पटना: बिहार में सुलतानगंज में निर्माणाधीन अगुवानी पुल (Under Construction aguwani Bridge in Bhagalpur) का सुपर स्ट्रक्चर ध्वस्त होने के बाद एक ओर जहां विपक्ष ने सरकार घेरा (Opposition attacks Bihar government) वहीं विशेषज्ञों ने भी सवाल खड़े किये हैं. आरजेडी का कहना है कि मामला पूरी तरह भ्रष्टाचार से जुड़ा हुआ है. सरकार की मिलीभगत है, इसलिए बिहार में किसी कंपनी को ब्लैक लिस्टेड नहीं किया जाता है. सरकार लीपापोती करती है. विशेषज्ञ भी कह रहे हैं कि यदि 1710 करोड़ में बन रहा पुल इस तरह से भरभरा कर गिर जाये तो निश्चित तौर पर चूक हुई है.
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विशेषज्ञ कर रहे जांच में मदद: सुल्तानगंज में गंगा नदी पर एसपी सिंगला कपंनी 1710 करोड़ रुपये की लागत में पुल तैयार कर रही है. अचानक इस पुल का सुपरस्ट्रक्चर आंधी में पूरी तरह से ध्वस्त हो जाता है. सरकार जांच में रुड़की, आईआईटी और एनआईटी पटना के विशेषज्ञों की मदद ले रही है. रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने की बात भी कर रही है लेकिन विपक्ष सवाल खड़ा कर रहा है.
ब्लैक लिस्टेड हो ऐसी कंपनियां: आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी (RJD spokesperson Mrityunjay Tiwari) का कहना है 1700 करोड़ से लागत में बना पुल आंधी के झोंके में उड़ जाता है. कभी उद्घाटन से पहले पुल लटक जाता है, बह जाता है और अब हवा में उड़ जा रहा है. इसी तरह तेजस्वी यादव की हवा में इस सरकार को उड़ना है. मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि पूरा मामला भ्रष्टाचार और लूट का है.
'मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पूरे मामले की जांच करानी चाहिए. ऐसी कंपनियों को ब्लैक लिस्टेड करना चाहिए लेकिन बिहार सरकार नहीं करेगी क्योंकि यहां मिलीभगत है. पूरे मामले की लीपापोती की जाएगी.'- मृत्युंजय तिवारी, आरजेडी प्रवक्ता
कहीं न कहीं हुई है चूक: विशेषज्ञ प्रोफेसर विद्यार्थी विकास का कहना है जिस प्रकार से पुल ध्वस्त हुआ है, कहीं न कहीं चूक हुई है. नॉर्म्स का पालन नहीं किया गया है. 1700 करोड़ का पुल हवा के झोंके में भरभरा कर गिर गया. बड़े बजट के पुल के निर्माण के दौरान सरकार को कई चीजों को ध्यान रखना चाहिए. टेंडर में ट्रांसपेरेंसी और ब्लाइंड स्क्रीनिंग, औचक निरीक्षण टीम का गठन, एसओपी का पालन हो रहा है या नहीं, यह भी देखना जरूरी है. क्वॉलिटी मेंटेन करने के लिए सरकार की तरफ से ही एसओपी बनाई जानी चाहिए. इसमें मिनिमम टेक्निकल स्टैंडर्ड हो, मिनिमम फाइनेंसियल नॉर्मस हो, मिनिमम प्रिकॉशंस को लेकर एसओपी बनाई जाए. यह देखना चाहिए कि उसका अनुपालन हो रहा है या नहीं.
बिहार में एसपी सिंगला कई बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. गांधी सेतु के समानांतर चार लेन का पुल बनाने का जिम्मा इसी एजेंसी को मिला है. उससे पहले मुंगेर में गंगा नदी पर पुल का निर्माण इस एजेंसी ने किया है. सुल्तानगंज में गंगा नदी पर पुल निर्माण कर रही है. साथ ही कई एनएच पर भी काम कर रही है जो केंद्र सरकार की ओर से इस कंपनी को दिया गया है. एसपी सिंगला के अलावा नवयुग कंपनी भी हमेशा विवादों में रही है. 2000 करोड़ की लागत से बन रहे ताजपुर बख्तियारपुर पुल को लेकर एक बार इस कंपनी को निलंबित भी कर दिया गया था. हालांकि बाद में फिर इसी कंपनी को काम दे दिया गया.
बिहार में पुल के निर्माण के साथ एनएच निर्माण में कई एजेंसियां ऐसी हैं जिन्होंने बीच में ही काम छोड़ दिया लेकिन सरकार बिहार इन कंपनियों के खिलाफ सख्त एक्शन लेने से बचती रही है. ब्लैक लिस्टेड करने से भी बचती रही है. यही कारण है कि अधिकांश बड़े प्रोजेक्ट विलंब से पूरे हो रहे हैं. उस पर जो कॉस्ट आती है, वह भी काफी बढ़ जा रहा है. अब तो पुल ध्वस्त होने का भी मामला सामने आ रहा है जिसमें गुणवत्ता को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.
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