पटना: चंपारण सत्याग्रह के प्रणेता और सत्याग्रह के लिए जमीन तैयार करने वाले पंडित राजकुमार शुक्ल की सोमवार को पुण्यतिथि है. उनकी पुण्यतिथि के मौके पर राजधानी पटना के गांधी संग्रहालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया है.
चंपारण सत्याग्रह में अहम योगदान
राजकुमार शुक्ल का चंपारण सत्याग्रह में अहम योगदान रहा है. पंडित शुल्क का जन्म 23 अगस्त 1875 को बिहार के पश्चिम चंपारण स्थित बेतिया जिला के चनपटिया के सरवरिया गांव में हुआ था. भोजपुरी भाषा के कोसी लिपि के जानकार पंडित शुक्ल चंपारण में तीन कठिया प्रथा को लेकर काफी व्यथित थे. इसके लिए पंडित शुक्ल ने सभी किसानों को संगठित कर आंदोलन शुरू कर दिया था.
महात्मा गांधी को मनाया
बाद में किसानों की मदद के लिए राजकुमार शुक्ला प्रयासरत रहे. इसी बीच लखनऊ में आयोजित कांग्रेस अधिवेशन में महात्मा गांधी से उनकी मुलाकात हुई. इसके बाद कई दूसरे मौकों पर भी उनकी मुलाकात होती रही और पंडित शुक्ल उन्हें चंपारण आने के लिए मनाने की कोशिश करते रहे.
चंपारण आंदोलन के लिए शुक्ल ने तैयार की जमीन
कोलकाता में पंडित शुक्ल से मुलाकात के बाद महात्मा गांधी, शुक्ल के साथ बांकीपुर पहुंचे और फिर मुजफ्फरपुर में 15 अप्रैल को 1917 को चंपारण की धरती पर कदम रखा. महात्मा गांधी के आंदोलन के लिए शुक्ल ने जमीन तैयार की थी, जिसके बाद चंपारण की धरती से गांधी ने सत्याग्रह का आगाज किया.
20 मई 1929 को दुनिया को कहा अलविदा
गांधी को चंपारण लाने और सत्याग्रह आंदोलन को सफल बनाने में पंडित शुक्ल की महत्वपूर्ण भूमिका रही. आंदोलन में अपनी जमीन को जायदाद सब कुछ न्यौछावर करने वाले शुक्ल की बाकी के दिन गरीबी में गुजरे. 20 मई 1929 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. लोगों ने चंदा इकट्ठा कर उनका अंतिम संस्कार किया, उनकी बेटी ने उन्हें मुखाग्नि दी.