मुजफ्फरपुरः दिल में कुछ करने का जज्बा और लगन इंसान को उसकी मंजिल तक जरूर पहुंचाता है. ये साबित कर दिखाया है मुजफ्फरपुर के सुदूर दियारा इलाके फतेहाबाद गांव की रहने वाली बेटी शिवांगी ने. किसान परिवार में जन्म लेने वाली शिवांगी ने कम उम्र में खुले आसामान में उड़ने का जो सपना देखा था, आज उसे पूरा कर दिखाया. शिवांगी को भारतीय नौसेना की पहली महिला पायलट बनने का खिताब मिला.
मुजफ्फरपुर के दियारा इलाके में गुजरा बचपन
मुजफ्फरपुर जिला मुख्यालय से तकरीबन 60 किलोमीटर दूर बसा पश्चची दियारा का आखिरी गांव है फतेहाबाद. ये गांव इन दिनों देश में चर्चा का विषय बना हुआ है. क्योंकि इस गांव के किसान परिवार की बेटी नेवी में देश की प्रथम महिला पायलट बनी है. सब लेफ्टिनेंट शिवांगी नेवी के लिए सर्विलांस एयरक्राफ्ट उड़ाएंगी. उन्हें कोच्चि नवल बेस पर ऑपरेशनल ड्यूटी दी गई है.
15 मार्च 1995 को हुआ था शिवांगी का जन्म
पारू प्रखंड के फतेहाबाद गांव के मूल निवासी हरि भूषण सिंह की बेटी शिवांगी का जन्म 15 मार्च 1995 को हुआ था. शिवांगी भाई बहन में सबसे बड़ी है. पिता गांव के यमुना बालिका उच्च विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं और मां कुमारी प्रियंका गृहणी हैं.
'कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी'
शिवांगी के प्रथम महिला पायलट बनने पर गांव में खुशी का माहौल है. हर तरफ शिवांगी के सफलता की कहानी के चर्चे हो रहे हैं. गांव के मध्य विद्यालय से रिटायर्ड महिला शिक्षिका शिवांगी की चाची की खुशी का ठिकाना नहीं है. चाची कहती हैं कभी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि शिवांगी देश की प्रथम महिला पायलट बनेगी.
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परदादा ने की थी स्कूल के लिए जमीन दान
वहीं, गांव के रिटायर्ड व बुजुर्ग शिक्षक केदार सिंह व सामाजिक कार्यकर्ता रानू नीलम शंकर बताते हैं- शिवांगी के परदादा यमुना सिंह ने इस इलाके में महिलाओं को शिक्षित करने के लिए 1976 में जमीन दान देकर गांव में ब्रह्मर्षि यमुना सिंह उच्च विद्यालय खोला ताकि लड़कियां भी शिक्षित हो. आज उनकी ही परपोती शिवांगी भारतीय नौसेना में प्रथम महिला पायलट बनी है.
1996 की बाढ़ में बह गया था शिवांगी का घर
शिवांगी के भाई विनय कुमार सुमन ने बताया कि 1996 में गंडक नदी में आई प्रलयकारी बाढ़ पारू प्रखंड के सैकड़ो घरों को लील गई थी. इसमें शिवांगी का भी घर और जमीन नदी के कटाव में बह गया था. तब से उसके माता पिता गंडक नदी के बांध के किनारे गुजर बसर कर रहे हैं. आज उसने अपनी मेहनत पर जो कुछ भी किया वह सबके सामने है.
युवाओं के लिए प्रेरणा है शिवांगी की कहानी
बचपन में देखे गए शिवांगी के सपने ने उन्हें भारतीय नौ सेना की पहली महिला पायलट बनने का खिताब दिया है. शिवांगी ने प्रशिक्षण के पहले चरण I और II को पूरा कर लिया है. छुट्टी से लौटकर वह 14 जनवरी से शुरू होने वाली डोर्नियर उड़ान पर अतिरिक्त प्रशिक्षण लेगी. शिवांगी कहती है कि वह किसी भी कार्य को करने के लिए तैयार हैं. दरअसल महिलाओं के खिलाफ बढ़ती हिंसा की स्थितियों में शिवांगी जैसी महिलाओं की सफलता की कहानी युवाओं को प्रेरणा प्रदान करती है.