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बंद पड़े उद्योगों के लिए सरकार के पास नहीं है नीति, 19 लाख लोगों को रोजगार देने का सपना कैसे होगा पूरा?

बिहार में 19 लाख लोगों को रोजगार देने का वादा करके सत्ता में आई एनडीए सरकार के सामने रोजगार देने की बड़ी चुनौती है. सरकार के सामने पुराने उद्योगों को फिर से चालू कराने की चुनौती थी, लेकिन बंद पड़े उद्योगों और रोजगार को लेकर अब तक कोई स्पष्ट नीति दिखाई नहीं दे रही है. पढ़ें रिपोर्ट..

पटना
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Published : Nov 11, 2021, 10:20 PM IST

पटना: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) सरकार बिहार में 19 लाख लोगों को रोजगार (Employment) देने के वायदों के साथ बिहार के सत्ता में काबिज हुई थी. लोगों को रोजगार मिले इसके लिए सरकार के समक्ष नए उद्योगों की स्थापना और पुराने उद्योगों को फिर से चालू कराने की चुनौती थी, लेकिन सरकार की नीति बंद पड़े उद्योगों को लेकर स्पष्ट नहीं है.

ये भी पढ़ें- RTI से खुलासा: MLC बन गए, लेकिन पूर्व MP का पेंशन अब भी ले रहे हैं NDA के चारों नेता

बिहार में औद्योगिक विकास की रफ्तार को अब तक पंख नहीं लग पाए हैं. 19 लाख लोगों को रोजगार देने के कीमत पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बिहार में बनी थी. 1 साल पूरे होने वाले हैं, लोगों को रोजगार मिले इसे लेकर सरकार की अब तक ठोस नीति दिखाई नहीं देती है. बंद पड़े उद्योगों को चालू करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.

देखें रिपोर्ट

''सरकार सिर्फ विकास का ढिंढोरा पीट रही है. पुराने उद्योगों को चालू कराने की कोई ठोस नीति सरकार के पास नहीं है. ऐसे में 19 लाख लोगों का रोजगार देने का वायदा जुमला ही साबित होने वाला है. सरकार बंद पड़े उद्योगों के लिए बेलआउट पैकेज की घोषणा करें.''- रामानुज प्रसाद, राजद प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- 'B.Tech वाले बेच रहे चाट-समोसे.. MBA पास कर रहा जूता पॉलिश... नीतीश-BJP ने क्या हाल बना रखा है?'

साल 2018 में बिहार सरकार ने उद्योगों को लेकर सर्वे कराया था, उसके बाद से कोई सर्वे नहीं कराया गया है. सरकार के पास उद्योगों को लेकर कोई अपडेट रिपोर्ट नहीं है. 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में इसकी 715 कार्यरत इकाइयां है, जिसमें लघु इकाइयों की संख्या 618 और मध्यम इकाइयों की संख्या 155 है. कुल मिलाकर 42 वृहद उद्योग हैं, जबकि बिहार में 3668 उद्योग बंद पड़े हैं.

''हमने इथेनॉल पॉलिसी लाया है और उद्योगों की स्थापना हो रही है. आने वाले दिनों में बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू कराने के लिए भी हम प्रतिबद्ध हैं और सरकार इस पर काम भी कर रही है.''- रविंद्र सिंह, बीजेपी प्रवक्ता

ये भी पढ़ें- BJP नेता का दावा- एनडीए में शामिल होना चाहते हैं महागठबंधन के कई नेता, RJD ने दिया ये जवाब

रोहतास में सबसे ज्यादा 506 औद्योगिक इकाई यहां बंद हुई है. वैशाली में बंद औद्योगिक इकाइयों की संख्या 370 है. बेगूसराय में 271 औद्योगिक इकाइयां बंद पड़ी हैं. पटना में 250 औद्योगिक इकाइयां बंद है. सारण में 217 औद्योगिक इकाइयां बंद है, पूर्वी चंपारण में 214 इकाइयां बंद पड़ी है. एनडीए सरकार ने लगभग 1 साल पूरे कर लिए हैं और सरकार की नीतियों से यह प्रतीत नहीं होता है कि लोगों को रोजगार देने को लेकर बिहार सरकार गंभीर है. बंद पड़े उद्योग को फिर से चालू कराने के लिए सरकार ने अब तक कोई नीति नहीं बनाई है, ना ही सरकार के पास कोई अपडेट सर्वे रिपोर्ट है.

