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बिहार में जहरीली शराब से मौत पर एक्शन में CM नीतीश, 16 नवंबर को लेंगे बड़ा फैसला

बिहार में जहरीली शराब की हाल की कई घटनाओं और इस साल 100 से अधिक मौतों को लेकर सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) एक्‍शन में आ गए हैं. उन्होंने 16 नवंबर को हाई लेवल मीटिंग बुलाई. जानकारी के मुताबिक ये माना जा रहा है कि कई बड़े अधिकारियों पर गाज गिर सकती है. पढ़ें पूरी खबर...

CM नीतीश की 16 नवंबर को हाईलेवल समीक्षा बैठक
CM नीतीश की 16 नवंबर को हाईलेवल समीक्षा बैठक
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Published : Nov 12, 2021, 8:00 PM IST

पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी के (Prohibition Law In Bihar ) बाद भी राज्य में बड़े पैमान पड़े शराब की तस्करी हो रही है. नीतीश सरकार ने हर हाल में पूर्ण शराबबंदी को लागू करने का हमेशा अपना संकल्प दोहराया है. लेकिन हाल के दिनों में जहरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) 16 जनवरी को हाई लेवल मीटिंग करने जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, इस बैठक के बाद कई लोगों पर गाज गिर सकती है, इसमें कई बड़े अधिकारी भी हो सकते हैं.

इसे भी पढ़ें : शराबबंदी के गुजरात मॉडल को लेकर बिहार में सियासी संग्राम

बता दें कि बिहार के समस्तीपुर, सिवान, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, गोपालगंज से लगातार जहरीली शराब से मौत का तांडव होने के बाद नीतीश कुमार काफी नाराज हैं. सभी आला प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी को डिटेल के साथ 16 जनवरी को उपस्थित होने का निर्देश दिया है. जिस तरह दूसरे प्रदेश में बिहार में पड़े पैमाने पर शराब आ रही है, उससे मुख्यमंत्री काफी नाराज हैं.

देखें वीडियो

दरअसल, 2016 में बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू की गई थी, उसके बाद मुख्यमंत्री ने कई बार बैठक की है. लेकिन 6 साल में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर बैठक की तैयारी की जा रही है. मंत्री और आला अधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगे और कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है.

वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का भी कहना है कि नीतीश कुमार के लिए ही यह शराबबंदी चुनौती है. क्योंकि उन्होंने इसे लेकर राज्य में बहुत ही सख्त कानून बनाया है. शराब बनाना और पीना तो क्या देखना भी संगीन अपराध है. ऐसे में शराब की बरामद और जहरीली शराब से मौत, उनके लिए ही बड़ी चुनौती बन गई है. ऐसे में यदि नजीर पेश नहीं करेंगे तो उनके लिए ही आगे की राह मुश्किल होगी.

'प्रदेश में बड़े पैमाने पर जहरीली शराब से मौत से देशभर में की बहुत बदनामी हो रही है. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्व की हानि के बावजूद लोगों के हित के लिए ही इतना बड़ा फैसला लिया है. अब कानून लागू करवाने में लोगों को भी सहयोग करना पड़ेगा' :- महेश्वर हजारी, बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष व जदयू नेता

ये भी पढ़ें : शराबकांड पर CM नीतीश के तेवर तल्ख.. अब कुछ भी करने को हैं तैयार.. 16 के बाद 'लापरवाह' अफसरों पर लेंगे एक्शन

वहीं जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का भी कहना है कि शराबबंदी मामले में जो भी दोषी होंगे, बख्शे नहीं जाएंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 16 नवंबर को ही बड़ा फैसला ले सकते हैं. वहीं राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने तंज कसते हुए कहा कि आरजेडी के लोग लगातार कहते रहे हैं कि सूबे में शराबबंदी फेल है. जिसमें सरकार की अहम भूमिका है. उन्होंने कई गंभीर लगाते हुए कहा कि केवल छोटी-छोटी मछलियों को ही पकड़ा जाता है जबकि बड़े लोगों को संरक्षण दिया जाता है.

बता दें कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक 3 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. 55 लाख लीटर देसी शराब और 100 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गई है. 700 से ज्यादा पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई, 400 से अधिक सरकारी कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. वहीं 200 से अधिक की बर्खास्तगी और 60 से अधिक थानाध्यक्षों को शराब मामले की वजह से हटाया जा चुका है लेकिन सबके बावजूद 2021 की बात करें तो अब तक जहरीली शराब से पीकर मरने वालों की संख्या 100 से अधिक हो चुकी है.

