पटना: बिहार विधानसभा का बजट सत्र बुधवार को समाप्त हो गया. इस दौरान कई रिकॉर्ड बने. विधायकों द्वारा पूछे गए 2847 प्रश्नों के जवाब ऑनलाइन मिले. वहीं, विपक्षी दलों के विधायकों के हंगामे के चलते इतिहास में पहली बार विधानसभा में पुलिस को बुलाना पड़ा.
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नए विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के सामने बजट सत्र के संचालन की बड़ी चुनौती थी. सवालों के ऑनलाइन जवाब को लेकर अध्यक्ष ने सख्ती दिखाई और जनहित से जुड़े कई मुद्दे सामने आए. अंतिम 2 दिन अगर छोड़ दें तो विपक्ष ने भी सदन की कार्यवाही को यदा-कदा ही बाधित किया. मंत्रियों को लेकर भी विधानसभा अध्यक्ष की सख्ती दिखी.
अध्यक्ष ने मंत्रियों को भी नहीं बख्शा
बिहार में एनडीए की सरकार बनी और पहली बार बीजेपी कोटे से विजय सिन्हा विधानसभा अध्यक्ष बने. विधानसभा अध्यक्ष के सामने सदन को चलाने की बड़ी चुनौती थी. अध्यक्ष ने पक्ष और विपक्ष को बराबर बोलने का मौका दिया. विपक्ष को जरूरत पड़ने पर फटकार लगाई तो मंत्रियों को भी नहीं बख्शा.
सदन की कार्रवाई के दौरान दो बार विपक्षी सदस्य ज्यादा आक्रामक दिखें. मंत्री रामसूरत राय को लेकर विपक्ष के तेवर तल्ख थे. मंत्री की बर्खास्तगी की मांग को लेकर विपक्षी नेताओं ने सदन के अंदर और बाहर हंगामा किया. विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष के बाहर भी नारेबाजी की.
विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष को घंटों कैद रखा
दूसरी बार विपक्ष हमलावर हुआ जब सशस्त्र पुलिस बल से संबंधित विधेयक लाया गया. विपक्ष किसी भी सूरत में विधेयक को पारित होने देना नहीं चाहती थी. विधानसभा अध्यक्ष को घंटों उनके पक्ष में कैद कर दिया गया और तब जो कुछ हुआ वह लोकतंत्र के लिए काला दिन साबित हुआ. इतिहास में पहली बार बिहार पुलिस सदन के अंदर दाखिल हुई. विधायकों को जबरन बाहर निकाला गया. बाद में सदन की कार्यवाही शुरू हुई और विधेयक पारित कराया गया.
कड़े दिखे विजय सिन्हा के तेवर
बजट सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के तेवर कड़े दिखे. भाकपा माले विधायक मनोज मंजिल को अध्यक्ष ने जहां बाहर करवाने की धमकी दी तो वहीं सत्ता में बैठे मंत्रियों को भी नहीं बख्शा. विजय सिन्हा ने उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद को तेवर विभाग में दिखाने को कहा तो ऑनलाइन जवाब को लेकर पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी को भी फटकार लगाई.
मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष के बीच कहासुनी से बखेड़ा खड़ा हो गया. सम्राट चौधरी के माफीनामा के बाद विधानसभा अध्यक्ष माने. सत्ता पक्ष की ओर से अध्यक्ष पर यह भी आरोप लगे कि वे विपक्ष को अधिक तवज्जो दे रहे हैं. उप मुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद और ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र यादव ने सदन में कहा कि विपक्ष को ज्यादा तवज्जो दी जा रही है. सदन की कार्यवाही के दौरान विधानसभा अध्यक्ष के कड़े रुख का असर भी दिखा. ज्यादातर दिन प्रश्नकाल और शून्यकाल शांति पूर्वक चले और जनहित से जुड़े मुद्दे सामने आए. सत्र के दौरान 2847 प्रश्नों के उत्तर ऑनलाइन मिले.
विपक्ष ने चलाया समानांतर सदन
अंतिम 2 दिन बजट सत्र बाधित हुआ. विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. अंतिम दिन विपक्षी सदस्यों ने समानांतर सदन की कार्यवाही विधानसभा के बाहर आयोजित की और सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लिया.
"हम सरकार को शांतिपूर्ण तरीके से सदन चलाने में सहयोग कर रहे थे, लेकिन सरकार का रवैया नकारात्मक था. सरकार ने तमाम विधेयक जबरदस्ती पारित कराए और विपक्ष को विश्वास में नहीं लिया. महिलाओं के साथ मारपीट की गई."- अजीत शर्मा, नेता, कांग्रेस विधायक दल
"सदन जनहित से जुड़े मुद्दों को उठाने के लिए होता है, लेकिन अंतिम 2 दिन जो कुछ हुआ वह लोकतंत्र के लिए शर्मनाक है. विधायकों को जहां संयम बरतने की जरूरत है. वहीं, उन्हें सम्मान भी मिलना चाहिए."- अख्तरुल इमान, प्रदेश अध्यक्ष, एआईएमआईएम
"नीतीश कुमार महिला सशक्तिकरण की बात करते हैं, लेकिन जिस तरीके से सदन के अंदर महिलाओं के साथ व्यवहार हुआ. उन्हें पीटा गया. वह दुर्भाग्यपूर्ण है."- रेखा देवी, राजद विधायक
"सदन की कार्यवाही शांतिपूर्ण तरीके से चल रही थी, लेकिन विपक्ष की भूमिका नकारात्मक थी. सदन की कार्यवाही को जिस तरीके से बाधित किया गया वह अफसोस जनक है."- डॉ संजीव, जदयू विधायक
"इस बजट सत्र को कई मायने में याद रखा जाएगा. प्रश्नों के ऑनलाइन जवाब जहां इस बार सबसे ज्यादा आए. वहीं, जनहित से जुड़े मुद्दे उठाए गए. विपक्षी विधायकों के व्यवहार से लोकतंत्र जरूर शर्मसार हुआ."- नितिन नवीन, पथ निर्माण मंत्री