक्र हमेशा करते हैं कि हम कई सालों से विभिन्न विश्वविद्यालयों से खर्च का हिसाब मांग रहे हैं, लेकिन वे कोई हिसाब नहीं दे रहे हैं. यही नहीं किस जगह कितनी नियुक्तियां हुई हैं, कौन व्यक्ति काम कर रहा है और किस नियम से उसकी नियुक्ति हुई है, इसकी जानकारी भी विश्वविद्यालय के अधिकारी नहीं दे रहे हैं. इन तमाम मुद्दों को लेकर इस बार विधानसभा सत्र में भी सवाल उठे थे. विधान परिषद में तो जेडीयू-बीजेपी के नेताओं ने भी उसे लेकर सवाल खड़े किए थे.
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जेडीयू नेता संजीव कुमार सिंह ने तो आरोप लगाया है कि पूर्णिया विश्वविद्यालय समेत कुछ विश्वविद्यालयों में कॉपी खरीद के नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ है. उन्होंने कहा कि सही बात की जानकारी राज्यपाल तक को नहीं दी जाती है.
शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने शिक्षा विभाग के द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में तमाम विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रार और वित्तीय पदाधिकारी को पारदर्शिता बतरने को लेकर चेतावनी (Vijay Choudhary Warns Universities) दी है. उन्होंने कहा है कि शिक्षा विभाग हायर एजुकेशन पर 4000 करोड़ पर खर्च कर रहा है, लेकिन वह खर्च कहां हो रहा है इसकी जानकारी हमें अब पूरे सही तरीके से चाहिए. इसके लिए ऑनलाइन सिस्टम तैयार किया गया है. पोर्टल पर पूरी जानकारी उपलब्ध करानी है.
शिक्षा विभाग ने इस कार्यक्रम में उपस्थित रजिस्ट्रार और वित्तीय पदाधिकारी के अलावा वर्चुअल तरीके से उपस्थित वाइस चांसलर को सख्त हिदायत भी दे दी है कि भले ही आप राजभवन के तहत काम कर रहे हैं लेकिन खर्च का हिसाब किताब आपको हमें देना होगा, क्योंकि वित्तीय अनियमितता होने पर बदनामी सरकार की होती है. शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने यह भी स्पष्ट किया है कि अब तमाम महाविद्यालयों और विश्वविद्यालयों में ग्रुप सी की नियुक्तियां शिक्षा विभाग के जरिए होंगी. इसके लिए शिक्षा विभाग या तो कर्मचारी चयन आयोग या अवर सेवा आयोग या फिर किसी अन्य आयोग के जरिए नियुक्ति करेगा. इसके लिए वैकेंसी की जानकारी सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों से मांगी गई है, लेकिन अब तक इसे उपलब्ध नहीं कराया गया है. इसे लेकर शिक्षा मंत्री ने नाराजगी जताई है.
"अगले कुछ दिनों में वे तमाम विश्वविद्यालयों के वीसी और अन्य अधिकारियों की उपस्थिति में इस बात की समीक्षा करेंगे कि किस विश्वविद्यालय से कब जानकारी मांगी गई और उन्होंने जानकारी उपलब्ध कराई या नहीं. अगर नहीं कराई तो उसके पीछे वजह क्या है, यह जवाब भी संबंधित विश्वविद्यालय को देना होगा"- विजय चौधरी, शिक्षा मंत्री, बिहार
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कार्यक्रम में इस दौरान शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार और हायर एजुकेशन डायरेक्टर रेखा कुमारी ने भी कहा है कि पोर्टल के जरिए ही तमाम खर्च को पारदर्शी तरीके से दर्शाना है ताकि जब भी जरूरत हो, इसकी पूरी जानकारी एक क्लिक पर किसी को भी उपलब्ध कराई जा सके.
कुल मिलाकर देखें तो इस वर्ष हायर एजुकेशन से जुड़े कई मामलों को लेकर शिक्षा विभाग की जमकर किरकिरी हुई है. कुछ बड़े मामलों पर गौर करें तो एक वीसी के यहां से कैश की बरामदगी और उसके बाद भी उन पर कार्रवाई नहीं होना, कई विश्वविद्यालयों में कॉपी टेंडर घोटाला, मुख्यमंत्री प्रोत्साहन योजना के तहत छात्राओं को राशि नहीं मिलना समेत कई अन्य मुद्दे रहे हैं, जिन्होंने शिक्षा विभाग की जमकर किरकिरी की है. इस पूरे एपिसोड में कहीं न कहीं वित्तीय कुप्रबंधन ही सामने आया है, जिसे लेकर अब शिक्षा विभाग ने सख्त लहजे में चेतावनी दे दी है कि अगर हम खर्च कर रहे हैं तो हमें हिसाब भी चाहिए. इसमें कोई कोताही बर्दाश्त नहीं होगी.
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