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नहाय खाय के साथ चैती छठ व्रत की शुरुआत, जानिए क्या किया जाता है आज के दिन - नहाय खाय के दिन क्या बनाया जाता है

चैती छठ पूजा (Chaiti Chhath 2022) की शुरुआत आज नहाय-खाय के साथ हो रही है. इस दिन व्रती सुबह तैयार होते हैं और घाट पर जाकर नदी में डुबकी लगाते हैं. जिसके बाद भोजन बनाया जाता है. आज के दिन चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद छठव्रती ग्रहण करते हैं.

Chhath Puja Nahay Khay
Chhath Puja Nahay Khay
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Published : Apr 5, 2022, 6:00 AM IST

पटना: चार दिनों तक चलने वाले चैती छठ व्रत (Chaiti Chhath Puja In Bihar) की शुरूआत नहाय खाय (Nahay Khay) के साथ हो रही है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करके नए कपड़े पहनकर पूजा करती हैं. छठव्रतियों को नए कपड़े की आवश्यकता होती है. पीले और लाल रंग के कपड़ों की विशेष महत्ता होती है. हालांकि दूसरे रंग के कपड़े भी पहने जा सकते हैं. स्नान के बाद ही छठव्रती चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करती हैं.

ये भी पढ़ें - महिमा छठी माई केः नहाय खाय से शुरू होता है महापर्व छठ, देखिए पहले दिन का विधान

सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय : व्रत रखने वाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं. इस दिन व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय कहलाता है. मुख्यतौर पर इस दिन छठ व्रती लौकी की सब्जी और चने की दाल ग्रहण करते हैं. इन सब्जियों को पूरी पवित्रता के साथ धोया जाता है. खाना पकाने के दौरान साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. खाना पकाने के दौरान भी छठव्रती छठी मईया की गीतों से आराधना करती नजर आती हैं.

व्रती के बाद ही घर के अन्य सदस्य करते हैं भोजन: नहाय खाय के दिन जो खाना खाया जाता है उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. नियम का पालन करते हुए छठव्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद घर के बाकि सदस्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं. यह व्रत काफी कठिन होता है. इसलिए बीमार या शारीरिक रूप से कमजोर लोग इस व्रत को नहीं कर सकते हैं.

छठ 36 घंटे का निर्जला व्रत : 36 घंटे निर्जला रहने वाले छठ व्रतियों को यह व्रत कठिन नहीं बल्कि आसान लगता है. व्रत करने वाला व्यक्ति यानी छठव्रती व्रत पूरा होने तक जमीन पर ही सोते हैं. नहाय खाय के दिन बनने वाले भोजन को बनाने के दौरान भी कई खास बातों का ध्यान रखना होता है. जो खाना इस दिन बनाया जाता है उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है. इस चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन तमाम नियमों का पालन करते हुए भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है. उसके बाद छठ व्रती भोजन ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के दूसरे सदस्य भोजन कर सकते हैं.

इन नियमों का करें पालन (Chhath Puja Pujan Vidhi): नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए. नहाय खाए से छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं. घर में तामसिक और मांसाहार वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए. मदिरा पान, धूम्रपान आदि न करें. किसी भी तरह की बुरी आदतों को करने से बचें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है. पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता है. इसलिए साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें. छठ की छटा नहाय खाय के साथ ही चारों ओर देखने को मिलती है.

4 दिनों की है पूरी विधि : बता दें कि आज 5 अप्रैल 2022 मंगलवार को नहाय खाय है. नहाय खाय से छठ पूजा का आरंभ हो जाता है. 6 अप्रैल बुधवार के दिन खरना किया जाएगा. 7 अप्रैल गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 8 अप्रैल शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.

