पटना: भगवान के बंद मंदिर में बज रहे इस भजन को आप सुन तो सकते हैं, लेकिन अंदर जाकर उनके दर्शन नहीं कर सकते. कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन ने भक्तों को अपने अराध्य के पास जाने से भी रोक दिया है. वैसे तो आम लोगों के बाहर निकलने पर ही रोक है, लेकिन फिर भी अगर आप मंदिर तक आ भी जाएंगे तो आपको इन बंद दरवाजों के बाहर से ही पूजा कर लौटना पड़ेगा.
लॉकडाउन को लेकर जारी केंद्र सरकार की गाइडलाइंस के तहत 17 मई तक पूरे देश में पूजा-पाठ, प्रार्थना, इबादत घर में ही किए जाएं और इस दौरान मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारा समेत सारे धार्मिक स्थल आम लोगों के लिए बंद रहेंगे.
सभी मंदिरों में लटका ताला
पटना स्टेशन का चर्चित हनुमान मंदिर हो या पटन देवी मंदिर या फिर अन्य मंदिर, सभी स्थानों पर ताला लटका है. बिहार में धार्मिक न्यास बोर्ड के तहत 4,500 से अधिक मंदिरों का निबंधन है. जिसमें केवल पटना जिले में 100 से ज्यादा मंदिर हैं. इसके अलावे प्रदेश में सैकड़ों की संख्या में ऐसे मंदिर हैं, जो धार्मिक न्यास बोर्ड से रजिस्टर्ड नहीं हैं.
लॉकडाउन से बढ़ी परेशानी
चूकि डेढ़ महीने से लॉकडाउन है और 17 मई तक यह जारी रहेगा. ऐसे में अहम प्रश्न ये है कि मंदिर में प्रतिदिन दैनिक पूजा-पाठ और राजभोग कैसे हो पाता है. इस बारे में पुजारी कहते हैं परेशानी तो है, लेकिन कुछ लोग सहयोग कर देते हैं. उसी से राजभोग लग रहा है.
पुजारियों के लिए गुजारा मुश्किल
प्रभु को प्रतिदिन भोग लगाने वाले पुजारियों की स्थिति लॉकडाउन के बढ़ने के साथ ही दयनीय होती जा रही है. बिहार में अलग-अलग जगहों पर धार्मिक अनुष्ठान या मंदिर में पुजारी के रूप में पूजा-पाठ कर अपनी आजीविका चलाने वालों की संख्या लगभग 11,000 हैं.
धार्मिक न्यास बोर्ड से मदद नहीं
लॉकडाउन के कारण इन लोगों के लिए अब अपना घर चलाना भी मुश्किल हो रहा है. इनकी मानें तो राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड की तरफ से अभी तक इनके लिए किसी भी तरह की आर्थिक मदद की घोषणा नहीं की गई है.
सुन लो मेरी पुकार... पवनसुत विनती बारम्बार
लॉकडाउन के कारण एक ओर जहां भक्त अपने भगवान के दर्शन से दूर रह जा रहे हैं, वहीं मंदिर बंद होने से चढ़ावा और दक्षिणा भी नहीं मिल रहे हैं. जिस कारण से इन पंडित और पुजारियों के लिए लॉकडाउन का एक-एक दिन भारी पड़ रहा है. ऐसे में अब तो हर कोई ईश्वर से वही प्रार्थना कर रहा है जो मंदिर में बज रहा है.