दरअसल, 2019 में तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने बताया था. मीडिया को बिहार में शराबबंदी कानून के तहत हर 1 मिनट में 3 लीटर शराब की बरामदगी और 10 मिनट के अंदर एक की गिरफ्तारी की जाती है. सख्त कानून होने के बावजूद कितनी बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां और शराब बरामद की हो रही है. जिससे साफ है कि शराब माफिया और सरकार का अमला कहीं ना कहीं मिला हुआ है. इसी गठजोड़ के कारण प्रदेश के अंदर तक शराब पहुंचाया जा रहा है.

बता दें कि राज्य में 1977 में भी कर्पूरी ठाकुर ने शराब बिक्री पर रोक लगाई थी लेकिन डेढ़ साल के अंदर ही फैसला वापस लेना पड़ा. देश के कई अन्य राज्यों में जिसे आंध्र प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु में भी शराबबंदी लागू हुई थी, लेकिन राजस्व नुकसान को देखते हुए फैसला वापस लेना पड़ा. हालांकि अभी गुजरात, नागालैंड, लक्ष्यदीप तथा मणिपुर के कुछ हिस्सों में शराबबंदी लागू है.

बिहार में 2005 -06 में शराब से सरकार को ₹295 करोड़ की आमदनी होती थी, जो 2014 में बढ़कर ₹3000 करोड़ से ज्यादा हो गई और 2015-16 में लक्ष्य ₹4000 करोड़ का था और जानकार बताते हैं कि यदि अभी तक शराबबंदी नहीं हुआ होता तो बिहार को शराब से ₹10000 करोड़ से अधिक की आमदनी होती. बिहार में शराबबंदी का अध्ययन करने के लिए कई राज्यों की टीम आ चुकी है.

राजस्थान सहित अन्य राज्यों की टीमों ने अध्ययन कर अपनी सरकारों को रिपोर्ट भी दी लेकिन केवल राजस्व को लेकर वहां की राज्य सरकार शराबबंदी लागू करने का फैसला नहीं ले पाई है. ऐसे में 16 नवंबर की होने वाली मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बड़ी बैठक पर सबकी नजर है. प्रदेश में शराब से मौत और बड़े पैमाने पर शराब मिलना नीतीश कुमार के लिए भी अब एक बड़ी चुनौती है.

ये भी पढ़ें : जिस शराबबंदी के कारण नीतीश कुमार को मिली थी वाहवाही, अब उसी मॉडल पर उठने लगे गंभीर सवाल

पटना: बिहार में पूर्ण शराबबंदी के (Prohibition Law In Bihar ) बाद भी राज्य में बड़े पैमान पड़े शराब की तस्करी हो रही है. नीतीश सरकार ने हर हाल में पूर्ण शराबबंदी को लागू करने का हमेशा अपना संकल्प दोहराया है. लेकिन हाल के दिनों में जहरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) 16 जनवरी को हाई लेवल मीटिंग करने जा रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, इस बैठक के बाद कई लोगों पर गाज गिर सकती है, इसमें कई बड़े अधिकारी भी हो सकते हैं.

इसे भी पढ़ें : शराबबंदी के गुजरात मॉडल को लेकर बिहार में सियासी संग्राम

बता दें कि बिहार के समस्तीपुर, सिवान, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, गोपालगंज से लगातार जहरीली शराब से मौत का तांडव होने के बाद नीतीश कुमार काफी नाराज हैं. सभी आला प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी को डिटेल के साथ 16 जनवरी को उपस्थित होने का निर्देश दिया है. जिस तरह दूसरे प्रदेश में बिहार में पड़े पैमाने पर शराब आ रही है, उससे मुख्यमंत्री काफी नाराज हैं.

देखें वीडियो

दरअसल, 2016 में बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू की गई थी, उसके बाद मुख्यमंत्री ने कई बार बैठक की है. लेकिन 6 साल में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर बैठक की तैयारी की जा रही है. मंत्री और आला अधिकारियों के साथ समीक्षा करेंगे और कई अधिकारियों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है.

वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे का भी कहना है कि नीतीश कुमार के लिए ही यह शराबबंदी चुनौती है. क्योंकि उन्होंने इसे लेकर राज्य में बहुत ही सख्त कानून बनाया है. शराब बनाना और पीना तो क्या देखना भी संगीन अपराध है. ऐसे में शराब की बरामद और जहरीली शराब से मौत, उनके लिए ही बड़ी चुनौती बन गई है. ऐसे में यदि नजीर पेश नहीं करेंगे तो उनके लिए ही आगे की राह मुश्किल होगी.