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पटना: चार दिनों तक चलने वाले चैती छठ व्रत (Chaiti Chhath Puja In Bihar) की शुरूआत नहाय खाय (Nahay Khay) के साथ हो रही है. इस दिन व्रत रखने वाली महिलाएं स्नान करके नए कपड़े पहनकर पूजा करती हैं. छठव्रतियों को नए कपड़े की आवश्यकता होती है. पीले और लाल रंग के कपड़ों की विशेष महत्ता होती है. हालांकि दूसरे रंग के कपड़े भी पहने जा सकते हैं. स्नान के बाद ही छठव्रती चना दाल, कद्दू की सब्जी और चावल का प्रसाद ग्रहण करती हैं.

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सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय : व्रत रखने वाली महिलाओं के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही परिवार के अन्य सदस्य भोजन करते हैं. इस दिन व्रत से पूर्व नहाने के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना ही नहाय-खाय कहलाता है. मुख्यतौर पर इस दिन छठ व्रती लौकी की सब्जी और चने की दाल ग्रहण करते हैं. इन सब्जियों को पूरी पवित्रता के साथ धोया जाता है. खाना पकाने के दौरान साफ सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है. खाना पकाने के दौरान भी छठव्रती छठी मईया की गीतों से आराधना करती नजर आती हैं.

व्रती के बाद ही घर के अन्य सदस्य करते हैं भोजन: नहाय खाय के दिन जो खाना खाया जाता है उसमें सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है. नियम का पालन करते हुए छठव्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद घर के बाकि सदस्य भोजन ग्रहण कर सकते हैं. यह व्रत काफी कठिन होता है. इसलिए बीमार या शारीरिक रूप से कमजोर लोग इस व्रत को नहीं कर सकते हैं.

छठ 36 घंटे का निर्जला व्रत : 36 घंटे निर्जला रहने वाले छठ व्रतियों को यह व्रत कठिन नहीं बल्कि आसान लगता है. व्रत करने वाला व्यक्ति यानी छठव्रती व्रत पूरा होने तक जमीन पर ही सोते हैं. नहाय खाय के दिन बनने वाले भोजन को बनाने के दौरान भी कई खास बातों का ध्यान रखना होता है. जो खाना इस दिन बनाया जाता है उसे रसोई के चूल्हे पर नहीं बल्कि लकड़ी के चूल्हे पर बनाया जाता है. इस चूल्हे में केवल आम की लकड़ी का ही इस्तेमाल किया जाता है. इस दिन तमाम नियमों का पालन करते हुए भोजन बनाकर सबसे पहले सूर्य देव को भोग लगाया जाता है. उसके बाद छठ व्रती भोजन ग्रहण करते हैं और उसके बाद ही परिवार के दूसरे सदस्य भोजन कर सकते हैं.

इन नियमों का करें पालन (Chhath Puja Pujan Vidhi): नहाय-खाय के दिन से व्रती को साफ और नए कपड़े पहनने चाहिए. नहाय खाए से छठ का समापन होने तक व्रती को जमीन पर ही सोना चाहिए. व्रती जमीन पर चटाई या चादर बिछाकर सो सकते हैं. घर में तामसिक और मांसाहार वर्जित है. इसलिए इस दिन से पहले ही घर पर मौजूद ऐसी चीजों को बाहर कर देना चाहिए और घर को साफ-सुथरा कर देना चाहिए. मदिरा पान, धूम्रपान आदि न करें. किसी भी तरह की बुरी आदतों को करने से बचें. साफ-सफाई का विशेष ध्यान देना जरूरी होता है. पूजा की वस्तु का गंदा होना अच्छा नहीं माना जाता है. इसलिए साफ सफाई का पूरा ध्यान रखें. छठ की छटा नहाय खाय के साथ ही चारों ओर देखने को मिलती है.

4 दिनों की है पूरी विधि : बता दें कि आज 5 अप्रैल 2022 मंगलवार को नहाय खाय है. नहाय खाय से छठ पूजा का आरंभ हो जाता है. 6 अप्रैल बुधवार के दिन खरना किया जाएगा. 7 अप्रैल गुरुवार को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को पहला अर्घ्य दिया जाएगा. वहीं 8 अप्रैल शुक्रवार को उदयीमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसके साथ ही छठ पूजा का समापन हो जाता है.

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