''सबसे पहले जरूरी यह है कि सरकार पंचायत स्तर पर उद्योगों की स्थिति को लेकर एक सर्वे कराए. उसके बाद बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू कराने के लिए नीति बनाए और बेलआउट पैकेज की घोषणा करें, तभी बिहार में रोजगार के अवसर पैदा होंगे.''- डॉ. विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री

पटना: राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (National Democratic Alliance) सरकार बिहार में 19 लाख लोगों को रोजगार (Employment) देने के वायदों के साथ बिहार के सत्ता में काबिज हुई थी. लोगों को रोजगार मिले इसके लिए सरकार के समक्ष नए उद्योगों की स्थापना और पुराने उद्योगों को फिर से चालू कराने की चुनौती थी, लेकिन सरकार की नीति बंद पड़े उद्योगों को लेकर स्पष्ट नहीं है.

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बिहार में औद्योगिक विकास की रफ्तार को अब तक पंख नहीं लग पाए हैं. 19 लाख लोगों को रोजगार देने के कीमत पर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बिहार में बनी थी. 1 साल पूरे होने वाले हैं, लोगों को रोजगार मिले इसे लेकर सरकार की अब तक ठोस नीति दिखाई नहीं देती है. बंद पड़े उद्योगों को चालू करना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है.

देखें रिपोर्ट

''सरकार सिर्फ विकास का ढिंढोरा पीट रही है. पुराने उद्योगों को चालू कराने की कोई ठोस नीति सरकार के पास नहीं है. ऐसे में 19 लाख लोगों का रोजगार देने का वायदा जुमला ही साबित होने वाला है. सरकार बंद पड़े उद्योगों के लिए बेलआउट पैकेज की घोषणा करें.''- रामानुज प्रसाद, राजद प्रवक्ता

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साल 2018 में बिहार सरकार ने उद्योगों को लेकर सर्वे कराया था, उसके बाद से कोई सर्वे नहीं कराया गया है. सरकार के पास उद्योगों को लेकर कोई अपडेट रिपोर्ट नहीं है. 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में इसकी 715 कार्यरत इकाइयां है, जिसमें लघु इकाइयों की संख्या 618 और मध्यम इकाइयों की संख्या 155 है. कुल मिलाकर 42 वृहद उद्योग हैं, जबकि बिहार में 3668 उद्योग बंद पड़े हैं.

''हमने इथेनॉल पॉलिसी लाया है और उद्योगों की स्थापना हो रही है. आने वाले दिनों में बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू कराने के लिए भी हम प्रतिबद्ध हैं और सरकार इस पर काम भी कर रही है.''- रविंद्र सिंह, बीजेपी प्रवक्ता

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रोहतास में सबसे ज्यादा 506 औद्योगिक इकाई यहां बंद हुई है. वैशाली में बंद औद्योगिक इकाइयों की संख्या 370 है. बेगूसराय में 271 औद्योगिक इकाइयां बंद पड़ी हैं. पटना में 250 औद्योगिक इकाइयां बंद है. सारण में 217 औद्योगिक इकाइयां बंद है, पूर्वी चंपारण में 214 इकाइयां बंद पड़ी है. एनडीए सरकार ने लगभग 1 साल पूरे कर लिए हैं और सरकार की नीतियों से यह प्रतीत नहीं होता है कि लोगों को रोजगार देने को लेकर बिहार सरकार गंभीर है. बंद पड़े उद्योग को फिर से चालू कराने के लिए सरकार ने अब तक कोई नीति नहीं बनाई है, ना ही सरकार के पास कोई अपडेट सर्वे रिपोर्ट है.

''सबसे पहले जरूरी यह है कि सरकार पंचायत स्तर पर उद्योगों की स्थिति को लेकर एक सर्वे कराए. उसके बाद बंद पड़े उद्योगों को फिर से चालू कराने के लिए नीति बनाए और बेलआउट पैकेज की घोषणा करें, तभी बिहार में रोजगार के अवसर पैदा होंगे.''- डॉ. विद्यार्थी विकास, अर्थशास्त्री

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