पटना: जब विदेशी पक्षियों की चहचहाहट कानों में गूंजती है और यहां जाने के बाद लोगों को अलग तरह की शांति महसूस होती है मानो प्रकृति की गोद से पूरा सचिवालय लहलहा रहा हो. प्रवासी पक्षी (Migratory Bird) हमेशा ठंड के मौसम में अगस्त-महीने से आना शुरू कर देते हैं और अप्रैल माह के बाद जाना भी शुरू कर देते हैं. ये पक्षी विभिन्न देशों से पटना के सचिवालय जलाशय में पहुंचे हुए हैं. खास कर साइबेरिया, अफगानिस्तान, लेह और लद्दाख देश-विदेश से आ कर अपना डेरा जमाए हुए हैं. लगभग 30 से 35 प्रजाति के पक्षी यहां हर साल विचरते हैं. यहां पर उनको अनुकूल मौसम के साथ-साथ पर्याप्त मात्रा में भोजन भी मिल जाता है. यही वजह है कि प्रवासी पक्षी राजधानी पटना में अपना डेरा बनाए हुए हैं.
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राजधानी के जलाशय से इन दिनों प्रवासी पक्षियों से गुलजार है. पिछले वर्ष भी जलाशय में भिन्न-भिन्न जातियों के पक्षियों को देखने का मौका लोगों को मिला था. जलाशय की चारों तरफ जंगली पेड़-पौधे उगे हुए हैं. इसके साथ ही वन विभाग की तरफ से केयरटेकर और उस जलाशय को पूरी तरह से घेरा कर दिया गया है. यह जलाशय 800 मीटर लंबे तालाब के चारों तरफ पाथवे बनाया गया है, जो टापू की तरह तब्दील हो गया है. जिस पर पक्षी बैठते हैं.
जलाशय के केयरटेकर ने बताया कि इन पक्षियों की देखरेख के लिए पूरी व्यवस्था वन विभाग की तरफ से की गई है. यह पक्षी बाहर देशों से इस जलाशय में पहुंचे हैं. उन्होंने कहा कि साइबेरियन पक्षी कॉमन पोचार्ड लिटल कामोरेट के साथ-साथ कई अन्य प्रजाति के भी पक्षी यहां पर पहुंचते हैं. उनके खाने-पीने के लिए मछली, घोंघा और जो कुछ भी ये प्रवासी पक्षी खाते हैं, उनके लिए वन विभाग की तरफ से मुकम्मल व्यवस्था की जाती है. विभाग की तरफ से इन पक्षियों की सुरक्षा के लिए अलग-अलग टीमें बनाकर उनकी सुरक्षा का जिम्मा भी सौंपा गया है. इन प्रवासी पक्षियों को यदि कोई व्यक्ति शिकार करता पकड़ा गया तो विभाग ने उसे जुर्माने के साथ कैद की सजा रखी है. जिससे कि प्रवासी पक्षी यहां पर विचरते हैं.
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आंकड़ों के मुताबिक भारत में 1200 से ज्यादा प्रजातियों तथा उपप्रजातियों के लगभग 2100 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं. इनमें लगभग 350 प्रजातियां प्रवासी हैं, जो शीतकाल में यहां आती हैं. कुछ प्रजातियां जैसे पाइड क्रेस्टेड कक्कु (चातक) भारत में बरसात के समय प्रवास पर आते हैं. पक्षियों की कई प्रजातियां अपने ही देश की सीमा में सैकड़ों किलोमीटर की दूरी तय करती हैं, जिन्हें स्थानीय स्तर के प्रवासी पक्षी (लोकल माइग्रेटरी बर्ड्स) कहा जाता है. पक्षी वैज्ञानिकों के अनुसार जो पक्षी यहां प्रजनन करते हैं, वे स्थानीय होते हैं.
वन विभाग के पदाधिकारी बताते हैं कि हमारे देश में प्रवासी पक्षी हिमालय के पार मध्य एवं उत्तरी एशिया एवं पूर्वी व उत्तरी यूरोप से आते हैं. इनमें लद्दाख, चीन, तिब्बत, जापान, रूस, साइबेरिया, अफगानिस्तान, ईरान, बलूचिस्तान, मंगोलिया, कश्मीर एवं भूटान जैसे देश शामिल हैं. इसके अलावा पश्चिमी जर्मनी एवं हंगरी जैसे देशों से भी पक्षियों के हमारे देश में प्रवास के लिए आने के प्रमाण मिलते हैं, बहरहाल विभाग इनकी देखरेख पूरी तरह से कर रहा है.