पटनाः विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) और जदयू के खिलाफ जो रवैया अख्तियार किया, उसके बाद से नीतीश नाराज चल रहे हैं. जदयू को विधानसभा चुनाव में चिराग ने बहुत नुकसान भी पहुंचाया. इससे खफा नीतीश कुमार ने लोजपा में दो फाड़ (Split in LJP) करवा दिया. अब चिराग के नजदीकी माने जाने वाले विनोद कुमार सिंह को भी फिर से जदयू में वापसी करा ली है. चिराग के विरोधी एक मात्र निर्दलीय विधायक सुमित सिंह को मंत्री बनाकर अपने साथ जोड़ लिया है. एक तरह से चिराग पासवान को नीतीश कुमार नेस्तानाबूत करने में लगे हैं.
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नीतीश कुमार की खासियत भी रही है, जो उनके प्रबल विरोधी रहे हैं, उसे पूरी तरह से बर्बाद कर अपने शरण में ले लेते हैं. या फिर उनसे समझौता करते रहे हैं, इसके कई उदाहरण भी हैं. बता दें कि सीएम नीतीश कुमार चिराग के जो नजदीकी थे उन्हें भी एक-एक कर अपने दल में शामिल करा रहे हैं. इससे पहले लोजपा के दो फाड़ के वक्त 6 में से 5 सांसद पशुपति पारस के साथ अलग हो चुके हैं.
फिलहाल चिराग पासवान को नीतीश मिट्टी में मिलाने में लगे हैं. लेकिन नीतीश कुमार अपने विरोधियों को अपने साथ जोड़ने के लिए भी जाने जाते रहे हैं. लालू प्रसाद यादव के विरोध में पिछले दो दशक से राजनीति करने वाले नीतीश कुमार की जब नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने पर बीजेपी से नाराजगी हुई, तो लालू प्रसाद यादव के साथ समझौता कर लिया. हालांकि वह बहुत दिनों तक नहीं चला, यह अलग बात है.
इसी तरह उपेंद्र कुशवाहा ने नीतीश कुमार के खिलाफ केंद्र में मंत्री रहते हुए भी मोर्चा खोला था. विधानसभा चुनाव में तो नीतीश कुमार के खिलाफ खुलकर चुनाव भी लड़े. नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को बर्बाद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी. लेकिन आज फिर से नीतीश कुमार के साथ हैं.
जीतन राम मांझी को पहले मुख्यमंत्री बनाया और फिर जब नाराजगी हुई तो उनसे दूरी बना ली. जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार के विरोध में बिहार में अभियान भी चलाया लेकिन अब फिर से नीतीश के साथ गठबंधन में हैं. बीजेपी में भी कई नेता हैं जिनसे नीतीश की नाराजगी छिपी हुई नहीं है. लेकिन आज उनके गुड बुक में शामिल हैं.
इसी तरह चिराग पासवान के बारे में भी कयास लगाए जा रहे हैं कि कहीं चिराग पासवान को भी नीतीश लोकसभा चुनाव से पहले अपने शरण में ना ले लें. हालांकि अभी तो चिराग पासवान ने मोर्चा खोल रखा है. नीतीश कुमार भी चिराग को हर तरह से तबाह करने में लगे हैं. लेकिन जदयू के प्रवक्ता निखिल आनंद और प्रोफेसर सुहेली मेहता का कहना है कि चिराग ने जो किया है उसे भुगत रहे हैं. उसमें हम लोगों का कोई लेना देना नहीं है. हमारे नेता किसी को बर्बाद करने में नहीं लगते हैं. वे तो बिहार को बनाने में लगे हैं.
'यह तो जदयू और लोजपा का मामला है. इससे बीजेपी को कोई लेना देना नहीं है. केंद्रीय स्तर पर चिराग पासवान NDA के साथ हैं. ऐसे आगे केंद्रीय नेतृत्व को ही फैसला लेना है और हर दल अपने हिसाब से रणनीति तय करता है. हर दल दूसरे दल के नेताओं को या अपने पुराने सहयोगियों को अपने साथ लाने की कोशिश भी करता है. इसलिए कभी चिराग पासवान भी जदयू के साथ आ जाएं तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.' -विनोद शर्मा, बीजेपी प्रवक्ता
'चिराग पासवान के लिए जो परिस्थिति नीतीश कुमार ने पैदा कर दी है, वैसे में या तो बीजेपी के साथ जाना उनकी मजबूरी है या फिर आरजेडी के साथ. ऐसे बीजेपी अब तक उन्हें इस्तेमाल ही करती रही है. नीतीश कुमार ने यही स्थिति उनके पिता रामविलास पासवान के साथ भी की थी.' -अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
लोकसभा चुनाव 2024 में है. बिना नीतीश कुमार के मदद के चिराग पासवान जमुई से चुनाव जीत जाएं, इसकी संभावना कम ही है. नीतीश कुमार ने चिराग पासवान की इस बार पूरी तरह से घेराबंदी कर दी है. ऐसे में चिराग पासवान के लिए 2024 में जमुई से चुनाव लड़ना आसान नहीं है. बिना नीतीश कुमार के शरण में गए जीत संभव नहीं है. हाजीपुर से पशुपति पारस सीट छोड़ने वाले नहीं हैं. हालांकि चुनाव में अभी समय है, तब तक नीतीश चिराग के सभी नजदीकियों पर नजर बनाए हुए हैं. एक-एक कर उसे अपने दल में शामिल करा रहे हैं.
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