पटना : कहते हैं राजनीति में 'माहौल' बहुत अहम होता है. इसे किस तरह से तैयार किया जाए इसकी जुगत में नेता लगे रहते हैं. अब देखिए न, नीतीश कुमार भले ही राष्ट्रपति उम्मीदवारी (Nitish Kumar President Candidate) के लिए ना-ना करते रहे हैं. पर अधिसूचना जारी होते ही 'माहौल' तैयार होने लगा है. जेडीयू, हम और वीआईपी के नेताओं के अलावा अब तो आरजेडी के नेता भी नीतीश के पक्ष में बयान देने लगे हैं. सवाल उठता है कि बयान यूं ही दिए जा रहे हैं या फिर इसके पीछे कोई पटकथा लिखी गयी है.
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नीतीश कुमार दिल्ली के लिए तैयार! रायसीना की रेस में नीतीश कुमार को शामिल करने के पीछे की कहानी बहुत पुरानी है. पीके से मुलाकात के बाद इसकी शुरुआत हुई, हालांकि नीतीश कुमार ने इसको नकार दिया. इसके बाद मीडिया रिपोर्ट में आया कि नीतीश कुमार ने राज्यसभा जाने की इच्छा जतायी है, लोग कहने लगे.. उपराष्ट्रपति की तैयारी है. इतना ही नहीं जिस प्रकार से नीतीश कुमार अपने पुराने इलाके बाढ़ और नालंदा में जनसंपर्क करने लगे, लोग कहने लगे कि अब दिल्ली जाने की तैयारी है.
नीतीश कुमार राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए सियासत : जेडीयू नेताओं ने नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद के लिए योग्य उम्मीदवार माना है. ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के अलावा कई मंत्रियों ने नीतीश कुमार को योग्य उम्मीदवार माना है. खास बात यह है कि नीतीश कुमार को बिहार के राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिल रहा है. नीतीश कुमार का नाम सामने आते ही बिहार में सियासत शुरू हो गई है. बिहार के कई राजनीतिक दल नीतीश कुमार के समर्थन में आने लगे हैं. मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी भी अब नीतीश कुमार के समर्थन में दिख रही है.
क्या है RJD और JDU का रुख : राजद प्रवक्ता शक्ति यादव ने कहा है कि अगर कोई बिहारी देश का राष्ट्रपति बनता है तो यह हमारे लिए खुशी की बात है. नीतीश कुमार में नेतृत्व क्षमता है. अगर वो राष्ट्रपति बनते हैं तो बिहार के लिए गौरव की बात होगी. हमारे दल का भी समर्थन उन्हें प्राप्त होगा. जेडीयू पार्टी के मुख्य प्रवक्ता और पूर्व मंत्री नीरज कुमार ने कहा है कि प्रदेश स्तर पर इस मामले में कोई निर्णय नहीं लिया जाना है. राष्ट्रीय नेतृत्व को फैसला लेना है. जहां तक वोटिंग का सवाल है तो समय पर शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर निर्णय ले लिया जाएगा.
HAM और VIP का समर्थन : हम पार्टी ने नीतीश कुमार के पक्ष में आवाज बुलंद करती दिख रही है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता विजय यादव ने कहा है कि नीतीश कुमार ने बिहार को चमकाने का काम किया है, अगर वह राष्ट्रपति बनते हैं तो हम लोग उनके समर्थन में खड़े होंगे. वीआईपी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता देव ज्योति ने कहा है कि नीतीश कुमार अगर राष्ट्रपति बनते हैं तो हमारे लिए खुशी की बात है. हमारी पार्टी उनके समर्थन में खड़ी है.
वेट एंड वॉच की स्थिति में बीजेपी : कुल मिलाकर देखें तो बिहार के ज्यादातर दलों ने भाजपा पर दबाव बना दिया है. वैसे एनडीए की सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में है. उसके नेता ना विपक्ष में बयान दे रहे हैं ना खुलकर समर्थन कर रहे हैं. बस कह रहे हैं, नीतीश कुमार में सब गुण है पर अंतिम फैसला तो केन्द्रीय नेतृत्व ही लेगा. पार्टी प्रवक्ता अरविंद सिंह ने भी यही बात कही.
''नीतीश कुमार राजनीति में ऐसे मौकों को भुनाने में माहिर हैं. राष्ट्रपति चुनाव के ऐलान के साथ ही उनके दल से आवाज उठने का मतलब है कि नितीश कुमार खुद को दावेदारों की सूची में खड़ा करना चाहते हैं. कुछ दिनों से भाजपा दबाव में है और नीतीश कुमार उसका फायदा उठाना चाहते हैं. फैसला तो भाजपा को करना है.''- डॉ संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक
एनडीए की राज्यों में स्थिति कमजोर: राज्यों में कुल मिलाकर 4033 विधायक हैं, जिनके 546000 पॉइंट्स हैं. 17 राज्यों में बीजेपी की सरकार है, लेकिन 9 राज्य ऐसे हैं जहां के विधायकों के वोटों की वैल्यू 30 पॉइंट से भी कम है. विपक्ष के पास 11 राज्यों में सरकार है, लेकिन 8 बड़े राज्य उनके खाते में है. राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पक्ष में राज्यों में कुल मिलाकर 220937 पॉइंट्स हैं. एनडीए के साथ 40.43% का समर्थन है, जबकि विपक्ष के पास विधानसभाओं में 324590 पॉइंट हैं. विधानसभा में विपक्ष के साथ 59.57% विधायकों का समर्थन है.
बिहार के पास कुल 81687 मत : बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में चुने हुए प्रतिनिधि ही वोट डाल सकते हैं. विधान परिषद के सदस्यों को वोट डालने का अधिकार नहीं होता है. आबादी के हिसाब से जनप्रतिनिधियों के वोटों की कीमत तय होती है. राज्यसभा लोकसभा और विधानसभा का कुल 81687 मत बिहार के पास (Bihar connection of presidential election) है. वर्तमान परिस्थितियों में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के पास 54540 मत है तो विपक्ष के खाते में 25024 मत है. भाजपा 28189, जदयू 21945, राजद 15980, कांग्रेस 4703 माले के पास 2076 वोट हैं.
..जब कहा था- यह मेरा अंतिम चुनाव : कुल मिलाकर देखें तो राष्ट्रपति चुनाव में नीतीश कुमार की भूमिका अहम हो जाती है. वैसे भी राजनीति में मौके की सबसे बड़ी अहमियत होती है. मौका नीतीश कुमार के पास है. बीजेपी इससे कैसे निपटती है यह देखने वाली बात होगी. हालांकि आपको याद ही होगा 2020 में विधानसभा चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा था कि 'यह मेरा अंतिम चुनाव है.' मतलब बिहार की राजनीति से वह दूसर होना चाहते हैं. ऐसे में देखना वाकई दिलचस्प होगा कि नीतीश कुमार रायसीना पहुंच पाते हैं कि नहीं. बिहार से दूसरे राष्ट्रपति बन पाते हैं कि नहीं.
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