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जातिगत जनगणना पर JDU-BJP आमने सामने, जदयू फैसले पर अडिग - जातीय जनगणना पर बीजेपी जेडीयू में झड़प

बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर एक बार फिर सियासी बवंडर खड़ा होना शुरू हो गया है. केन्द्र सरकार के जाति आधारित जनगणना नहीं कराने के फैसले के बाद भाजपा और जदयू आमने-सामने आ गयी है. पढ़ें पूरी खबर...

पटना
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Published : Sep 25, 2021, 10:21 PM IST

पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर बीजेपी और जदयू आमने-सामने है. भाजपा ने जातिगत जनगणना को लेकर असमर्थता जाहिर कर दी है, तो जदयू अपनी मांग पर अडिग है. जदयू का कहना है कि जातिगत जनगणना हमारी पुरानी मांग है. भाजपा नेताओं ने भी सर्वमम्मति से प्रस्ताव में भागीदारी दी थी. वहीं भाजपा ने साफ कह दिया है कि फिलहाल जातिगत जनगणना संभव नहीं है.

इसे भी पढे़ं- जातीय जनगणना का लालू ने किया समर्थन, कहा- नीतियां और बजट बनाने में मिलेगी मदद

जातिगत जनगणना को लेकर जदयू के उम्मीदों पर पानी फिर गया है. भाजपा की ओर से दो टूक कह दिया गया है कि वर्तमान परिस्थितियों में जातिगत जनगणना संभव नहीं है. हालांकि जदयू ने उम्मीद नहीं छोड़ी है. पार्टी ने संघर्ष जारी रखने का फैसला लिया है. आपको बता दें कि नीतीश कुमार सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर चुके हैं. जातिगत जनगणना के पक्ष में आवाज बुलंद भी कर चुके हैं.

देखें वीडियो

'फिलहाल जातिगत जनगणना कराना संभव नहीं है. पिछली बार यूपीए ने जातिगत जनगणना कराने की कोशिश की थी 4,28,000 जाति की सूची सामने आ गई. 10 करोड़ से ज्यादा त्रुटियां सामने आए. उसके बाद उन लोगों ने जातिगत जनगणना को ठंडे बस्ते में डाल दिया. वर्तमान परिस्थितियों में जातिगत जनगणना संभव नहीं है.' -निखिल आनंद, भाजपा प्रवक्ता

'जातिगत जनगणना हमारी पुरानी मांग है. हम उसे जारी रखे हैं. हमारी पार्टी का संघर्ष भी जारी रहेगा. जातिगत जनगणना को लेकर भाजपा नेताओं ने भी सर्वसम्मत प्रस्ताव में भागीदारी की थी.' -अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

बता दें कि बिहार सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में सभी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते दिनों पीएम मोदी से मुलाकात कर बिहार सहित देशभर में जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी. जिसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दें.

इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

इसे भी पढे़ं- जातीय जनगणना पर PM की ओर से जवाब आया? CM नीतीश ने बताया

पटना: जातीय जनगणना (Caste Census) को लेकर बीजेपी और जदयू आमने-सामने है. भाजपा ने जातिगत जनगणना को लेकर असमर्थता जाहिर कर दी है, तो जदयू अपनी मांग पर अडिग है. जदयू का कहना है कि जातिगत जनगणना हमारी पुरानी मांग है. भाजपा नेताओं ने भी सर्वमम्मति से प्रस्ताव में भागीदारी दी थी. वहीं भाजपा ने साफ कह दिया है कि फिलहाल जातिगत जनगणना संभव नहीं है.

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जातिगत जनगणना को लेकर जदयू के उम्मीदों पर पानी फिर गया है. भाजपा की ओर से दो टूक कह दिया गया है कि वर्तमान परिस्थितियों में जातिगत जनगणना संभव नहीं है. हालांकि जदयू ने उम्मीद नहीं छोड़ी है. पार्टी ने संघर्ष जारी रखने का फैसला लिया है. आपको बता दें कि नीतीश कुमार सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर चुके हैं. जातिगत जनगणना के पक्ष में आवाज बुलंद भी कर चुके हैं.

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'फिलहाल जातिगत जनगणना कराना संभव नहीं है. पिछली बार यूपीए ने जातिगत जनगणना कराने की कोशिश की थी 4,28,000 जाति की सूची सामने आ गई. 10 करोड़ से ज्यादा त्रुटियां सामने आए. उसके बाद उन लोगों ने जातिगत जनगणना को ठंडे बस्ते में डाल दिया. वर्तमान परिस्थितियों में जातिगत जनगणना संभव नहीं है.' -निखिल आनंद, भाजपा प्रवक्ता

'जातिगत जनगणना हमारी पुरानी मांग है. हम उसे जारी रखे हैं. हमारी पार्टी का संघर्ष भी जारी रहेगा. जातिगत जनगणना को लेकर भाजपा नेताओं ने भी सर्वसम्मत प्रस्ताव में भागीदारी की थी.' -अभिषेक झा, जदयू प्रवक्ता

बता दें कि बिहार सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में सभी दलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने बीते दिनों पीएम मोदी से मुलाकात कर बिहार सहित देशभर में जातिगत जनगणना कराने की मांग की थी. जिसके जवाब में केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में कहा गया है कि वह 2021 की जनगणना में जाति के आधार पर जनगणना का निर्देश नहीं दें.

इधर, केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने भी केंद्र सरकार को कहा है कि पिछड़े वर्गों की गणना प्रशासनिक पर मुश्किल है. इससे जनगणना की पूर्णता और सटीकता दोनों को नुकसान होगा. केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, 'पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर' है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना सतर्क नीति निर्णय है.'

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