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नालंदा के 37 छात्र यूक्रेन से लौटे, चेहरे पर दिखी खुशी, परिजन हुए भावुक

रूस यूक्रेन जंग (Russia Ukraine war) में फंसे छात्रों को वापस देश लाने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है. यूक्रेन से आए स्टूडेंट्स की आंखों के सामने आज भी तबाही का मंजर है. अपने बच्चों की वापसी से परिजन भावुक हो गये और उन्होंने इसके लिए सरकार का धन्यवाद किया. इसी क्रम में नांलदा के 37 छात्र यूक्रेन लौटे हैं.

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Published : Mar 6, 2022, 12:09 PM IST

नालंदा: यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia attack on Ukraine) के चलते हजारों की संख्या में भारतीय वहां फंस गये थे. भारत सरकार अपने नागरिकों की स्वदेश वापसी के लिए ऑपरेशन गंगा चला रही है. रोजाना सैकड़ों की संख्या में छात्र भारत लौट रहे हैं. इसमें बिहार के भी छात्र शामिल हैं. नालंदा के कुल 37 छात्र यूक्रेन से लौटे हैं. छात्रों के चेहरे पर स्वदेश वापसी की खुशी साफ देखी गयी. वहीं उनके परिजन भावुक हो गये.

यूक्रेन के खारकीव शहर में रहने वाले नालंदा के राहुल कुमार अपने वतन लौटकर काफी खुश हैं. बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि वहां स्थिति बहुत खराब है. जिस मेडिकल कॉलेज में हम पढ़ते थे उस बिल्डिंग को भी बम से उड़ा दिया गया. यूक्रेन से आए स्टूडेंट्स की आंखों के सामने आज भी तबाही का मंजर छाया हुआ है. घर वालों को पाकर उन्हें नया जीवन मिला है. उन्होंने भारत सरकार को धन्यवाद दिया.

ये भी पढ़ें: यूक्रेन में फंसे 117 छात्र पटना पहुंचकर हुए भावुक, बोले- '..आज भी आंखों के सामने है तबाही के वो मंजर'

छात्र राहुल ने बताया कि वो खारकीव में थे. जब उन्होंने इंडियन एम्बेसी से बात की तो बताया गया कि सब ठीक है. अगर आप जाना चाहें तो जाए और रहने चाहें तो रहें क्योंकि कुछ नहीं होगा, लेकिन घर वालों की हालात देखकर लौटने का सोचा तो कॉलेज की ओर से शत-प्रतिशत हाजिरी को लेकर गाइडलाइन जारी किया गया. कहा गया कि अगर आप नागा करेंगे तो फाइन किया जाएगा. जिस वजह से रुक गए. जब 24 को बमबारी शुरू हुई तो अफरा-तफरी का माहौल हो गया. खाने-पीने की किल्लत शुरू हो गई.

देखें वीडियो

ये भी पढ़ें: यूक्रेन से लौटे वैशाली के मृत्युंजय माधवन, कहा- 'किस्मत से लौटे हैं.. एंबेसी से नहीं मिली मदद'

भारतीय दूतावास की ओर से कोई मदद नहीं मिल पा रही थी. वहां के सीनियर व स्थानीय छात्रों ने काफी मदद की. भूखे-प्यासे सफर कर किया तरह हंगरी पहुंचे. वहां मौजूद भारतीय दूतावास से मदद मिली. उसके बाद हम यहां पहुंचे. अभी भी वहां 300 छात्र वहां फंसे हैं. दो तीन दिन गुजर गए. किसी से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है. इससे थोड़ा परेशान हूं. उन्होंने यह भी कहा कि मैं सेकेंड ईयर का स्टूडेंट हूं. भगवान से प्राथना करता हूं कि जल्द से जल्द युद्ध खत्म हो और हम वहां जाकर पढ़ाई पूरी करें.

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नालंदा: यूक्रेन पर रूस के हमले (Russia attack on Ukraine) के चलते हजारों की संख्या में भारतीय वहां फंस गये थे. भारत सरकार अपने नागरिकों की स्वदेश वापसी के लिए ऑपरेशन गंगा चला रही है. रोजाना सैकड़ों की संख्या में छात्र भारत लौट रहे हैं. इसमें बिहार के भी छात्र शामिल हैं. नालंदा के कुल 37 छात्र यूक्रेन से लौटे हैं. छात्रों के चेहरे पर स्वदेश वापसी की खुशी साफ देखी गयी. वहीं उनके परिजन भावुक हो गये.

यूक्रेन के खारकीव शहर में रहने वाले नालंदा के राहुल कुमार अपने वतन लौटकर काफी खुश हैं. बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि वहां स्थिति बहुत खराब है. जिस मेडिकल कॉलेज में हम पढ़ते थे उस बिल्डिंग को भी बम से उड़ा दिया गया. यूक्रेन से आए स्टूडेंट्स की आंखों के सामने आज भी तबाही का मंजर छाया हुआ है. घर वालों को पाकर उन्हें नया जीवन मिला है. उन्होंने भारत सरकार को धन्यवाद दिया.

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छात्र राहुल ने बताया कि वो खारकीव में थे. जब उन्होंने इंडियन एम्बेसी से बात की तो बताया गया कि सब ठीक है. अगर आप जाना चाहें तो जाए और रहने चाहें तो रहें क्योंकि कुछ नहीं होगा, लेकिन घर वालों की हालात देखकर लौटने का सोचा तो कॉलेज की ओर से शत-प्रतिशत हाजिरी को लेकर गाइडलाइन जारी किया गया. कहा गया कि अगर आप नागा करेंगे तो फाइन किया जाएगा. जिस वजह से रुक गए. जब 24 को बमबारी शुरू हुई तो अफरा-तफरी का माहौल हो गया. खाने-पीने की किल्लत शुरू हो गई.

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भारतीय दूतावास की ओर से कोई मदद नहीं मिल पा रही थी. वहां के सीनियर व स्थानीय छात्रों ने काफी मदद की. भूखे-प्यासे सफर कर किया तरह हंगरी पहुंचे. वहां मौजूद भारतीय दूतावास से मदद मिली. उसके बाद हम यहां पहुंचे. अभी भी वहां 300 छात्र वहां फंसे हैं. दो तीन दिन गुजर गए. किसी से अभी तक संपर्क नहीं हो पाया है. इससे थोड़ा परेशान हूं. उन्होंने यह भी कहा कि मैं सेकेंड ईयर का स्टूडेंट हूं. भगवान से प्राथना करता हूं कि जल्द से जल्द युद्ध खत्म हो और हम वहां जाकर पढ़ाई पूरी करें.

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