ETV Bharat / city

पटना: छठ के तीसरे दिन गंगा घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

बाढ़ अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान और गंगा जल ले जाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी. यहां उत्तरवाहिनी गंगा के जल से ही ठेकुआ और लडुआ बनाने की परंपरा हैं.

author img

By

Published : Nov 2, 2019, 12:12 PM IST

प्रसाद बनाने के लिये गंगाजल ले जाते श्रद्धालु

पटना: आस्था और उपासना का महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. भगवान भास्कर को प्रसाद चढ़ाने के लिए छठ व्रतियों द्वारा ठेकुआ और लडुआ बनाने की परंपरा है. उसके बाद शाम को सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है. बाढ़ अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान और गंगा जल ले जाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है.

बाढ़ में ऐसी मान्यता है कि छठव्रती ठेकुआ और लडुआ गंगाजल में ही बनाती हैं क्योंकि यहां उत्तरवाहिनी गंगा है. यहां से गंगाजल ले जाने के लिए दूर-दूर के सैकड़ों गांव के लोग आते हैं. उत्तरवाहिनी गंगा भारतवर्ष में मात्र चार जगह है. वाराणसी, बाढ़, हरिद्वार और सुल्तानपुर. सभी छठ व्रती श्रद्धा और पवित्रता के साथ छठ पूजा में जुटे हुए हैं. वहीं कई महिलाएं गंगा तट के किनारे पूजा पाठ में व्यस्त दिखीं.

जानकारी देते श्रद्धालु और पुजारी

महापर्व छठ का पहला अर्घ्य आज
4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में कल यानि खरना के ही छठव्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है. आज सभी व्रती डूबते सूरज को अर्घ्य देंगी और चौथे दिन सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाता है.

पटना: आस्था और उपासना का महापर्व छठ का आज तीसरा दिन है. भगवान भास्कर को प्रसाद चढ़ाने के लिए छठ व्रतियों द्वारा ठेकुआ और लडुआ बनाने की परंपरा है. उसके बाद शाम को सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है. बाढ़ अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों पर स्नान और गंगा जल ले जाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है.

बाढ़ में ऐसी मान्यता है कि छठव्रती ठेकुआ और लडुआ गंगाजल में ही बनाती हैं क्योंकि यहां उत्तरवाहिनी गंगा है. यहां से गंगाजल ले जाने के लिए दूर-दूर के सैकड़ों गांव के लोग आते हैं. उत्तरवाहिनी गंगा भारतवर्ष में मात्र चार जगह है. वाराणसी, बाढ़, हरिद्वार और सुल्तानपुर. सभी छठ व्रती श्रद्धा और पवित्रता के साथ छठ पूजा में जुटे हुए हैं. वहीं कई महिलाएं गंगा तट के किनारे पूजा पाठ में व्यस्त दिखीं.

जानकारी देते श्रद्धालु और पुजारी

महापर्व छठ का पहला अर्घ्य आज
4 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में कल यानि खरना के ही छठव्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो गया है. आज सभी व्रती डूबते सूरज को अर्घ्य देंगी और चौथे दिन सुबह उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाता है.

Intro:


Body:बाढ़ अनुमंडल के विभिन्न गंगा घाटों में गंगा स्नान और गंगा जल ले जाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है ।आस्था और उपासना के महापर्व छठ का तीसरा दिन है भगवान को प्रसाद चढ़ाने के लिए छठ व्रतियों द्वारा ठेकुआ और लडुआ बनाया जाता है उसके बाद शाम को सूर्य भगवान को अर्ध्य दिया जाता है। बाढ़ में ऐसा मानता की छठव्रती द्वारा ठेकुआ और लडुआ गंगाजल बनता है। क्योंकि यहां उत्तरवाहिनी गंगा है यहां से गंगाजल ले जाने के लिए दूर-दूर के सैकड़ों गांव के लोग सुबह में ही आते हैं और गंगाजल ले जाते हैं उत्तरवाहिनी गंगा भारतवर्ष में मात्र चार जगह है वाराणसी बाढ़ हरिद्वार और सुल्तानपुर में है। सभी छठ व्रती श्रद्धा और पवित्रता के साथ छठ पूजा में जुटे हुए हैं। वहीं कई महिलाएं गंगा तट के किनारे पूजा पाठ में व्यस्त दिखी।


4 दिनों तक चलने वाला यह महापर्व का कल यानी शुक्रवार को दूसरा दिन जिसे खरना कहा जाता खरना के साथ ही छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला हुआ शुरू हो जाता है तीसरे दिन शनिवार को डूबते सूरज को अर्थ और चौथे दिन सुबह निकलते सूरज को अर्घ देने के साथ ही छठ पर्व का समापन हो जाता है


वही ऐसा माना जाता है कि गंगा नदी के किनारे अर्ध्य देने से और गंगाजल द्वारा बनाए गए प्रसाद काफी शुद्ध माना जाता है।काफी लोग यहां मान्यताएं मांगते हैं पूरा होने के बाद वह गंगा के जल से प्रसाद और गंगा तट के किनारे रहकर अर्ध देते हैं। छठ व्रत में गंगाजल का काफी महत्व है गंगाजल को हिंदू धर्म में काफी पवित्र माना जाता है और गंगाजल से बने प्रसाद को और भी पवित्र माना जाता है वही गंगा किनारे छठ व्रतियों द्वारा अर्ध सबसे पवित्र माना जाता है।

वाइट- आनंद मोहन पांडे
वाइट-श्रद्धालु


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.