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माता के खोइछा बदलने की परंपरा देखने दानापुर में उमरे माता के भक्त - Vijayadashami

विजयादशमी के साथ दुर्गा पूजा संपन्न हुआ. दानापुर में मां की विदाई के समय खोइछा बदलने की परंपरा काफी पुरानी है. पढ़ें पूरी खबर..

Patna durga puja
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Published : Oct 15, 2021, 10:56 PM IST

पटनाः आज विजयादशमी (Vijaya Dashami 2021) है. 9 दिनों तक मां के विभिन्न रूपों की पूजा के बाद माता को विदा किया गया. पटना के दानापुर में मां की विदाई कुछ अलग ही परंपरा से किया जाता है. इसके तहत नगर की तमाम देवी प्रतिमाओं का एक जगह खोइछा बदला जाता है. यह परंपरा पूरे विधि विधान के साथ होता है.

यह भी पढ़ें- बिहार में बंगाल की छटा, सिंदूर खेला कर महिलाओं ने कहा- 'आसछे बछोर आबार होबे'

दानापुर के पेठिया बाजार स्थित मां दक्षिणेश्वर से बड़ी देवी और छोटी देवी से मिलन कराया जाता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होकर माता जी की आरती और खोइछा मिलान कराते हैं. इस मनोरम नजारे को देखने के लिए आसपास से लोग जुटते हैं.

देखें वीडियो..

यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. इसमें महिलाए सबसे पहले माता की डोली को कंधे पर उठाकर ले जाती हैं और उसके बाद ही पुरुष माता के डोली को उठते हैं. मां की विदाई के समय हजारों के संख्या में भक्त प्राचीन वाद्य यंत्रों के साथ पुष्पांजलि करते हैं. उसके बाद आरती की जाती है.

यह भी पढ़ें- पटना: दीघा घाट पर प्रशासन के आदेश की उड़ी धज्जियां, कुर्सियां तोड़ते नजर आए अधिकारी

आरती के बाद बड़ी देवी मां और छोटी देवी मां का खोइछा एक-दूसरे प्रतिमा से अदला बदली की जाती है. इस मौके पर पंडित ब्रिजमोहन मिश्र ने बड़ी देवी-छोटी देवी (दोनों बहनों) के मिलन की परंपरा को संपन्न कराया. पुजारी पंडित ब्रिजमोहन मिश्र ने बताया कि मां का खोइछा मिलन की ये परम्परा सैकड़ों सालों से चलती आ रही है.

पटनाः आज विजयादशमी (Vijaya Dashami 2021) है. 9 दिनों तक मां के विभिन्न रूपों की पूजा के बाद माता को विदा किया गया. पटना के दानापुर में मां की विदाई कुछ अलग ही परंपरा से किया जाता है. इसके तहत नगर की तमाम देवी प्रतिमाओं का एक जगह खोइछा बदला जाता है. यह परंपरा पूरे विधि विधान के साथ होता है.

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दानापुर के पेठिया बाजार स्थित मां दक्षिणेश्वर से बड़ी देवी और छोटी देवी से मिलन कराया जाता है, जिसमें हजारों लोग शामिल होकर माता जी की आरती और खोइछा मिलान कराते हैं. इस मनोरम नजारे को देखने के लिए आसपास से लोग जुटते हैं.

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यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है. इसमें महिलाए सबसे पहले माता की डोली को कंधे पर उठाकर ले जाती हैं और उसके बाद ही पुरुष माता के डोली को उठते हैं. मां की विदाई के समय हजारों के संख्या में भक्त प्राचीन वाद्य यंत्रों के साथ पुष्पांजलि करते हैं. उसके बाद आरती की जाती है.

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आरती के बाद बड़ी देवी मां और छोटी देवी मां का खोइछा एक-दूसरे प्रतिमा से अदला बदली की जाती है. इस मौके पर पंडित ब्रिजमोहन मिश्र ने बड़ी देवी-छोटी देवी (दोनों बहनों) के मिलन की परंपरा को संपन्न कराया. पुजारी पंडित ब्रिजमोहन मिश्र ने बताया कि मां का खोइछा मिलन की ये परम्परा सैकड़ों सालों से चलती आ रही है.

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