'प्रदेश में बड़े पैमाने पर जहरीली शराब से मौत से देशभर में की बहुत बदनामी हो रही है. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजस्व की हानि के बावजूद लोगों के हित के लिए ही इतना बड़ा फैसला लिया है. अब कानून लागू करवाने में लोगों को भी सहयोग करना पड़ेगा' :- महेश्वर हजारी, बिहार विधानसभा के उपाध्यक्ष व जदयू नेता

ये भी पढ़ें : शराबकांड पर CM नीतीश के तेवर तल्ख.. अब कुछ भी करने को हैं तैयार.. 16 के बाद 'लापरवाह' अफसरों पर लेंगे एक्शन

वहीं जदयू प्रवक्ता अरविंद निषाद का भी कहना है कि शराबबंदी मामले में जो भी दोषी होंगे, बख्शे नहीं जाएंगे. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 16 नवंबर को ही बड़ा फैसला ले सकते हैं. वहीं राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने तंज कसते हुए कहा कि आरजेडी के लोग लगातार कहते रहे हैं कि सूबे में शराबबंदी फेल है. जिसमें सरकार की अहम भूमिका है. उन्होंने कई गंभीर लगाते हुए कहा कि केवल छोटी-छोटी मछलियों को ही पकड़ा जाता है जबकि बड़े लोगों को संरक्षण दिया जाता है.

बता दें कि बिहार में पूर्ण शराबबंदी लागू होने के बाद से अब तक 3 लाख से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. 55 लाख लीटर देसी शराब और 100 लाख लीटर विदेशी शराब जब्त की गई है. 700 से ज्यादा पुलिसकर्मियों पर विभागीय कार्रवाई, 400 से अधिक सरकारी कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है. वहीं 200 से अधिक की बर्खास्तगी और 60 से अधिक थानाध्यक्षों को शराब मामले की वजह से हटाया जा चुका है लेकिन सबके बावजूद 2021 की बात करें तो अब तक जहरीली शराब से पीकर मरने वालों की संख्या 100 से अधिक हो चुकी है.

दरअसल, 2019 में तत्कालीन डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे ने बताया था. मीडिया को बिहार में शराबबंदी कानून के तहत हर 1 मिनट में 3 लीटर शराब की बरामदगी और 10 मिनट के अंदर एक की गिरफ्तारी की जाती है. सख्त कानून होने के बावजूद कितनी बड़ी संख्या में गिरफ्तारियां और शराब बरामद की हो रही है. जिससे साफ है कि शराब माफिया और सरकार का अमला कहीं ना कहीं मिला हुआ है. इसी गठजोड़ के कारण प्रदेश के अंदर तक शराब पहुंचाया जा रहा है.

बता दें कि राज्य में 1977 में भी कर्पूरी ठाकुर ने शराब बिक्री पर रोक लगाई थी लेकिन डेढ़ साल के अंदर ही फैसला वापस लेना पड़ा. देश के कई अन्य राज्यों में जिसे आंध्र प्रदेश, हरियाणा, तमिलनाडु में भी शराबबंदी लागू हुई थी, लेकिन राजस्व नुकसान को देखते हुए फैसला वापस लेना पड़ा. हालांकि अभी गुजरात, नागालैंड, लक्ष्यदीप तथा मणिपुर के कुछ हिस्सों में शराबबंदी लागू है.

बिहार में 2005 -06 में शराब से सरकार को ₹295 करोड़ की आमदनी होती थी, जो 2014 में बढ़कर ₹3000 करोड़ से ज्यादा हो गई और 2015-16 में लक्ष्य ₹4000 करोड़ का था और जानकार बताते हैं कि यदि अभी तक शराबबंदी नहीं हुआ होता तो बिहार को शराब से ₹10000 करोड़ से अधिक की आमदनी होती. बिहार में शराबबंदी का अध्ययन करने के लिए कई राज्यों की टीम आ चुकी है.

राजस्थान सहित अन्य राज्यों की टीमों ने अध्ययन कर अपनी सरकारों को रिपोर्ट भी दी लेकिन केवल राजस्व को लेकर वहां की राज्य सरकार शराबबंदी लागू करने का फैसला नहीं ले पाई है. ऐसे में 16 नवंबर की होने वाली मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बड़ी बैठक पर सबकी नजर है. प्रदेश में शराब से मौत और बड़े पैमाने पर शराब मिलना नीतीश कुमार के लिए भी अब एक बड़ी चुनौती है.

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